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- the mystery of sailing stone in death valley of america has been solved
दैनिक भास्कर हिंदी: अमेरिका की डेथ वैली में रेंगते है पत्थर, ये है असली वजह
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। पृथ्वी में ऐसी कई चौकानें वाली बातें है, जिन्हें जान कर हम अक्सर हैरान रह जाते हैं और इसी में से एक है डोथ वैला के रेंगते हुए पत्थर। जी हां, कई दशक से वैज्ञानिक इस खोज में लगे हुए हैं कि आखिर कैसे ये पत्थर अपने आप रेंगते हुए मीलो की दूरी तय कर लेते हैं। सालों की मेहनत के बाद इन पत्थरों के स्लाईड होने का कारण सामने आया है।
दुनिया की सबसे गर्म स्थानों में से एक है डेथ वैली
डेथ वैली पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थान होने की वजह से जानी जाती है। ये वैली उत्तरी अमेरिका में कैलिफोर्निया और नेवादा की सीमा पर स्थित है। 1933 में इस वैली का नाम डेथ वैली नेशनल पार्क रखा गया था। यहां पर पत्थरों का रेंगना दुनिया की सबसे अजीब घटनाओं में से एक है। इन्हें सेलिंग स्टोन के नाम से भी जाना जाता है। हांलाकी इन पत्थरो को कभी भी किसी ने व्यक्तिगत रूप से रेंगते हुए नहीं देखा, लेकिन पत्थरों के स्लाईड होने की वजह से इनके द्वारा छोड़े गए निशान लोगों को आश्चर्यचजनक अवस्था में डाल देते हैं।
इस मटीरियल से बने है ये पत्थर
रेसट्रैक प्लाया के भारी पत्थर डोलोमाइट और साएनाइट से बने हैं और इन्ही मटीरीयल से आसपास के पहाड़ भी बने हैं। वो इरोशन (भूरक्षन) के कारण नीचे की ओर स्लाईड होते हैं। एक बार जब वे प्लाया की सतह पर पहुंच जाते हैं, तो ये पत्थर होरिजोन्टल पोजिशन में आगे बढ़ने लगते हैं।
1900 के दशक से खोजा जा रहा है राज
कई बार इन बड़े-बड़े पत्थरों ने लगभग 1,500 फीट तक के ट्रेल्स पीछे छोड़े है। अगर सतह काफी रफ है तो वो सिधी ट्रेल बनाएंगे वहीं अगर सतह चिकनी है तो ये बोल्डर (पत्थर) घूमते हुए जाते हैं। 1900 के दशक के बाद से इन पत्थरों का निरीक्षण और अध्ययन करना शुरु कर दिया गया था।
इस वजह से रेंगते है पत्थर
ये सेलिंग स्टोन बर्फ, पानी और हवा के सही संतुलन का परिणाम हैं। 2014 में की गई रिसर्च में पाया गया कि सर्दियों के दौरान बारिश में एक छोटा सा तालाब बनाता है। जिसका पानी रात भर में जम जाता है और अगले दिन धूप की वजह से हल्का पिघलने लगता है। इस कारण बर्फ की एक विशाल शीट बन कर तैयार हो जाती है और ये शीट केवल कुछ मीटर तक ही मोटी रह पाती है। हल्की हवाओं के कारण ये शीट टूट जाती है और पत्थरों के पीछे जमा हो जाती है, धीरे-धीरे हवा के फोर्स के कारण पत्थर आगे की ओर स्लाईड करने लगते हैं।
इस तरह किया था ट्रेक
स्पेशल परमिट लेने के बाद, वैज्ञानिकों ने डेथ वैली में बड़े पत्थरों को रखा और जीपीएस ट्रैकर्स की सहायता से इन पत्थरों को ट्रेक करने की कोशिश की। रिकोर्डिंग में पाया गया कि ये पत्थर अपने आप बर्फ और हवा की वजह से स्लाईड कर रहे हैं।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।