Jabalpur News: फिर बढ़ा मोडिफाइड सायलेंसर लगे वाहनों का शोर, राहगीरों की फजीहत

फिर बढ़ा मोडिफाइड सायलेंसर लगे वाहनों का शोर, राहगीरों की फजीहत
शहर की दुकानों पर धड़ल्ले के साथ लगाए जा रहे, आरटीओ एवं यातायात पुलिस की बेरुखी से सड़क पर चलना मुश्किल

Jabalpur News: शहर की सड़कों पर आवागमन के दौरान जब लोग बगल से दौड़ रही बाइकों के कानफोड़ू सायलेंसर की आवाज सुनते हैं, तब वे अंदर तक थर्रा जाते हैं और कई बार तो लोग सड़क हादसों का शिकार तक हो जाते हैं। इसके बावजूद आरटीओ एवं यातायात पुलिस के जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। यही वजह है कि दुकानों पर धड़ल्ले के साथ मोडिफाइड सायलेंसर दोपहिया वाहनों में लगाए जा रहे हैं। इस पूरे गोरखधंधे में जहां दुकान संचालक मोटी रकम कमा रहे हैं, तो वहीं बाइकर्स मौज-मस्ती कर रहे हैं लेकिन बुजुर्ग एवं गर्भवती महिलाओं की सेहत जरूर बिगड़ रही है।

आधा दर्जन दुकानों पर लगाए जा रहे मोडिफाइड सायलेंसर

जानकारों की मानें तो शहर के सिविक सेंटर, रसल चौक, शास्त्री ब्रिज, रद्दी चौकी, बड़ी ओमती एवं नागरथ चौक रोड पर स्थित स्पेयर पार्ट्स की आधा दर्जन से अधिक दुकानों पर तेज आवाज वाले सायलेंसर व हॉर्न बाइकों में लगाए जा रहे हैं। सामान्य सायलेंसर की आवाज 60 से 65 डेसिबल ध्वनि की होती है और वह मानव शरीर के लिए नॉर्मल मानी जाती है, लेकिन कुछ बाइक चालक साइलेंसर मोडिफाइड करवाकर उससे 100 से लेकर 180 डेसिबल तक की ध्वनि निकाल रहे हैं, जो कि कई तरह की मानसिक समस्याओं को उत्पन्न कर रहा है।

बगल से गुजरते ही महसूस होता है तेज कंपन

शहर की पॉश कॉलोनियों से लेकर बाजारों तक में जब भी कोई तेज आवाज सायलेंसर वाली बाइक बगल से गुजरती है। तब कुछ देर के लिए घबराहट होने के साथ ही तेज कंपन भी महसूस होता है। इतना ही नहीं सामान्य आवाज वाले सायलेंसर की जगह बाइक के एक्जॉस्ट की आवाज में ज्यादा थंडर लाने के लिए लगवाए जाने वाले मोडिफाइड सायलेंसर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल तत्काल बंद कराना बेहद जरूरी हो चुका है।

बीमारियों को जन्म देती है पटाखों और फायरिंग जैसी आवाज

बाइकों में अधिकांश तौर पर लोग पटाखों और फायरिंग की आवाज वाले सायलेंसर लगवाना अधिक पसंद करते हैं। किसी भी हॉर्न अथवा सायलेंसर में मौजूद 60 से 65 डेसिबल ध्वनि इंसान के लिए नॉर्मल मानी जाती है। लेकिन इससे अधिक की ध्वनि शोर अथवा प्रदूषण की श्रेणी में आती है। आवाज की तीव्रता 80 डेसिबल से अधिक होने पर लोगों में सुनने की क्षमता प्रभावित होने, सिरदर्द, थकान, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, उत्तेजना और गुस्सा आना जैसी बीमारियां जन्म ले सकती हैं।

चेकिंग अभियान के दौरान जब भी किसी बाइक में तेज आवाज वाले मोडिफाइड सायलेंसर लगे मिलते हैं, तब उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई कर उक्त सायलेंसर को निकलवाकर तत्काल जब्त किया जाता है। आगामी दिनों में भी यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती रहेगी।

-बैजनाथ प्रजापति डीएसपी, ट्रैफिक पुलिस

Created On :   29 Oct 2025 2:58 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story