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दूसरे धर्म में हुई शादियों का रिकार्ड इकट्ठा के लिए समिति गठित करने के प्रस्ताव को हाईकोर्ट में चुनौती
- हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
- 2 अगस्त को मामले में अगली सुनवाई
- प्रस्ताव में महिलाओं को अपने जीवन साथी चुनने के मूलभूत अधिकार के खिलाफ
डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह। राज्य सरकार के महिला और बाल विकास विभाग के पिछले साल 13 दिसंबर को लड़कियों एवं महिलाओं की दूसरे धर्म में शादी को लेकर आए एक प्रस्ताव (जीआर) को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी। अदालत में दाखिल जनहित याचिका में महिला और बाल विकास विभाग के जीआर को भारतीय संविधान के अनुसूचित 14, 15, 19, 21 और 25 में दिए मानवाधिकार के उल्लंघन का दावा किया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष 5 जुलाई को सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस की ओर से वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई एवं वकील ऋषिका अग्रवाल की दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता वीरेंद्र सराफ अदालत में पेश हुए और इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय की मांग की। खंडपीठ ने सरकार को 26 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार के महिला और बाल विकास विभाग ने 13 दिसंबर 2022 को एक प्रस्ताव पास किया था, जिसमें दूसरे धर्म में हुई शादी करने वाली महिलाओं के रिकार्ड तैयार करने के लिए अंतरधर्मीय विवाह-परिवार समन्वय समिति का गठन किया गया है।
समिति का अध्यक्ष महिला और बाल विकास विभाग के मंत्री हैं। इसके अलावा महिला बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव सह सचिव, पुणे के आयुक्त, उपायुक्त समेत 8 प्राइवेट लोगों को समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह समिति जिला स्तर पर दूसरे धर्म में शादी करने वाली महिलाओं को होने वाली परेशानियों पर नजर रखेगी और उन्हें हर संभव मदद करेगी। इसमें केवल रजिस्टर्ड मैरिड ही नहीं, बल्कि मंदिर-मस्जिद और घर से भाग कर विवाह करने वाली महिलाएं शामिल है।
याचिकाकर्ता की दलील है हि समिति दूसरे धर्म में शादी करने वाली लड़कियों एवं महिलाओं की जानकारी इकट्ठा कर रही है। समिति को महिलाओं की शादी से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी लेने का अधिकार नहीं है। महिलाओं से जुड़ी इकट्ठा किए गई जानकारी लीक हो सकती है।इससे उनके जान को खतरा भी है। समुदाय विशेष से जुड़ी दूसरे धर्म में की गई शादी को लव जेहाद से जोड़ा जा रहा है। महिलाओं को संविधान में अधिकार दिया गया है कि वह अपनी मर्जी से किसी भी जाति और धर्म में शादी कर सकती है। लड़कियां दूसरे धर्म के व्यक्ति में अपने परिवार के खिलाफ जा कर शादी करती है। उन्हें उनके परिवार से भी खतरा होता है
Created On :   9 July 2023 7:59 PM IST