हिंदी बेल्ट से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में किस तरह बीजेपी ने बनाई पकड़? आसान नहीं थी बीजेपी के लिए यह राह

पूर्वोत्तर में बीजेपी का बढ़ता दबदबा हिंदी बेल्ट से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में किस तरह बीजेपी ने बनाई पकड़? आसान नहीं थी बीजेपी के लिए यह राह

Dablu Kumar
Update: 2023-03-02 14:13 GMT
हिंदी बेल्ट से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में किस तरह बीजेपी ने बनाई पकड़? आसान नहीं थी बीजेपी के लिए यह राह

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के विधानसभा चुनाव के नतीजे से बीजेपी खेमा गदगद में है। एक ओर जहां बीजेपी त्रिपुरा में 33 सीटों पर जीत के साथ दोबारा राज्य में सरकार बनाने जा रही है तो वहीं दूसरी ओर नगालैंड में भी बीजेपी और एनडीपीपी गठबंधन सरकार बनाने के आंकड़े को पार कर चुकी है। नगालैंड में एनडीपीपी गठबंधन के खाते में अभी तक के रुझानों में 38 सीटें मिल चुकी हैं। मेघालय में भी बीजेपी के लिए अच्छे संकेत है। वहां पर बीजेपी एनपीपी के साथ सरकार बना सकती है। क्योंकि यहां पर पहले भी बीजेपी ने एनपीपी के साथ सरकार बनाई थी। ये सभी चुनावी नतीजे बीजेपी के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में काफी ज्यादा मायने रखते हैं। साथ ही इन आंकड़ों से स्पष्ट हो गया है कि पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी का कमल खिल गया है। बीजेपी के लिए यह रास्ता आसान नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस मुश्किल काम को आसान कर दिखाया। 

बीजेपी के लिए आसान नहीं थी राह

दरअसल, बीते कुछ सालों से जहां पूर्वोत्तर के राज्यों में बीजेपी का नामोनिशान नहीं था, वहां पर बीजेपी ने अथक प्रयास करके यह मुकाम हासिल कर लिया है। भाजपा को पूर्वोत्तर के राज्यों में बड़ी सफलता तब मिली जब उसने 2016 में असम विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, तब बीजेपी ने यहां पर 15 सालों से चली रही कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंका था। पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा की यह पहली सरकार थी। इसी साल बीजेपी को एक और बड़ी मछली हाथ लगी, जब अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पेमा खांडू ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। जिसके बाद बीजेपी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2017 में सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए बीजेपी ने मणिपुर में अपनी सरकार बना ली। इस दौरान बीजेपी ने कांग्रेस के खेमे से आए नेता एन. बीरेन सिंह को सीएम पद सौप कर बड़ा दांव खेला। 

2018 का चुनाव बीजेपी के लिए रहा अहम

साल 2018 भी बीजेपी के लिए कई मायने में अच्छी रही, इसी साल बीजेपी ने त्रिपुरा में अपना परचम लहराया। साथ ही बीजेपी ने त्रिपुरा में 35 सालों से चली आ रही कम्युनिस्ट शासन की विरासत को समाप्त कर दिया। इस दौरान बीजेपी ने पहली बार त्रिपुरा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बता दें कि, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नगालैंड और मेघालय की सरकार में भागीदारी पा ली थी। इसके अलावा बीजेपी के लिए अरूणाचल प्रदेश की जीत सोने पे सुहागा साबित हुई। साल 2019 अरूणाचल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों 60 में से 41 सीटें लगी। इस तरह बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्यों में सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का सफाया करना शुरू कर दिया।

मोदी और शाह की रैलियों का भी रहा असर

पीएम मोदी की नीतियों और अन्य कारणों से भी बीजेपी का कमल पूर्वोत्तर के राज्यों में खिलता गया। ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी और पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार की लगातार सक्रियता ने भी लोगों को बीजेपी की ओर आकर्षित करने का काम किया। पीएम मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह की लगातार रैलियों ने लोगों को बीजेपी की ओर खीचना शुरू किया। शायद यही वजह है कि असम, मणिपुर और त्रिपुरा में बीजेपी ने लगातार दूसरी सरकार बनाई है। एक समय केंद्र से पूर्वोत्तर की पकड़ कमजोर कहे जाने वाले राज्य आज केंद्र में बैठी पार्टी के हाथों में है वहीं हिंदी बेल्ट की पार्टी के रूप में पहचानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी आज पूर्वोत्तर में अपना दबदबा बढ़ा रही है।  

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