Jabalpur News: खदान के दायरे से एक फीट भी ज्यादा खुदाई हुई तो सैटेलाइट देगा चेतावनी

खदान के दायरे से एक फीट भी ज्यादा खुदाई हुई तो सैटेलाइट देगा चेतावनी
  • जिले की 150 खदानों की हुई जियो टैगिंग, हर खदान मोबाइल एप पर हमेशा रहेगी लाइव
  • बिना अनुमति कहां हो रहा खनन यह भी पता चलेगा
  • खनन के क्षेत्र में वर्षों से चल रही मनमानी रुकेगी और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को भी रोका जाएगा।

Jabalpur News: सैटेलाइट ईमेज और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की मदद से जल्द ही जिले में अवैध खनन पर पूरी तरह से नकेल कस दी जाएगी। किसी भी खदान में स्वीकृत हिस्से से एक फीट भी अधिक खुदाई होने पर सैटेलाइट के जरिए चेतावनी जारी कर दी जाएगी और खनिज विभाग तत्काल ही खनन रोककर अधिक खनन पर जुर्माना लगाएगा। इससे खनन के क्षेत्र में वर्षों से चल रही मनमानी रुकेगी और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को भी रोका जाएगा।

जिले में 150 के लगभग स्वीकृत खदानें हैं। इनमें आयरनओर, गिट्टी, पत्थर, बॉक्साइट, रेत और मैंगनीज का खनन किया जाता है। खदान संचालक को जितने क्षेत्र का पट्टा दिया जाता है या उसे जितने क्षेत्र में खनन की अनुमति होती है वह अक्सर ही उससे अधिक की खुदाई कर लेता है। खनिज विभाग को जब इसकी जानकारी मिलती है तब तक काफी देर हो जाती है। या तो खनिज की अनुमति समाप्त हो जाती है या फिर खनिज ही समाप्त हो जाता है।

ऐसे में खदान संचालक से वसूली भी नहीं हो पाती क्योंकि वह अवैध खनन से साफ इनकार कर देता है। इन सारी घटनाओं को रोकने के लिए ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त सिस्टम को अपनाया जाएगा और सैटेलाइट ईमेज और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की मदद से अवैध खनन को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।

ई-खनिज पोर्टल और गूगल अर्थ से खदानों की होती है निगरानी

खनिज विभाग अभी भी ई-खनिज पोर्टल के जरिए या गूगल अर्थ द्वारा खदान की वास्तविक लोकेशन आदि पर नजर रखता है लेकिन जियो टैगिंग के बाद सैटेलाइट ईमेज के जरिए पूरा नक्शा तक दिखेगा। इसमें स्वीकृत क्षेत्र की सीमा भी दर्शाई जाएगी और यह लगातार दिखेगी जिससे स्वीकृत हिस्से से बाहर निकलते ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए वार्निंग मिल जाएगी और अवैध खनन तुरंत रुकवा दिया जाएगा।

ड्रोन से भी हाेगा सर्वे

बताया जाता है कि यदि किसी खदान में स्वीकृ़ति से अधिक खनन किया गया है तो आवश्यकता पड़ने पर खदान या उसके बाहर ड्रोन सर्वे कर वॉल्युमेट्रिक एनालिसिस से वास्तविक उत्खनित मात्रा का पता लगाकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई कर अर्थदण्ड अधिरोपित करने की परियोजना भी प्रक्रियाधीन है। इसके जरिए हर जिले को ड्रोन भी प्रदान किए जाएंगे और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर सर्वे कराया जाएगा।

स्वीकृत से अधिक अवैध खदानें

जानकारों का कहना है कि जिले में जितनी खदानें स्वीकृत हैं उससे कहीं अधिक अवैध खदानें संचालित हो रही हैं। लगातार रेत का अवैध खनन किया जा रहा है, मुरुम निकाली जा रही है, पत्थरों-चट्टानों का विध्वंस जारी है। ऐसे में खनिज का नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही पर्यावरण को भी क्षति पहंुचाई जा रही है। आधुनिक तकनीक के जरिए यदि पर्यावरण को सुरक्षित किया जाएगा तो इससे आने वाली पीढ़ियां दुआएं देंगी।

मोबाइल पर होगी सारी जानकारी

मोबाइल एप भी तैयार किया जा रहा है जिसमें सैटेलाइट ईमेज और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की मदद से अवैध खनन का पूरा डाटा सामने आ जाएगा। इसके बाद कार्रवाई करते हुए मामला भी दर्ज कराया जाएगा। कुछ ही समय बाद सभी खदानें पूरी तरह लाइव रहेंगी ताकि कोई भी अवैध खनन न कर पाए।

- रत्नेश कुमार दीक्षित, खनिज अधिकारी

Created On :   14 May 2025 7:09 PM IST

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