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कोस्टल रोड परियोजना प्रभावितों को 134 करोड़ के पैकेज को मंजूरी का इंतजार

- आयुक्त की स्वीकृति नहीं मिलने से मुआवजे का आवंटन अटका
- देरी होने पर मनपा प्रशासन को उठाना पड़ेगा करोड़ों रुपए का बोझ
- 1343 प्रभावितों को मिलेगा मुआवजा
डिजिटल डेस्क, प्रमुख संवाददाता, मुंबई. कोस्टल रोड परियोजना में प्रभावित मछुआरों को बीएमसी ने मुआवजा देने का निर्णय लिया है। इसके लिए 134 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह प्रस्ताव मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है। लेकिन आयुक्त की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण मुआवजे का आवंटन अटका हुआ है। प्रस्ताव स्वीकृत होने में जितनी देरी होगी, ब्याज की राशि उतनी ही बढ़ेगी और मनपा प्रशासन को करोड़ों रुपये का बोझ उठाना पड़ेगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
मुंबई कोस्टल रोड प्रियदर्शनी पार्क से वर्ली सी लिंक तक के बीच प्रभावित मछुआरों को मुआवजा देने की मांग की जा रही है। कोस्टल रोड परियोजना अक्टूबर 2018 से प्रगति पर है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान आदेश दिया था कि यदि कोस्टल रोड परियोजना के कारण मछुआरा समुदाय की मौजूदा आजीविका पर कोई प्रभाव पड़ता है, तो उसके लिए मुआवजा दिया जाए। इसके बाद बीएमसी ने प्रभावितों को मुआवता देने के लिए एक कार्य योजना तैयार की। मुआवजा नीति और योजना निर्धारित करने के लिए मनपा आयुक्त (पूर्वी उपनगर) की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय मछुआरा पुनर्वास निर्धारण समिति का गठन किया गया। इसमें नौ सदस्यों के अलावा स्थानीय मछुआरा सहकारी समिति के प्रतिनिधियों को आमंत्रित सदस्य के तौर पर रखा गया।
टाटा संस्थान ने किया मुआवजे संबंधी अध्ययन
इसके बाद टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान को मछुआरों की आजीविका के साधनों और उन पर उनके प्रभाव का सर्वेक्षण और अध्ययन करने और मुआवजा नीति और योजना तैयार करने के लिए नियुक्त किया गया।
परियोजना में हो रही देरी से मुआवजा बढ़ाया
परियोजना पर काम नवंबर 2023 में पूरा होने की उम्मीद थी। लेकिन मुख्यमंत्री ने वर्ली के कोलीवाड़ा के पास पुल के दो पियर के बीच की दूरी 2022 में 60 से बढ़ाकर 120 मीटर करने की घोषणा की। तटीय सड़क पर काम में एक साल और यानि मई 2024 तक की देरी हो रही है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के अनुसार, काम पूरा होने तक मुआवजे की आवश्यकता है। इसलिए मुआवजे की राशि मई 2024 तक बढ़ा दी गई है।
मछुआरों को मुआवजा के ब्योरा
30,22,82,668 करोड़ का प्रावधान किया गया वर्ली कोलीवाडा और हाजी अली लोटस जेट्टी में प्रभावित मछुआरों के लिए
122,01,63,027 करोड़ हो गई मई 2024 तक कुल मुआवजे की राशि
12,20,16,303 करोड़ रुपये मुआवजे की राशि में 10% अतिरिक्त ब्याज
134, 21,79,330 करोड़ रुपए कुल रकम
5,95,26,434 करोड़ रुपए शुद्ध ब्याज राशि
वर्ली कोलीवाड़ा और हाजी अली लोटस जेट्टी
इसमें कुल 1343 मछुआरे प्रभावित हुए हैं, जिन्हें मुआवजा दिया जाना है। इसमें मछुआरे, टंडेल, नाविक, पागी-जाल लगाने वाले, नहर खोदने वाले, हाथ से जाल बुनने वाले मछुआरे शामिल हैं। इन पीड़ितों को उनके व्यावसायिक नुकसान की भरपाई की जाएगी। अन्य मछुआरों को कुल 5 साल जबकि हाथ से मछली पकड़ने वाले मछुआरों को अगले 10 साल तक मुआवजा मिलेगा। यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इन लोगों को इस परियोजना से सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
प्रस्ताव तीन बार बिना मंजूरी के लौटाया
मुआवजा वितरण के संबंध में प्रस्ताव मनपा द्वारा तैयार कर आयुक्त के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है. लेकिन यह प्रस्ताव तीन बार बिना मंजूरी के लौटा दिया गया। कोस्टल रोड विभाग ने पुन: प्रस्ताव आयुक्त के पास स्वीकृति के लिए भेजा है। वर्तमान में प्रस्ताव आयुक्त कार्यालय के अनुमोदन के लिए लंबित है। आयुक्त के अनुमोदन के बाद, वास्तविक वितरण जिला कलेक्टर, मुंबई की देख-रेख में शुरू किया जाएगा।
शिकायत निवारण समिति गठित
प्रभावित नाव मालिकों/पीएएफ के किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए एक शिकायत निवारण समिति गठित की गई है। प्राथमिक उद्देश्य भविष्य में प्रतिकूल न्यायिक कार्यवाही की किसी भी संभावना से बचने या कम करने के लिए मुआवजे की पात्रता और पात्रता से संबंधित शिकायतों का समय पर समाधान सुनिश्चित करना है। टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतों का तुरंत समाधान करने के लिए एक निवारण समिति का गठन किया गया। यह समिति 15 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करेगी।
Created On :   27 May 2023 4:15 PM IST