ओम पुरी का बचपन काफी संघर्षभरा था। वह रेल की पटरियों से कोयला इकट्ठा कर उसे घर लाते। ताकि घर का चूल्हा जल सके। उनके पिता सेना से रिटायर्ड थे। वे रेल्वे में नौकरी करते थे। लेकिन किसी कारणवश उनकी नौकरी छूट गई और उन्हें जेल जाना पड़ा। इसके बाद उनके पर आर्थिक संकट हो गया। दो वक्त का खाना भी मुश्किल से ही मिल पाता। इसी वजह से उन्होंने सात साल की उम्र में चाय की दुकान पर काम किया। इसके बाद उन्होंने ढाबे पर काम किया। ढाबे पर काम के दौरान उन पर चोरी का आरोप लगा और उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी।
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दैनिक भास्कर हिंदी: B'day: संघर्षभरा रहा ओम पुरी का जीवन,चोरी, कामवाली से संबंध जैसी जानें कई बातें
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। फिल्म इडस्ट्री के संजीदा एक्टर ओम पुरी की आज बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 18 अक्टूबर 1950 को पंजाब के अंबाला में हुआ था। हालांकि उनके जन्म को लेकर सामंजस्य बना हुआ है। उनके स्कूल के दस्तावेज में उनके जन्म की तारीख 9 मार्च 1950 लिखी हुई है। लेकिन उनकी मां तारा देवी बताती थीं कि ओम का जन्म दशहरे के दो दिन बाद हुआ था। तब से उनका जन्म 18 अक्टूबर को ही मनाया जाता है। ओम पुरी ने अपने फिल्मी कॅरियर में कई बेमिसाल फिल्में की। उनकी एक्टिंग का हर कोई दीवाना था। साल 2016 में ओम पुरी ने जब इस दुनिया को अलविदा कहा तो हमने एक संजीदा एक्टर को खो दिया था। आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनके बारे में खास बातें।


आपने देखा होगा कि ओम पुरी के चेहरे पर अजीब से निशान थे। दरअसल, छोटी उम्र में ही उन्हें छोटी माता निकल गई थी। जिसके चलते उनके बदन में हमेशा खुजली होती थी। वह उस दौरान खुजलाते रहते थे। तब घरवाले उनके हाथ बिस्तर से बांध कर रखते। छोटी माता की वजह से निकले दानों ने उनके चेहरे पर स्थायी दाग छोड़ दिए।

ओम पुरी के घर के हालात काफी खराब थे। गरीबी की वजह से उनके मामा उन्हें मुम्बई ले आएं। यहां उनकी पढ़ाई लिखाई शुरु हुई। इस वजह से पहली बार उनकी अभिनय प्रतिभा सामने आई। मगर चौदह की उम्र में मामा का घर छोड़ना पड़ा। मगर वह अपनी मेहनत-लगन से पढ़ते रहे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ओम पुरी ने खर्च निकालने के लिए एक वकील के पास नौकरी की। उसने नाटकों में काम के लिए छुट्टी नहीं दी तो नौकरी छोड़ दी।

ओम पुरी के कॉलेज में जब यह बात पता चली तो कॉलेज में उन्हें लैब असिस्टेंट बनाया गया और 125 रुपये वेतन दिया गया। कॉलेज फेस्टिवल में ऐक्टिंग ग्रुप चलाने वाले जज आए तो उन्होंने ओम से नौकरी छुड़वाई। अपने ग्रुप में 150 रुपये फीस पर एक्टर रखा और नुक्कड़ नाटक को ही उन्होंने अपनी दुनिया बना लिया।

ओम पुरी ने अंग्रेजी और पंजाबी टाइपिंग सीखी थी। इसकी बदौलत एक बार उन्हें सरकारी नौकरी मिली। परंतु ऐक्टिंग के लिए उन्होंने वह भी थोड़ दी। कहा, जिंदगी भर क्लर्क रहना मंजूर नहीं है। ओम पुरी को फिल्मों में काम पाने के लिए कभी ऑडिशन नहीं देना पड़ा। न देश में न किसी विदेशी फिल्म में। केवल सिटी ऑफ जॉय (1992) को छोड़ कर। वह भी मूल रूप से ऑडिशन नहीं था। केवल इंप्रोवाइजेशन और ऐक्टर्स की गहराई परखने के लिए ओम और शबाना आजमी को निर्माता-निर्देशकों ने कोलकाता बुलाया था।

ओम पुरी का विवादो से भी गहरा नाता रहा है। दरअसल, सीमा कपूर संग ओम पुरी की पहली शादी असफल रही। साल 1993 में ओम पुरी ने पत्रकार नंदिता से शादी की। दोनों का एक बेटा भी है। नंदिता ने ओम पुरी के जीवन पर किताब लिखी थी जिसके बाद उनके रिश्ते खराब हो गए। साल 2009 में आई इस किताब में नंदिता ने ओम पुरी के निजी जीवन से जुड़े ऐसे राज खोले थे जिनके सामने आने से ऐक्टर काफी नाराज हुए थे। किताब में बताया गया था कि ओम पुरी जब महज 14 साल के थे तो उनका घर में काम करने वाली नौकरानी पर दिल आ गया था और उनके साथ उनके सेक्शुअल संबंध थे। एक और नौकरानी से भी ओम पुरी संबंध रख चुके थे।

बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार ओम पुरी का निधन 6 जनवरी साल 2016 में हो गया था। उस वक्त वे घर में अकेले थे। उनकी मौत का खुलासा तब हुआ, जब कई बार दरवाजे की घंटी बजाने के बाद भी उन्होंने गेट नहीं खोला। जबरन गेट खोला गया तो अंदर ओम पुरी का मृत शरीर मिला। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में सामने आया कि उनकी मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।
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