अमिताभ बच्चन के लिए चार दशकों से भी ज्यादा समय तक करोड़ों दिलों पर राज करना इतना आसान नहीं। किसी इंसान के खाते में जब कामयाबी आती है, तो वो उसके सिर चढ़कर बोलती है। मगर 77 साल के अमिताभ नाम की हस्ती ऐसी है जो जीवन में आने वाली तकलीफों से टूटती नहीं, रूकती नहीं, और ना ही कभी झुकती है, बस लड़ती है।
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दैनिक भास्कर हिंदी: B'day: अमिताभ यूं ही नहीं बने बॉलीवुड के शहंशाह, शोहरत की बुलंदी के साथ देखे कई उतार-चढ़ाव
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन, एक ऐसा नाम, जो बॉलीवुड का शहंशाह है, ये नाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिला, बल्कि ये उनकी 77 साल की कड़ी तपस्या है, जिसे अमिताभ ने पूरा करने में अपने आप को झोंक दिया। 10 अक्टूबर को बिग बी 77 साल के हो गए, उम्र का एक और पड़ाव उन्होंने पार कर लिया है। अमिताभ बच्चन मुकद्दर के वो सिकंदर हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में सफलता, असफलता दोनों देखी, मगर सफलता का कभी गुमान नहीं किया, वो उनकी जिंदादिली में नजर आता है और असफलता से कभी हार नहीं मानी, आकाशवाणी में मिले रिजेक्शन से लेकर उनके 75% खराब हो चुके लीवर तक ऐसे कई उदाहरण हैं।
अमिताभ बच्चन के संघर्ष और सफलता की कहानी जितनी आश्चर्यजनक है, उतनी ही रोमांचक, उतनी ही अविश्वसनीय और सम्मोहक भी है। शोहरत की बुलंदी और जिंदगी के उतार-चढ़ावों के देखकर हमें बिग बी 77वें जन्मदिन पर उनके पिता हरिवंशराय बच्चन की कविता 'तू रुकेगा कभी तू ना झुकेगा कभी' की याद आती है, जो उन पर इस समय बेहद सटीक बैठती है। अमिताभ अब तक के सफर में आज जिस वो मुकाम पर पहुंचे है, वो अमिताभ होने के सही मायनों को दर्शाते हैं।


रूपहले पर्दे पर अमिताभ की रौबीली आवाज चार दशकों से ज्यादा समय से राज कर रही है। ना तो बॉलीवुड में अब तक इनकी शख्सियत का कोई विकल्प है और ना ही आने वाले समय में होगा। आज भी वो जहां खड़े हो जाते हैं, वहीं से लाइन शुरु होती है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन 77 साल को हो चुके है उन्हें देखकर ये यकीन करना मुश्किल है। पर्दे पर सक्रिय, स्वच्छता अभियान जैसे सामाजिक कामों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना, सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा प्रशंसकों की संख्या, पद्मविभूषण, पद्मश्री, कई सारे नेशनल अवॉर्ड और आज भी उनके के लिए फैंस के लगातार बढ़ते प्यार को देखता ऐसा लगता है मानों जिंदगी अमिताभ को रूकने, कुछ थमकर सुस्ताने की इजाजत नहीं देती, उनके जीवन में है, तो सिर्फ है काम ही काम। यही वजह है कि अमिताभ अपने समकालीन अभिनेताओं को मीलों पीछे छोड़कर एक ऐसे रास्ते पर चल रहे है, जिसका कोई अंत नही।

आज भी सेट पर पहुंचने पर अमिताब बच्चन के के चेहरे पर किसी नए कलाकार की तरह की उत्सुकता, डर और किरदार को समझने की बैचेनी होती है। अमिताभ बच्चन के पास सबकुछ है, बावजूद इसके उन्होंने खुद पर कामयाबी का नशा हावी नहीं होने दिया। विनम्रता नहीं छोड़ी, संघर्ष का रास्ता त्यागा नहीं, और आज भी वो जीवन के उस अग्निपथ पर लगातार चलते चले जा रहे है, जिस पर चलना हर किसी के वश की बात नहीं।
अमिताभ को अपने करियर की शुरुआत में भी काफी कुछ सहा पड़ा। 'सात हिंदुस्तानी' से करियर की शुरुआत करने वाले अमिताभ ने शुरूआती दौर में लगातार बारह फ्लॉप फिल्में दी, जिसके कारण कोई उन्हें फिल्म में लेना नहीं चाहता था। यहां तक की उन्हें कुछ फिल्मों से तो सिर्फ उनके लंबे कद की वजह से हाथ धोना पड़ा। शुरुआत में उनकी अवाज को लेकर भी मजाक उड़ाया गया, मगर अमिताभ ने हार नहीं मानी। लम्बे कद और बुलंद आवाज के साथ ही अमिताभ ने एंग्री यंग मैन अवतार को ही अपनी पहचान बना ली। देखते ही देखते बॉलीवुड को एक सुपरस्टार मिल चुका था, इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

रील और रियल लाइफ में बुलंदियों को झूने वाले अमिताभ भूतनाथ और पा जैसी फिल्मों से बच्चों की पसंद हैं। पीकू और चीन कम जैसी फिल्मों से वो युवाओं को भाते हैं।बागवान में उन्हें देखकर बुजुर्गों को अपनापन महसूस होता है। अमिताभ ने एंग्री यंग मैन अवतार को परदे पर बखूबी दिखाया है । फिल्म जंजीर में उनका डायलॉग और उनका एंग्री लुक अमिताभ की पहचान बन गया। वो जो भी फिल्में करते उनके अंदाज को देखने के लिए पब्लिक बेसब्री से उनका इंतजार करती। एक से बाद एक लगातार अमिताभ ने एंग्री मैन अवतार के लिए जंजीर, कालिया, दीवार, लावारिश और शहंशाह जैसी फिल्में की।

ऐसा नहीं था कि अमिताभ अपनी इसी इमेज के बंधे रहे। वो एंग्री यंगमैन से कॉमेडी के सांचे में ढलें, और ऐसा ढले कि जितनी उन्हें एंग्री रूप में वाहवाही मिली, उतनी ही अच्छी कॉमेडी में भी। उन्होंने कई ऐसी कॉमेडी फिल्म्स कीं, जो आज भी दर्शकों को लोटपोट कर हंसने के लिए मजबूर कर देती हैं। कॉमेडी फिल्मों से ज्यादा उनके डायलॉग्स की चर्चा होती है। फिल्म 'नमकहलाल' में आई कैन टॉक इंग्लिश डायलॉग में अमिताभ के कॉमिक अंदाज को काफी पसंद किया गया, इसके बाद अमिताभ की एंग्री यंग मैन वाली इमेज बदली कॉमेडी वाले अंदाज में।

अमिताभ ने एंग्रीमैन अवतार में गुस्सा किया, कॉमेडी भी की, तो इस बीच भला मोहब्बत को कैसे अमिताभ ओवरलैप कर सकते थे। अमिताभ ने अपनी इमेज को मोहब्बत के रंग में भी घोला। रोमांटिक छवि में भी उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी। अमिताभ के रोमांटिक गानों ने तो उस दौर में धमाल मचा दिया था। खासकर रेखा के साथ उनकी रोमांटिक फिल्में बहुत पसंद की गई।
ऑनस्क्रीन रोमांटिक केमिस्ट्री के बीच कई हसीनाओं के साथ बिग बी का नाम जुड़ा, लेकिन वक्त के साथ ये कहानी भी धुंधली हो गईं, और वक्त ही था जो खुद बदलते बदलते शहंशाह को भी बदल गया, और बदले गए शहंशाह मिजाज भी।अमिताभ की सुपरहिट फिल्मों की लिस्ट बहुत लंबी है। मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ, पा, सत्याग्रह, शमिताभ आनंद, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह जैसी फिल्में उनके नाम हैं।

एक के बाद एक हेल्थ प्रॉबल्म्स का सामना करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। बिग बी के लिए भी नहीं था, मगर उनका पैशन और फैंस की दुआएं ही थीं कि वह आगे बढ़ते गए। ये सिलसिला शुरू हुआ था सन् 1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान। फिल्म के एक सीन में पुनीत इस्सर का मारा घूंसा अमिताभ को असलियत में लग गया था और वो जिंदगी मौत की जंग के बीच फंस गए, स्थिति ऐसी थी कि डॉक्टरों ने उन्हें क्लीनिकली डेड घोषित कर दिया गया था। यहां भी अमिताभ नहीं हारे, वो मौत के मुंह से बहार निकल आए। अमिताभ ने जिंदगी की ये जंग जीत ली। लोगों की दुआएं रंग लाईं और बिग बी फिर अपनी सिनेमाई दुनिया में लौटे। 75 प्रतिशत लीवर खराब होने के बाद भी वो सिर्फ 25 प्रतिशत लीवर पर जिंदा हैं, और आज भी काम कर रहे हैं।

फिल्मी दुनिया में अमिताभ का सफर फिर भी खूबसूरत रहा, लेकिन असल जिंदगी में बिग बी का जीवन उतरा-चढ़ावों के बीच आज इस मुकाम तक पहुंचा है। एबीसीएल, जो अमिताभ की सबसे बड़ी गलती में शुमार हुई। इस मैनेजमेंट कंपनी ने अमिताभ को ऐसा झटका दिया, जिससे उबरने के लिए अमिताभ ने एड़ी चोटी का बल लगा दिया। अमिताभ इस कंपनी के बन्द होने के कारण टूटे, गिरे, लेकिन फिर खड़े हुए, और खुद को साबित किया।
बिजनेस में हाथ आजमाने के लिए 1995 में अमिताभ ने 'अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड' मीन्स ABCL की शुरुआत की, लेकिन बहुत जल्दी बहुत ज्यादा हासिल करने की उनकी तमन्ना ने उनकी कंपनी को बिखेर कर रख दिया। कंपनी दिवालिया हो गई। ये दौर अमिताभ का सबसे बुरा दौर था। एबीसीएल के फ्लॉप होने के बाद अमिताभ बच्चन के मुंबई वाले घर और दिल्ली वाली जमीन के जब्त होने और नीलाम होने की नौबत आ गई थी। एक इंटरव्यू में अमिताभ ने खुद बताया था कि 'मैं ये सब बंद नहीं करना चाहता था। बहुत सारे लोगों का इसमें पैसा लगा हुआ था और लोगों को इस कंपनी में भरोसा था। और ये सब मेरे नाम की वजह से था। मैं उन लोगों के साथ धोखा नहीं कर सकता था जो लोग मुझ पर भरोसा कर रहे थे। उन दिनों मेरे सिर पर हमेशा तलवार लटकती रहती थी। मैनें कई रातें बिना सोए गुजारी हैं। इसके बाद मैं एक दिन खुद ही सुबह-सुबह यश चोपड़ा के पास गया और मैंने उनसे कहा कि मैं दीवालिया हो गया हूं, मुझे काम चाहिए। मेरे पास कोई फिल्म नहीं है। यशजी ने मेरी बात को बहुत ही ध्यान से सुना और उसके बाद मुझे 'मोहब्बतें'(2000) ऑफर की।
एबीसीएल ने अमिताभ तो बुरी तरह से झकझोर दिया था लेकिन अमिताभ ने हार नहीं मानी, वो फाइटर की तरह लड़ते रहे और उनका पूरा ध्यान फिर से एक्टिंग और फिल्मों में लगा दिया ।' 'मोहब्बतें' के बाद फिर एक बार अमिताभ उठ कर खड़े हुए, और खुद को साबित भी किया। फिल्म सफल रही, और अमिताभ की रुठी किस्मत फिर उनके हक में थी। बिग बी के सिर से 90 करोड़ रुपए का कर्ज उतर गया और वो नई शुरुआत करने में कामयाब रहे।

कभी न हारने का माद्दा रखने वाले अमिताभ ने खुद के पैरो पर दोबारा खड़े होने के लिए छोटे परदे पर भी काम करने से गुरेज नही किया। वो भी उस समय जब इस स्टार को देखने के लिए सिनेमा घरों में भीड़ लगती थी, छोटे परदे पर बड़े स्टार का काम करना अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन अमिताभ ने छोटे परदे पर भी बखूबी काम किया। अमिताभ को 'मोहब्बतें' मिलने के बाद ही अमिताभ को केबीसी की होस्टिंग का ऑफर मिला था, जिसे उन्होंने एक्सेप्ट किया, और अपनी नई पारी की शुरुआत की, और फिर साबित किया की अमिताभ हारने वालों में से नहीं है। आज बिगबी केबीसी का 11वां सीजन होस्ट कर रहे हैं।

चाहे एक्टिंग हो, सिंगिंग हो, फिल्मों में राइटिंग का बात हो, शो होस्टिंग, हर जगह बिग बी की एनर्जी काबिल-ए-तारीफ रही। यही कारण है कि दुनिया आज भी उनकी इसी कदर दीवानी है कि कई फैंस तो उन्हें अपने भगवान ही मानते हैं। उम्र के इस पड़ाव में आकर भी वो फुल ऑफ एनर्जेटिक तो ही हैं, साथ ही वो एवरग्रीन वर्सटाइल एक्टर, इसलिए तो हम भी यही कहेंगे कि तू रुकेगा कभी तू ना झुकेगा कभी अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
स्वास्थ्य योजना: आरोग्य संजीवनी पॉलिसी खरीदने के 6 फ़ायदे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आरोग्य संजीवनी नीति का उपयोग निस्संदेह कोई भी व्यक्ति कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह बिल्कुल सस्ती है और फिर भी आवेदकों के लिए कई गुण प्रदान करती है। यह रुपये से लेकर चिकित्सा व्यय को कवर करने में सक्षम है। 5 लाख से 10 लाख। साथ ही, आप लचीले तंत्र के साथ अपनी सुविधा के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। आप ऑफ़लाइन संस्थानों की यात्रा किए बिना पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर सकते हैं। आरोग्य संजीवनी नीति सामान्य के साथ-साथ नए जमाने की उपचार सेवाओं को भी कवर करने के लिए लागू है। इसलिए, यह निस्संदेह आज की सबसे अच्छी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक है।
• लचीला
लचीलापन एक बहुत ही बेहतर पहलू है जिसकी किसी भी प्रकार की बाजार संरचना में मांग की जाती है। आरोग्य संजीवनी पॉलिसी ग्राहक को अत्यधिक लचीलापन प्रदान करती है। व्यक्ति अपने लचीलेपन के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। इसके अलावा, ग्राहक पॉलिसी के कवरेज को विभिन्न पारिवारिक संबंधों तक बढ़ा सकता है।
• नो-क्लेम बोनस
यदि आप पॉलिसी अवधि के दौरान कोई दावा नहीं करते हैं तो आरोग्य संजीवनी पॉलिसी नो-क्लेम बोनस की सुविधा देती है। उस स्थिति में यह बोनस आपके लिए 5% तक बढ़ा दिया जाता है। आपके द्वारा बनाया गया पॉलिसी प्रीमियम यहां आधार के रूप में कार्य करता है और इसके ऊपर यह बोनस छूट के रूप में उपलब्ध है।
• सादगी
ग्राहक के लिए आरोग्य संजीवनी पॉलिसी को संभालना बहुत आसान है। इसमें समान कवरेज शामिल है और इसमें ग्राहक के अनुकूल विशेषताएं हैं। इस पॉलिसी के नियम और शर्तों को समझने में आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे पॉलिसी खरीदना आसान काम हो जाता है।
• अक्षय
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य नीति की वैधता अवधि 1 वर्ष है। इसलिए, यह आपके लिए अपनी पसंद का निर्णय लेने के लिए विभिन्न विकल्प खोलता है। आप या तो प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं या योजना को नवीनीकृत कर सकते हैं। अंत में, आप चाहें तो योजना को बंद भी कर सकते हैं।
• व्यापक कवरेज
यदि कोई व्यक्ति आरोग्य संजीवनी पॉलिसी के साथ खुद को पंजीकृत करता है तो वह लंबा कवरेज प्राप्त कर सकता है। यह वास्तव में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से संबंधित बहुत सारे खर्चों को कवर करता है। इसमें दंत चिकित्सा उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के खर्च आदि शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले से लेकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद तक के सभी खर्च इस पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं। इसलिए, यह नीति कई प्रकार के चिकित्सा व्ययों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण है।
• बजट के अनुकूल
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य योजना एक व्यक्ति के लिए बिल्कुल सस्ती है। यदि आप सीमित कवरेज के लिए आवेदन करते हैं तो कीमत बिल्कुल वाजिब है। इसलिए, जरूरत पड़ने पर आप अपने लिए एक अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल का विकल्प प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आरोग्य संजीवनी नीति समझने में बहुत ही सरल नीति है और उपरोक्त लाभों के अलावा अन्य लाभ भी प्रदान करती है। सभी सामान्य बीमा कंपनियां ग्राहकों को यह पॉलिसी सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, यह सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं है और ग्राहक को इस पॉलिसी की सेवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान करना होगा। इसके अलावा, अगर वह स्वस्थ जीवन शैली का पालन करता है और उसे पहले से कोई मेडिकल समस्या नहीं है, तो उसे इस पॉलिसी को खरीदने से पहले मेडिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। हालाँकि, इस नीति के लिए आवेदन करते समय केवल नीति निर्माताओं को ही सच्चाई का उत्तर देने का प्रयास करें।
SSC MTS Cut Off 2023: जानें SSC MTS Tier -1 कटऑफ और पिछले वर्ष का कटऑफ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भारत में केंद्रीय सरकारी नौकरियों की मुख्य भर्तियों हेतु अधिसूचना तथा भर्तियों हेतु परीक्षा का आयोजन करता रहा है। हाल ही में एसएससी ने SSC MTS और हवलदार के लिए अधिसूचना जारी किया है तथा इस भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन भी 18 जनवरी 2023 से शुरू हो चुके हैं और यह ऑनलाइन आवेदन 17 फरवरी 2023 तक जारी रहने वाला है। आवेदन के बाद परीक्षा होगी तथा उसके बाद सरकारी रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु परीक्षा दो चरणों (टियर-1 और टियर-2) में आयोग के द्वारा आयोजित की जाती है। इस वर्ष आयोग ने Sarkari Job एसएससी एमटीएस भर्ती के तहत कुल 12523 पदों (हवलदार हेतु 529 पद) पर अधिसूचना जारी किया है लेकिन आयोग के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती संख्या अभी अनिश्चित मानी जा सकती है। आयोग के द्वारा एसएससी एमटीएस भर्ती टियर -1 परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की जा सकती है और इस भर्ती परीक्षा हेतु SSC MTS Syllabus भी जारी कर दिया गया है।
SSC MTS Tier 1 Cut Off 2023 क्या रह सकता है?
एसएससी एमटीएस कटऑफ को पदों की संख्या तथा आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या प्रभवित करती रही है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भर्ती पदों में वृद्धि की गई है और संभवतः इस वर्ष आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है तथा इन कारणों से SSC MTS Cut Off 2023 बढ़ सकता है लेकिन यह उम्मीदवार के वर्ग तथा प्रदेश के ऊपर निर्भर करता है। हालांकि आयोग के द्वारा भर्ती पदों की संख्या अभी तक सुनिश्चित नहीं कि गई है।
SSC MTS Tier 1 Expected Cut Off 2023
हम आपको नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से वर्ग के अनुसार SSC MTS Expected Cut Off 2023 के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 100-110
• ओबीसी 95 -100
• एससी 90-100
• एससी 80-87
• पुर्व सैनिक 40-50
• विकलांग 91-95
• श्रवण विकलांग 45-50
• नेत्रहीन 75-80
SSC MTS Cut Off 2023 – वर्ग के अनुसार पिछले वर्ष का कटऑफ
उम्मीदवार एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु पिछले वर्षों के कटऑफ को देखकर SSC MTS Cut Off 2023 का अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए हम आपको उम्मीदवार के वर्गों के अनुसार SSC MTS Previous Year cutoff के बारे में निम्नलिखित टेबल के माध्यम से बताने जा रहे हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 110.50
• ओबीसी 101
• एससी 100.50
• एससी 87
• पुर्व सैनिक 49.50
• विकलांग 93
• श्रवण विकलांग 49
• नेत्रहीन 76
SSC MTS के पदों का विवरण
इस भर्ती अभियान के तहत कुल 11994 मल्टीटास्किंग और 529 हवलदार के पदों को भरा जाएगा। योग्यता की बात करें तो MTS के लिए उम्मीदवार को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अलावा हवलदार के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता यही है।
ऐसे में परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह बेहद ही जरूरी है, कि परीक्षा की तैयारी बेहतर ढंग से करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।
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