Jabalpur News: सुरक्षा निधि के नाम पर वसूला जा रहा तीन गुना पैसा

  • बिलिंग सॉफ्टवेयर के जरिए मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं पर बिजली विभाग की एक और मार
  • वॉट क्षमता बढ़ने के बाद खपत जस की तस
  • विभाग केवल मोबाइल संदेशों के जरिए कुल देय राशि की जानकारी भेज रहा है।

Jabalpur News: मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भले ही लाख दावे करे कि वो आम उपभोक्ताओं को सुविधाजनक और पारदर्शी तरीके से सुविधाएं देती है, लेकिन हकीकत ये है िक बिजली कंपनी उपभोक्ताओं से वसूली के लिए कोई भी माैका नहीं गंवाती। तरह-तरह के आरोपों के बाद अब बिजली विभाग पर बिलिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से आम उपभोक्ताओं से अवैध वसूली करने का आरोप सामने आया है।

जानकारी के अनुसार गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ता जिनके पास 2 किलोवाॅट क्षमता का घरेलू बिजली कनेक्शन है, उनसे सुरक्षा निधि के नाम पर हर महीने 2553 रुपए की राशि वसूली जा रही है। यह प्रक्रिया लगातार तीन माह तक चल रही है, जिससे प्रत्येक उपभोक्ता पर लगभग 7500 रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इस मामले में बिजली अधिकारियों के कई तर्क सामने आए हैं। कोई सुरक्षा निधि को पुरानी बिलिंग के तुलनात्मक बिल का भुगतान बता रहा है, तो कोई उपभोक्ताओं को ही गलत ठहराने में जुटा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि अप्रैल से मई 2025 के बीच बिजली विभाग ने शहर में अभियान चलाकर 1 किलोवाॅट के सभी कंज्यूमर्स के मीटरों को 2 किलोवाॅट की क्षमता का किया था। इनमें से ज्यादातर उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर भी लगा दिए गए थे, लेकिन कई ऐसे भी थे जिनके घरों में अभी भी इलेक्ट्रॉनिक मीटर ही लगे हैं। स्मार्ट मीटरों की खपत तो ज्यादा आने की शिकायतें लगातार मिल ही रही हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीटर वाले उपभोक्ताओं की खपत उतनी ही है, लेकिन यह लगातार तीन महीने तक 2553 सुरक्षा निधि के बिल में जुड़कर आ रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ऐसे उपभोक्ताओं को नियमित कागजी बिल उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं।

विभाग केवल मोबाइल संदेशों के जरिए कुल देय राशि की जानकारी भेज रहा है। विस्तृत बिल न मिलने के कारण उपभोक्ता यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि उनसे कौन सी मद में और किस आधार पर अतिरिक्त राशि ली जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की वसूली उपभोक्ता अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यह सिर्फ तकनीकी त्रुटि का मामला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित प्रणालीगत खामी की ओर इशारा करता है, जिससे आम जनता लगातार आर्थिक प्रताड़ना झेल रही है।

Created On :   1 Sept 2025 5:37 PM IST

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