इस वजह से चिकन पॉक्स को बोला जाता है माता आ गई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कई लोग अभी भी मानते हैं कि ईश्वर वह व्यक्ति है जो मानव के शरीर पर नियंत्रण रखते हैं। इसीलिए उन्हें जब भी क्रोध या दंड देना होता है तो वो मानव को दंड किसी बिमारी के रूप में दे देते हैं। हम सभी ने सिताला माता के बारे में सुना है। उनकी पूजा दुर्गा देवी के अवतार के रूप में की जाती है और वो चिकन पॉक्स, घावों के इलाज के लिए जानी जाती है।
ऐसी होती है सिताला माता
वह दाएं हाथ में एक चांदी का झाडू पकड़ती हैं जो फैलने वाली बीमारी का प्रतीक है, जबकि बाएं हाथ में पानी का एक बर्तन रखती है। ये पीड़ितों को ठंडे पानी से ठीक करने के लिए रखती हैं। उनके नाम से ही पता चलता है कि सिताला माता ठंड का प्रतीक हैं।
इस दौरान लोग नहीं बनाते ताजा भोजन
ऐसा माना जाता है कि सिताला सप्तमी के दिन लोग गर्म भोजन तैयार नहीं करते हैं। इसकी बजाए लोग बासी खाना ही खाया करते हैं। ये एक धारणा है कि इस दिन गर्म भोजन नहीं खाया जाता।
प्राचीन काल की ये है मान्यता
प्राचीन काल में ये कहा जाता था कि जब राक्षस जवरासुर ने बच्चों को जीवाणु बुखार दिया था, तो देवी कटयायनी थी जो सिताला माता के रूप में आई थी और उन्होनें बच्चों के खून को शुद्ध कर दिया था और बुखार के बैक्टीरिया को नष्ट कर दिया था।
कुछ ऐसा है पुरानी मान्यताएं
कुछ पुरानी मान्यताओं के अनुसार, सिताला माता के क्रोध के कारण चिकन पॉक्स होता है। इतना ही नहीं जब भी कोई इससे पीड़ित होता है, तो उसके शरीर के अंदर देवी प्रवेश करती हैं जो अंदर ही अंदर उसे जलाती हैं। ऐसी अवस्था में ये कहा जाता है कि किसी भी दवा द्वारा इलाज न किया जाए क्योंकि देवी खुद ही 6-10 दिनों में शरीर को छोड़ देती हैं।
सात बहनों में से एक है सिताला माता
ऐसा कहा जाता है कि सिताला माता सात बहनों में से एक हैं जो नीम के पेड़ में रहती हैं। वे महामारी रोगों को लाने के लिए भी जानी जाती हैं। यहीं कारण है कि हम अक्सर नीम के पेड़ के पास सिताला माता का मंदिर देखते हैं क्योंकि ये पेड़ चिकन पॉक्स को खत्म करने के लिए जाना जाता है।
Created On :   25 May 2018 4:02 PM IST