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स्पष्टीकरण: मेरा अजित के साथ मतभेद नहीं- छगन भुजबल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के खाद्य व नागरिक आपूर्ति छगन भुजबल ने राज्य सरकार के विभागों में ओबीसी अफसरों की संख्या को लेकर उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ हुई तीखी नोकझोंक पर सफाई दी है। शनिवार को नाशिक में भुजबल ने कहा कि मेरी अजित के साथ हुई बहस को बेमतलब राई का पहाड़ बनाया गया। मेरा अजित के साथ कोई मतभेद नहीं है। भुजबल ने कहा कि मैंने शुक्रवार को राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में हुई बैठक के दौरान गायकवाड आयोग की रिपोर्ट के हवाले से सरकारी नौकरियों में ओबीसी अफसरों के आंकड़ों को पेश किया था। मैंने दलित, आदिवासी, ओबीसी और सामान्य वर्ग के अफसरों की भर्ती और उसका प्रतिशत बताया था। मेरे आंकड़ों के बारे में जब अजित ने एक अधिकारी को पूछा तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जानकारी नहीं है। फिर अजित ने मुझसे कहा कि आपका आंकड़ा असत्य है। जिस पर स्वाभाविक रूप से थोड़ा नाराज हो गया था। मैंने अजित से कहा कि मेरा आंकड़ा सही है। जिसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दिया कि सरकार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग से दोबारा आंकड़े जुटाए जाएंगे। भुजबल ने कहा कि मैंने अधिकारी को मेरे पास उपलब्ध आंकड़े दिए तो उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि यह आकड़े सही है। लेकिन ओबीसी के अंतर्गत जातिवार आंकड़े सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।
न्याय के खिलाफ बोलना पड़ता है
भुजबल ने कहा कि सरकारी नौकरियों में यदि ओबीसी को न्याय नहीं मिल रहा है तो बोलना पड़ता है। उन्होंने कहा कहा कि हम लगातार आरक्षण की बात करते हैं। लेकिन जो आरक्षण लागू है कम से कम उसका अनुशेष तो दूर होना चाहिए।
भुजबल का कटाक्ष
भुजबल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार के पास अफसरों का जातिवार आंकड़ा होगा पर वह सरकार को तत्काल नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार नौकरी में रोस्टर रजिस्टर के अनुसार ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, घुमंतु जाति व जनजाति के पदों पर भर्ती हो रही है। इसलिए सरकार के पास अफसरों का जातिवार आंकड़ा निश्चित रूप से उपलब्ध होगा पर यह तत्काल नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम है कि सरकार अफसरों के जातिवार आंकड़े जुटाने वाली है अथवा नहीं।
मदद मांगने का मतलब ब्लैकमेल नहीं होता
इस बीच भुजबल ने राकांपा के पूर्व विधायक रमेश कदम के उस आरोप का जवाब दिया जिसमें कदम ने कहा था कि भुजबल जेल में रहने के दौरान जमानत पाने के लिए राकांपा (शरद) के अध्यक्ष शरद पवार को ब्लैकमेल करते थे। भुजबल ने कहा कि मैंने जेल में रहने के दौरान अपने परिवार के लोगों को पवार से मदद मांगने की बात कही थी। अपने नेतृत्व से मदद मांगने का मतलब उन्हें ब्लैकमेल करना नहीं होता है। कदम को ब्लैकमेल शब्द का मतलब नहीं मालूम है।
Created On :   30 Sept 2023 6:35 PM IST