सलमान के जेल जाने पर खुश होने वाला समाज कौन है?

सलमान के जेल जाने पर खुश होने वाला समाज कौन है?

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-05 09:51 GMT
सलमान के जेल जाने पर खुश होने वाला समाज कौन है?

डिजिटल डेस्क, जोधपुर। काले हिरण शिकार मामले में 20 साल बाद जोधपुर कोर्ट ने बॉलीवुड एक्टर सलमान खान को 5 साल की कैद और 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। सलमान खान को सजा मिलने पर जहां एक तरफ उनके करोड़ों फैंस नाराज हैं, तो वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा समाज भी है, जो सलमान के जेल जाने पर खुश हो रहा है। दरअसल, ये समाज और कोई नहीं बल्कि राजस्थान का बिश्नोई समाज है, जो प्रकृति प्रेम के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज ही है जो पिछले 20 सालों से काले हिरण के शिकार मामले में आरोपियों को सजा दिलाने की कोशिश कर रहा था और जब आज सलमान को सजा दी गई तो ये समाज खुशी में पटाखे फोड़ रहा है। हालांकि, सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे, तब्बू और नीलम के बरी हो जाने से बिश्नोई समाज थोड़ा निराश ही है और उनका कहना है कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे और उन्हें भी सजा दिलवाएंगे। ऐसे में आज हम आपको बिश्नोई समाज से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं।

 



कौन हैं बिश्नोई समाज?

बताया जाता है कि बिश्नोई समाज की स्थापना 1542 में जम्बेश्वर महाराज ने की थी। बिश्नोई समाज को प्रकृति प्रेम और वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए जाना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि बिश्नोई शब्द विष्णु से निकला है, जो बिश्नोई समाज के मुख्य देवता माने जाते हैं। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि बिश्नोई शब्द बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है, क्योंकि इस समाज के लोग 29 नियमों का पालन करते हैं। ये 29 नियम जम्बेश्वर महाराज ने बनाए थे, जिसको बिश्नोई समाज पूरी श्रद्धा से पालन करता है। 

जानवरों के लिए जान तक दे देते हैं बिश्नोई

बिश्नोई समाज जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से आत है और इस समाज के लोगों को प्रकृति प्रेम के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज में जानवरों को भगवान के बराबर माना जाता है और जानवरों की रक्षा के लिए ये लोग अपनी जान तक देने के लिए तैयार रहते हैं। कहा जाता है कि प्रकृति के लिए जान देने वाले लोगों को बिश्नोई समाज में शहीद का दर्जा भी दिया जाता है।

 



हिरण को बच्चों की तरह पालते हैं बिश्नोई

कहा जाता है कि बिश्नोई समाज के लोग हिरणों से बहुत प्यार करते हैं और उन्हें अपने बच्चों की तरह पालते हैं। राजस्थान के मारवाड़ गांव में हिरणों का लोगों के बीच घूमना-फिरना भी बहुत आम माना जाता है। कहा जाता है कि हिरण बिश्नोई समाज का हिस्सा बन चुके हैं और ये लोग हिरणों को भगवान की तरह मानते हैं। इंटरनेट पर भी अगर इनके बारे में सर्च किया जाए तो नेट पर बिश्नोई समाज की कई महिलाओं की फोटो देखने को मिलेंगी, जिनमें वो हिरणों को दूध पिलाती हुईं दिखतीं हैं।

 



चिपको आंदोलन भी इसी समाज ने किया था

चिपको आंदोलन के बारे में आज देश का हर व्यक्ति जानता है, लेकिन इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि ये बिश्नोई समाज के ही लोग थे जिन्होंने इस आंदोलन को चलाया था। दरअसल, साल 1736 में जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव के हरे-भरे पेड़ों को काटने का आदेश राजा ने दिया था। जिसके बाद राज दरबार के लोग पेड़ों को काटने पहुंचे थे, लेकिन बिश्नोई समाज के लोग पेड़ों से चिपक गए और विरोध करने लगे। बताया जाता है कि पेड़ों को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के 350 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी थी। इन सभी लोगों को बिश्नोई समाज में शहीद का दर्जा दिया गया है। बता दें कि ये आंदोलन अमृता देवी के नेतृत्व में हुआ था, जिनके नाम पर राजस्थान सरकार कई पुरस्कार भी देती है।

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