हत्या का उद्देश्य अस्पष्ट होने से आजीवन कारावास के दोषी को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत

हत्या का उद्देश्य अस्पष्ट होने से आजीवन कारावास के दोषी को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत
  • सफाई कर्मचारी पर बार-बार परेशान करने और पैसे मांगने पर सहकर्मी की हत्या करने का आरोप
  • ठाणे सेशन कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
  • नवी मुंबई से सीबीडी बेलापुर में युवक की कई टुकड़ों में कचरे के डिब्बे में मिली थी लाश

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट से सहकर्मी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास के दोषी सत्यनारायण यादव(22) को जमानत मिल गयी है। अदालत ने प्रथम दृष्टिया पाया कि हत्या का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। यादव के पास से मृतक के जो कपड़े बरामद किए गए थे, उस पर खून के धब्बे नहीं पाए गए थे। पुलिस ने उसे फारेंसिक जांच के लिए भेजा था, लेकिन उससे साबित नहीं हुआ कि बरामद कपड़े मृतक के ही थे।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को वकील रविराज परमाने की ओर से सत्यनारायण यादव की जमानत के लिए दाखिल याचिका सुनवाई हुई। वकील रविराज परमाने ने दलील दी कि नवी मुंबई की सीबीडी बेलापुर पुलिस को 7 जुलाई 2015 को कचरे के डिब्बे में युवक की लाश मिली थी। उसकी पहचान कार्तिक जयसवाल के रूप में हुई थी। वह सार्वजनिक शौचालय में साफ-सफाई का काम करता था। पुलिस ने शक के आधार पर हत्या के मामले में उसके सहकर्मी रहे सत्यनारायण यादव को गिरफ्तार किया।

पुलिस ने आरोपपत्र में दावा किया कि यादव ने अपने दो साथियों के साथ जयसवाल की हत्या कर दी, क्योंकि वह उसे बार-बार परेशान करता था और उससे पैसे मांगता था। उसने सबूत मिटाने के लिए उसकी लाश को शौचालय में टूकड़े-टूकड़े कर कचरे के डिब्बे में फेंक दिया। पुलिस ने उसके दो साथियों मनोज यादव और कमलेश वंसल को गिरफ्तार किया। ठाणे सेशन कोर्ट ने सत्यनारायण और मनोज के आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जबकि कमलेश को 5 साल की कारावास की सजा हुई।

खंडपीठ ने पाया कि पुलिस द्वारा कार्तिक की हत्या के बताया गया उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। सहकर्मी सत्यनारायण के पास से मृतक के बरामद कपड़े और कोइता पर खून के धब्बे नहीं हाए गए। पुलिस के कराए गए फारेंसिक जांच में यह साबित नहीं हो सका कि बरामद कपड़े मृतक के ही थी। जिस कोइता का इस्तेमाल लाश को काटने के लिए किया गया, उस पर खून के धब्बे नहीं पाए गए थे। अदालत ने बिहार के मूल रूप से रहने वाले सत्यनारायण को अदालत ने जमानत दे दी। वह 8 साल से पुणे की जेल में बंद था।

Created On :   3 Sept 2023 7:56 PM IST

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