दुख की घड़ी में फूटा गुस्सा: अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं, नाराज रहवासियों ने ग्रामपंचायत के बाहर शव रखकर किया प्रदर्शन

अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं, नाराज रहवासियों ने  ग्रामपंचायत के बाहर शव रखकर किया प्रदर्शन
  • गांव में श्मशान घाट नहीं
  • ग्रामपंचायत के बाहर शव रखकर हुआ प्रदर्शन
  • प्रशासन ने दिया आश्वासन

डिजिटल डेस्क, बीड। गेवराई तहसील के सुशी जिले का एक ऐसा गांव है, जहां अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं है। मृतकों का अंतिम संस्कार खुले में ही करना पड़ता है। जिसका विरोध भी होता है। गांववाले लंबे समय से श्मशान घाट की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती देख, एक परिवार मृतक का शव लेकर सीधा ग्रामपंचायत जा पहुंचा। जहां शव रखकर प्रदर्शन किया गया। बताया जा रहा है कि तुलशीराम आश्रुबा कलेढोण की हार्ट अटैक से अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। जिसके बाद उनका शव सुशी गांव लाया गया, लेकिन यहां अंतिम संस्कार के लिए घाट नहीं है, लिहाजा शव को अंतिम संस्कार के लिए खुले में लाया लगा, जिसका कुछ लोगों ने विरोध किया। इससे परेशान होकर परिवारवाले गांववालों और रिश्तेदारों के साथ अंतिम यात्रा लेकर ग्रामपंचायत पहुंच गए। लगभग पांच घंटों तक शव रखकर प्रदर्शन किया गया।

उधर पुलिस और प्रशासन को इसकी भनक लगी। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने मृतक तुलशीराम के परिजन को समझाबुझाकर शांत कराया। जिसके बाद जाकर अंतिम संस्कार हो सका।

गांववालों का कहना है कि प्रशासनिक अमला जिले में विकास कार्यों को लेकर दम भरता दिखाई देता है, लेकिन हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। मृतकों के परिजन को परेशान होना पड़ता है। गांववालों का आरोप है कि प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। गेवराई में सत्ताधारी भाजपा विधायक होने के बावजूद यह हालत है। गांववालों ने जिलाधिकारी दिपा मुधोल-मुंडे से अपील की है कि उनके गांव में श्मशान घाट के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाए।

Created On :   21 Dec 2023 3:14 PM GMT

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