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Jabalpur News: जंगल में हरियाली बिखेरेंगे जंगली पौधे, 3.59 लाख प्लांट लगेंगे, इनका सक्सेस रेशो 60%

- जबलपुर वनमंडल की सभी रेंजों में पाैधारोपण अभियान की शुरुआत हो चुकी है
- इस वर्ष करीब 3 लाख 59 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
Jabalpur News: पानी धरती को रिमझिम फुहारों से भिगो चुका है। सौंधी खुशबू आने लगी है। प्रकृति को हरा-भरा करने का लक्ष्य भी तय हो चुका है। वन विभाग जंगल को हरियाली से भरने के लिए इस बार 3.59 लाख पौधे रोपने वाला है। दावा यह है कि रोपे जाने वाले पौधों की प्रजाति भी जंगली है, यानी जहांं इनका पालन-पोषण होगा, वह जगह इनके लिए अनुकूल है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि रोपे जाने वाले पौधों का पेड़ आकार लेने की सफलता का रेट 60% तक है।
वन विभाग के दावोंं को सच मानें तो इस बार तकरीबन 323 हेक्टेयर (798 एकड़) क्षेत्र में हरे-भरे पेड़ मुस्कुराएंगे। पौधारोपण के लिए में कैंपा, कार्ययोजना व विस्तार वानिकी की टीमों ने सभी रेंजों में कार्य शुरू कर दिया है। डीएफओ ऋषि मिश्रा के निर्देश पर जबलपुर, कुंडम, सिहोरा, शहपुरा, पनागर, बरगी और बरेला रेंजरों ने अपनी-अपनी टीमों के साथ जंगली एरिया को चिन्हित करके वन समितियों के माध्यम से तैयारियां शुरू हो गई हैं।
फैक्ट फाइल उपयोगिता
सागौन- सागौन के पेड़ की लकड़ी काफी मजबूत होती है, इसका उपयोग फर्नीचर बनाने में किया जाता है।
शीशम- शीशम की लकड़ी फर्नीचर बनाने में उपयोग होती है, इसकी पत्तियों से मधुमेह की दवाइयां भी बनती हैं।
हर्रा-बहेड़ा- हर्रा-बहेड़ा के पेड़ों में लगने वाले फल औषधि बनाने के उपयोग में आते हैं।
पीपल-बरगद- पीपल और बरगद के पेड़ ऑक्सीजन ज्यादा देते हैं, इनकी उपयोगिता वातावरण को शुद्ध करने में ज्यादा मानी जाती है।
आंवला-खमेरा- आंवला और खमेरा के पौधे फलदार होते हैं, इनके फल खाने की कई चीजों व जूस बनाने में प्रयोग किए जाते हैं।
महुआ- महुआ सबसे ज्यादा प्रभावशाली जंगली पौधा है, इसके फल से औषधि के साथ कई तरह की खाद्य सामग्री बनती है।
कौन, कितने पौधे लगाएगा
2.72
कैंपा की पीए व एनपीवी टीमें 2 लाख 72 हजार पौधे रोपेंगी।
77
इसके अलावा कार्ययोजना समिति 77,000 पौधों का रोपण करेगी।
07
विस्तार वानिकी की टीम करीब 7 हजार पौधे लगाने वाली है।
इन प्रजातियों के भी पौधे लगाए जाएंगे
हर बार की तरह जंगली एरिया में पीपल, बांस, महुआ के अलावा अन्य जंगली प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। इसके अलावा क्षेत्र के हिसाब और डिमांड पर कई प्रजातियों के पौधे रोपे जाएंगे। इन प्रजाति के पौधे को सामान्य तौर पर पेड़ बनने में आठ से दस साल लगते हैं। इसके अलावा दूसरे फल व फूलदार पौधों की अपेक्षा इन प्रजाति के पौधों की केयर ज्यादा नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि ये सभी फॉरेस्ट ट्री की श्रेणी में आते हैं।
एक्सपर्ट व्यू
जबलपुर वनमंडल की सभी रेंजों में पाैधारोपण अभियान की शुरुआत हो चुकी है, इस वर्ष करीब 3 लाख 59 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पौधा रोपने के बाद उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है।
ऋषि मिश्रा, डीएफओ जबलपुर वनमंडल
जंगली पौधे में विषम हालातों में भी जीवित रहने की क्षमता होती है। तकरीबन 60 से 70 फीसदी पौधे हर मौसम में सर्वाइव कर जाते हैं। इनकी संरचना इस तरह होती है जिससे गर्मी में कम पानी और लंबे समय तक बारिश के दौरान भी इनकी वृद्धि पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है।
प्रो. सुरेंद्र सिंह, वनस्पति शास्त्री, रादुविवि
Created On :   24 Jun 2025 2:16 PM IST