Jabalpur News: ट्रैफिक सिग्नल, ननि ने कहा- 4 चालू, एक बंद, 3 ब्लिंकिंग स्टेज में

ट्रैफिक सिग्नल, ननि ने कहा- 4 चालू, एक बंद, 3 ब्लिंकिंग स्टेज में
सरकार ने जवाब के लिए मांगी मोहलत, दो सप्ताह बाद होगी सुनवाई

Jabalpur News: शहर में कई जगहों के बंद पड़े ट्रैफिक सिग्नलों के मामले में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। नगर निगम की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि उनके क्षेत्राधिकार में शहर के 8 सिग्नल आते हैं। इनमें से 4 चालू हैं, एक बंद है और 3 ब्लिंकिंग स्टेज पर हैं। वहीं इस मामले में राज्य शासन की ओर से जवाब पेश करने मोहलत मांगी गई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस डीडी बंसल की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद नियत की है। इस मामले में स्मार्ट सिटी को भी जवाब देना है। नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे एवं रजत भार्गव ने याचिका दायर कर कहा ट्रैफिक सिग्नल बंद होने से शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई है।

कैमरों से भी निगरानी नहीं

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि जबलपुर शहर में लगे कई ट्रैफिक सिग्नल बंद हैं। इन सिग्नलों पर लगे कैमरों से भी निगरानी नहीं हो रही है। इस कारण ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर ई-चालान की कारवाई नहीं हो पा रही है। इसके चलते शासन को भी लाखों रुपए की क्षति हो रही है, साथ ही ट्रैफिक सिग्नल बंद होने से प्रत्येक चौराहे पर जाम लगा रहता है। नगर निगम स्मार्ट सिटी एवं यातायात विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। मांग की गई कि सभी ट्रैफिक सिग्नल व ट्रैफिक व्यवस्था तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए जाएं। पूर्व में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम व स्मार्ट सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

सरकार बताए कि प्रतिभाशाली छात्रों को समायोजित करने की क्या है नीति

11 वर्षीय विलक्षण प्रतिभा के छात्र को नौवीं कक्षा में प्रवेश से जुड़ा प्रकरण

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को यह बताने कहा है कि प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को समायोजित करने की क्या नीति है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस डीडी बंसल की युगलपीठ ने अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को नियत की है। हाईकोर्ट के एकलपीठ के फैसले के खिलाफ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपील की है। हाई कोर्ट की एकलपीठ ने 11 वर्षीय छात्र को कक्षा नौवीं में अस्थाई तौर पर प्रवेश देने के आदेश जारी किए थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत विशेष कक्षाओं में प्रवेश के लिए आयु मानदंड निर्धारित किया गया है।

अपील पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि जिस दिन यह मामला सूचीबद्ध हुआ, उसके अगले दिन देश के एक सबसे युवा सर्जन की खबर आई। वह व्यक्ति 13 या 14 साल की उम्र में सर्जन बन गया। केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि इस संबंध में संबंधित विभाग से परामर्श मांगा गया है, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। युगलपीठ ने पाया कि देश में इन प्रतिभाशाली बच्चों को पहले से ही मान्यता प्राप्त है, 12 साल की उम्र में छात्र आईआईटी की पढ़ाई कर रहा है। आईआईटी भारत में है, इस तरह के बच्चों को मान्यता दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। कोर्ट को बताया गया कि छात्र को अस्थाई तौर पर कक्षा नौवीं में प्रवेश दिया गया है।

Created On :   8 Oct 2025 6:18 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story