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बॉम्बे हाई कोर्ट - संसद को किशोरों के लिए सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम करने पर हो विचार
- विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
- अदालत ने टिप्पणी की
- संसद को किशोरों के लिए सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम करने पर हो विचार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि देश की संसद को किशोरों के लिए सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र कम करने पर विचार करना चाहिए। अब समय आ गया है कि हमारे देश की संसद दुनिया भर में हो रही घटनाओं पर ध्यान दें। दुनिया के कई देशों में पहले से ही सहमति से यौन संबंध बनाने की कम उम्र को अपनाया है। अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम के तहत आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की। हालांकि अदालत ने
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ के समक्ष 10 जुलाई को 25 वर्षीय व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में विशेष अदालत के फरवरी 2019 के आदेश को चुनौती दी गयी थी, जिसमें याचिकाकर्ता को 17 वर्षीय लड़की से बलात्कार के लिए दोषी ठहराया गया था। जबकि याचिकाकर्ता और लड़की ने दावा किया था कि वे सहमति से रिश्ते में थे। लड़की ने विशेष अदालत के समक्ष अपनी दलील में दावा किया था कि मुस्लिम कानून के तहत उसे बालिग माना जाता है और इसलिए उसने आरोपी व्यक्ति के साथ 'निकाह' किया है।
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए अपने फैसले के टिप्पणी में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की, जिसमें सहमति से रिश्ते बनाने पर पीड़ितों के किशोर होने पर आरोपियों को दंडित किया जाता है। पीठ ने कहा कि यौन स्वायत्तता में यौन गतिविधि में शामिल होने का अधिकार और यौन आक्रामकता से सुरक्षित रहने का अधिकार दोनों शामिल हैं। जब किशोरों के अधिकारों के दोनों पहलुओं को मान्यता दी जाती है, तो मानव यौन गरिमा को पूरी तरह से सम्मानित माना जा सकता है।
Created On :   13 July 2023 9:04 PM IST