सिंचाई घोटाला: रिटायर्ड जजों की समिति पर राज्य सरकार ने जताया ऐतराज

सिंचाई घोटाला: रिटायर्ड जजों की समिति पर राज्य सरकार ने जताया ऐतराज

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-26 09:25 GMT
सिंचाई घोटाला: रिटायर्ड जजों की समिति पर राज्य सरकार ने जताया ऐतराज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच में गुरुवार को सिंचाई घोटाले पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सिंचाई घोटाले की जांच पर सेवानिवृत जजों की समिति नजर रखेगी तो अधिकारियों का आत्मविश्वास टूटेगा, इसलिए हाइकोर्ट को ये समिति गठित नही करनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की इस दलील का पुरजोर विरोध किया|

बीती सुनवाई में कोर्ट ने जांच प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए दो सेवानिवृत्त जजों की समिति गठित करने की तैयारी की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को सेवानिवृत्त जज जेएन पटेल और आरसी चौहान का नाम समिति के लिए सुझाया था। कोर्ट से समिति गठित करने के निर्णय को विचाराधीन ही रखा है।

हाईकोर्ट ने 70 हजार करोड़ के इस भ्रष्टाचार की वसूली लिप्त अधिकारियों से निजी तौर पर की जाए या फिर सामूहिक रूप से इसमें लिप्त विभागों पर जिम्मेदारी तय हो, इसपर कोर्ट अगली सुनवाई में फैसला सुनाएगा| वही सिंचाई घोटाले में लिप्त अधिकारी जो सेवानिवृत होने के कारण करवाई से बच निकले हैं। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा यह सवाल भी सरकार से किया गया है| पूर्व में कोर्ट ने  सिंचाई घोटाले से जुड़े प्रकरण में निचली अदालत में हर रोज सुनवाई चला कर दो माह में ट्रायल पुरा करने के आदेश दिए थे।

साथ ही भ्रष्टाचार में हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई पर भी मंथन शुरु किया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में पुलिस महासंचालक (एसीबी) विवेक फणसालकर ने विदर्भ के विविध सिंचाई घोटाले की जांच से जुड़ी जानकारी हाईकोर्ट में प्रस्तुत की। कोर्ट को बताया कि अब तक इस मामले में कुल 19 एफआईआर दर्ज की गई है। अब तक कोर्ट में दो चार्जशीट प्रस्तुत की गई है, तो दो चार्जशीट प्रस्तुत करने के लिए सरकार की अनुमति लंबित है।

फिलहाल एसीबी कुल 43 सिंचाई प्रकल्पों की जांच कर रही है। इसमें दस्तावेजों की संख्या बड़ी है। इसलिए एसीबी को कम से कम 6 महिने का और समय चाहिए। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा और एड.श्रीधर पुरोहित ने पक्ष रखा।

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