RK स्टूडियो बदलने जा रहा अपनी पहचान, अब कलाकारों को नहीं बल्कि बिजनेसमैन को देगा मौका

RK Studio Purchased By Godrej Company, They Will Build Moll Here
RK स्टूडियो बदलने जा रहा अपनी पहचान, अब कलाकारों को नहीं बल्कि बिजनेसमैन को देगा मौका
RK स्टूडियो बदलने जा रहा अपनी पहचान, अब कलाकारों को नहीं बल्कि बिजनेसमैन को देगा मौका

डिजिटल डेस्क, मुम्बई।​​ सिने जगत के शुरुआती दौर की याद दिलाता आरके स्टूडियो अब अपनी पहचान बदलने जा रहा है। 71 साल पुराने इस स्टूडियो को इस बार कोई नया कलाकार नहीं बल्कि नया बिजनेसमैन मिल गया है। कलाकरों की कला को निखारने वाला यह स्टूडियों अब एक शॉपिंग मॉल और आवासीय परिसर का रुप लेगा। चेंबूर स्थित 71 साल पुराने इस स्टूडियो के नए माालिक रियल्टी क्षेत्र के दिग्गज गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने यहां आवासीय परिसर और शॉपिंग प्लाजा बनाने का फैसला किया है। गोदरेज कंपनी के मालिक ने इस स्टूडियों को खरीदा है। आखिरी बार इस स्टूडियो में फिल्म "आ अब लौट चलें" शूट हुई थी। इस फिल्म के बाद कोई भी यहां फिल्म बनाने के लिए लौट कर नहीं आया। 

राज कपूर ने की ​थी शुरुआत
आरके स्टूडियो की स्थापना 1948 में राज कपूर ने की थी। इस स्टूडियों में कई सुपरहिट फिल्मों का निर्माण किया गया। इस ​स्टूडियों ने सिने जगत को नई पहचान दी थी। 16 सितंबर, 2017 को "सुपर डांसर" शो के दौरान इसमें आग लग गई थी हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। ऋषि कपूर ने इसके पुन: निर्माण के बारे में विचार किया था, लेकिन रणधीर कपूर ने कहा यह व्यावहारिक नहीं होगा।

इसलिए बेचा जा रहा स्टूडियो
स्टूडियों को बेचने का एक कारण यह भी है कि ईस्टर्न मुंबई में बना यह स्टूडियो अब फिल्मकारों की पसंद नहीं रहा। ज्यादातर लोग अब अंधेरी और गोरेगांव में शूटिंग करना पसंद करते हैं। ऐसे कई कारण हैं जो अब पूरे कपूर परिवार ने इस प्रसिद्ध आरके स्टूडियो को बेचने का फैसला किया। 

गोदरेज कंपनी इस तरह करेगी स्टूडियो का उपयोग
जीपीएल के कार्यकारी अध्यक्ष पिरोजशा गोदरेज ने कहा कि यह सौदा भारत के प्रमुख शहरों में प्रमुख स्थानों पर अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की कंपनी की रणनीति के साथ फिट बैठता है। गोदरेज ने कहा, "हम अपने निवासियों के लिए उत्कृष्ट जीवन शैली देने के लक्ष्य के साथ इस जगह के असाधारण विरासत का जश्न मनाया जाना सुनिश्चित करेंगे।"

आरके के बैनर तले बनीं ये फिल्में
आरके के बैनर तले "आग", "बरसात", "आवारा", "श्री 420", "जिस देश में गंगा बहती है", "मेरा नाम जोकर", "बॉबी", "सत्यम शिवम सुंदरम", "राम तेरी गंगा मैली" जैसी सुपरहिट फिल्में बनी थीं। राज कपूर का 1988 में जब निधन हुआ था, तो उनके बड़े बेटे रणधीर कपूर ने इसका जिम्मा संभाला। इसके बाद उनके भाई राजीव कपूर ने यहीं "प्रेम ग्रंथ" का निर्देशन किया था। इस स्टूडियो में बनी आखिरी फिल्म थी ‘आ अब लौट चलें।’ इसके बाद कोई यहां फिल्म बनाने के लिए लौट कर नहीं आया। 

ऋषि कपूर ने कहा 
इस स्टूडियो को लेकर ऋषि कपूर ने कहा कि "हमने अपने दिलों पर पत्थर रखकर और सोच-समझकर यह फैसला लिया है। हम सभी भाई एक-दूसरे से काफी जुड़े हैं लेकिन हमारे बच्चे और पोते क्या ऐसा कर पाएंगे? हम नहीं चाहते कि हमारे पिता के प्यार की निशानी किसी कोर्ट रूम का ड्रामा बने।"
 

Created On :   4 May 2019 11:25 AM IST

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