Jabalpur News: किसी भी रंग का स्वेटर या जैकेट चलेगा विद्यार्थियों को प्रवेश से रोका नहीं जाएगा

किसी भी रंग का स्वेटर या जैकेट चलेगा विद्यार्थियों को प्रवेश से रोका नहीं जाएगा
ठंड को देखते हुए आदेश जारी, कक्षा के बाहर जूते-चप्पल भी नहीं उतारेंगे

Jabalpur News: ठंड के मौसम में कुछ स्कूल नियम-कानूनों के पीछे पड़े रहते हैं और ऐसे में उन बच्चों को बड़ी परेशानी होती है जिनके पास स्कूल द्वारा निर्धारित किए गए स्वेटर, जैकेट या कोट नहीं हैं। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग ने जनहित में निर्णय लिया है कि कोई भी स्कूल बच्चों को पूरे ठंड के मौसम में गर्म कपड़ों के रंग या बनावट के आधार पर कक्षा में बैठने से नहीं रोक पाएंगे। किसी स्कूल ने ऐसा किया और शिकायत हुई तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही एक अन्य निर्णय भी लिया गया जिसमें साफ कहा गया है कि ठंड में कक्षा के बाहर जूते-चप्पल नहीं उतरवाएं जाएं।

संचालक लोक शिक्षण मप्र डीएस कुशवाह द्वारा जारी किए गए आदेश में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी शासकीय, अशासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों के गणवेश प्रोटोकॉल को सर्दी के मौसम में पूरी तरह से लागू न करने का आदेश दें। पत्र में उल्लेख है कि कतिपय प्रकरणों में यह देखने में आया है कि विद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा निर्धारित यूनिफाॅर्म अथवा सर्दी के मौसम में अलग-अलग रंग अथवा डिजाइन के स्वेटर, जैकेट या कोट पहनने के कारण उनको कक्षा में आने से वंचित कर दिया जाता है, यदि विद्यार्थी सर्दी के मौसम में किसी दिन गणवेश से अलग रंग डिजाइन के कपड़े, स्वेटर पहनकर विद्यालय में आते हैं तो उन्हें कक्षा में उपस्थित होने से न रोका जाए। यह भी देखने में आया है कि बहुत से स्कूलों में विद्यार्थियों को उनके जूते-चप्पल कक्षा के बाहर उतारने हेतु बाध्य किया जाता है, ठंड में ऐसा न करने दिया जाए क्योंकि इससे विद्यार्थी का स्वास्थ्य खराब होने की संभावना होती है।

ठंड में गर्म कपड़े देरी से सूखते हैं

स्कूली बच्चों के कपड़ों के साथ ही गर्म कपड़े भी जल्दी गंदे होते हैं। ऐसे में उन्हें धोने के बाद सुखाने में काफी वक्त लगता है। अक्सर रविवार को कपड़े धोए जाते हैं और यदि सोमवार तक स्वेटर या जैकेट नहीं सूखते हैं तो बच्चों को उनके बिना ही केवल शर्ट-पेंट में स्कूल जाना पड़ता है क्योंकि वहां प्रोटोकॉल का पालन कराया जाता है।

कई बच्चाें के पास तो स्कूल यूनिफाॅर्म के भी कई सेट होते हैं लेकिन हजारों विद्यार्थियों के पास एक जोड़ी भी मुश्किल से आते हैं। यही कारण है कि ऐेसे बच्चों की खातिर नियमों में ढील दी गई है, ताकि वे खुद को गरीब, असहाय न महसूस करें और जो कपड़े उनके पास उपलब्ध हैं उसी को पहनकर स्कूल जाएं।

Created On :   21 Nov 2025 5:41 PM IST

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