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बॉम्बे हाई कोर्ट ने एमबीए एवं एमएमएस प्रवेश प्रक्रिया को चुनौती देने वाली 154 छात्रों की याचिका की खारिज
- एमबीए एवं एमएमएस प्रवेश प्रक्रिया
- प्रवेश प्रक्रिया को चुनौती देने वाली 154 छात्रों की याचिका की खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने केवल 154 छात्र आए हैं। उनका कहना है कि राज्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) की पूरी परीक्षा दोबारा होनी चाहिए. प्रवेश परीक्षा देने वाले सैकड़ों-हजारों अन्य छात्रों के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। अदालत ने 154 छात्रों की याचिका को बिना तथ्य के होने के कारण खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जी.एस.पटेल और न्यायमूर्ति डॉ.नीला केदार गोखले की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को 154 छात्रों की ओर से दायर वकील सतीश तलेकर और वकील माधवी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में एमबीए/एमएमएस कॉलेजों में प्रवेश पाने के इच्छुक कुछ छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की गयी थी। उसमें राज्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) द्वारा अपनाए गए अंकों की सामान्यीकरण प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। इस परीक्षा में लगभग 1 लाख छात्र हैं, जिनमें से लगभग 150 छात्रों ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए प्रवेश परीक्षा और प्रवेश प्रक्रिया को रद्द करने और दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी।
अदालत ने कहा कि हमारे सामने केवल 154 छात्र आए हैं। उनका कहना है कि पूरी सीईटी परीक्षा दोबारा होनी चाहिए। प्रवेश परीक्षा देने वाले सैकड़ों-हजारों अन्य लोगों के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। याचिकाकर्ता सभी उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, फिर भी हमसे उम्मीद की जाती है कि वे सभी व्यक्ति वर्तमान असंतुष्ट व्यक्तियों के कहने पर दूसरों को सुनने का मामूली अवसर दिए बिना पीड़ित होंगे। खंडपीठ ने कहा कि वास्तव में संरचनात्मक विफलताओं या विसंगतियों की ये सभी शिकायतें परिणाम घोषित होने के बाद ही सामने आती हैं। हम याचिका में कोई तथ्य देखने में पूरी तरह असमर्थ हैं। हम तथ्यों और सार के आधार पर इसे अस्वीकार करते हैं। क्योंकि याचिकाकर्ता छात्र हैं, इसलिए हम उन पर लागत लगाने का आदेश देने से बचते हैं।
Created On :   11 July 2023 8:57 PM IST