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Nagpur News: मचान पर पहुंच गए बाघ और कैमरे में कैद हो गया नजारा, जानिए - क्यों सिकुड़ा पेंच

- नागपुर विभाग में 76 मचान बनाये गये हैं
- वन्यप्रेमियों के पहले ही इस मचान पर खुद बाघ पहुंच गये
Nagpur News. सचिन मोखारकर। वन विभाग की ओर से निसर्गनुभव 12 मई को रखा गया है। पूरे नागपुर विभाग में 76 मचान बनाये गये हैं, लेकिन निसर्गनुभव में वन्यप्रेमियों के पहले ही इस मचान पर खुद बाघ पहुंच गये। उमरेड के पास बने मचान पर दो बाघों को देखा गया। जानकारी के अनुसार, नागपुर विभाग में नागलवाडी में 23, पवनी में 14, कुही में 12, उमरेड मे 15 व पवनी (वन्यजीव) में 12 कुल 76 मचान बनाये गए हैं। 12 मई को शाम 4 बजे से दूसरे दिन सुबह 8 बजे तक मचान पर बैठकर चांदनी रात में वन्यजीवों का दीदार करने का मौका मिलने वाला है।
सिकुड़ा पेंच, बढ़ा खतरा
इसके अलावा देखा जाए तो इस साल इंसानों पर बाघों के हमले बढ़े हैं। अधिकतर मामले पेंच व्याघ्र प्रकल्प के दायरे में या इसके आस-पास हो रहे हैं। दरअसल, पेंच में बाघों की संख्या बढ़ गई है और जंगल सिकुड़ गए हैं। बाघ क्षेत्र की तलाश में मानवी इलाकों तक पहुंच जाते हैं। इसके चलते मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही है। पेंच व्याघ्र प्रकल्प में ईस्ट और वेस्ट दो बीट आते हैं, जिसमें सिल्लारी, खुर्सापार, चोरबाहुली, कोलीतमारा, पनेरा, नागलवाडी आदि रेंज आते हैं। क्षेत्रफल की बात करें तो यह कुल क्षेत्र 741. 22 वर्ग किमी का है। जानकारों की मानें तो एक बाघिन को 25 वर्ग किमी और एक बाघ को करीब 100 वर्ग किमी का दायरा लगता है। पेंच में बाघों की संख्या 50 से अधिक है। इस हिसाब से प्रति बाघ करीब 15 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही इनके हिस्से में आ रहा है और यही मानव-वन्यजीव संघर्ष का असली कारण है। उमरेड पवणी करांडला अभयारण्य के गोठन गांव गेट पर सफारी के दरम्यान एफ-2 नामक बाघिन अपने 2 शावकों के साथ मचान पर खेलते समय। दैनिक भास्कर के पाठक सिद्धेश मांगेकर ने इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद किया। पेंच में 54 बाघ के अलावा 15 से ज्यादा शावक भी हैं। ऐसे में अब आगे जंगल का दायरा और भी कम होने लगेगा। मध्य प्रदेश के जंगल से भी लगातार यहां बाघों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे बाघों की संख्या बढ़ जाती है। आंकड़ों को देखें तो इस साल अब तक 2 लोगों को बाघों ने मारा है। ये लोग मवेशी चराने वाले थे। दोनों घटना पारशिवनी की है। इसके अलावा बाघों के हमले में घायल होने वालों की संख्या भी शामिल है। किसी क्षेत्र में बहुत ज्यादा बाघ रहने पर उन्हें ऐसी जगह पर शिफ्ट करना था, जहां बाघों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन यह प्रक्रिया भी ठंडे बस्ते में पड़ी है।
Created On :   11 May 2025 6:46 PM IST