Beed News: बंजारा समुदाय का विशाल मार्च, सांसद और 6 विधायकों का समर्थन

बंजारा समुदाय का विशाल मार्च, सांसद और 6 विधायकों का समर्थन
  • सांसद और विधायकों का समर्थन
  • बंजारा समुदाय की जनसंख्या और राजनीतिक प्रभाव
  • चुनावी समीकरणों पर असर

Beed News. शहर में सोमवार दोपहर बंजारा समुदाय ने अपनी आरक्षण की मांग को लेकर शक्ति प्रदर्शन किया। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर चौक से शुरू हुआ यह विशाल मार्च छत्रपति शिवाजी महाराज चौक से गुजरता हुआ जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुँचा। वहाँ पहुँचकर समुदाय के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी विवेक जान्सन को ज्ञापन सौंपा। मार्च में बंजारा समुदाय के हजारों लोग शामिल हुए। आरक्षण के मुद्दे पर मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच खड़े रहने वाले नेता भी इस बार बंजारा समुदाय के समर्थन में सड़कों पर उतरे। जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने हैदराबाद गजट का हवाला देकर मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने और उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया है। इसी तर्ज पर बंजारा समुदाय ने भी गजट प्रविष्टि का हवाला देते हुए अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। राज्यभर में बंजारा समुदाय एकजुट होकर एसटी आरक्षण की मांग कर रहा है।

सांसद और विधायकों का समर्थन

सांसद बजरंग सोनवणे ने इस मांग का खुलकर समर्थन किया। पूर्व मंत्री एवं विधायक धनंजय मुंडे स्वयं सड़कों पर उतरते दिखे। इसके अलावा विधायक सुरेश धस, विजयसिंह पंडित समेत जिले के सभी 6 विधायकों ने भी बंजारा समुदाय के समर्थन में खड़े होने का फैसला किया।

बंजारा समुदाय की जनसंख्या और राजनीतिक प्रभाव

जिले में बंजारा समुदाय की जनसंख्या लगभग 2.5 लाख है, जिनमें से करीब 1.9 लाख मतदाता हैं। अकेले गेवराई विधानसभा क्षेत्र में ही 63 हजार मतदाता इस समुदाय से हैं। जिले में 1286 लामन तांडे हैं, जो उनकी संगठनात्मक मजबूती का प्रमाण हैं। यही वजह है कि पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद तक के चुनावों में इस समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। स्थानीय विधायकों और नेताओं के लिए इस समुदाय का समर्थन बेहद अहम है। यही कारण है कि मार्च में कई प्रमुख नेताओं की मौजूदगी रही।

चुनावी समीकरणों पर असर

आगामी स्थानीय स्वराज्य चुनावों से पहले यह मार्च राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि बंजारा समुदाय का समर्थन किसी एक दल को मिला तो जिला परिषद और पंचायत समिति में जीत लगभग तय मानी जाएगी।

हैदराबाद गजट, मराठा आरक्षण की पृष्ठभूमि और बंजारा समुदाय की बड़ी जनसंख्या ने इस मार्च को राजनीतिक रूप से और भी अहम बना दिया है। यह आंदोलन महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आंदोलन की तरह नया समीकरण खड़ा कर सकता है।

Created On :   15 Sept 2025 5:21 PM IST

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