जहां दवा न आए काम, वहां डीबीएस सर्जरी करे काम

जहां दवा न आए काम, वहां डीबीएस सर्जरी करे काम
  • पार्किंसंस बीमारी में कारगर बन रही डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी
  • डीबीएस सर्जरी करे काम
  • नवी मुंबई में हुई पहली सर्जरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पार्किंसन्स बीमारी से पिछले 10 सालों से पीड़ित एक बुजुर्ग को एक नई जिंदगी मिली है। इस बीमारी से त्रस्त बुजुर्ग पर अब दवा ने भी काम करना बंद कर दिया था। दवा खाने के बाद भी वे चलने-फिरने में असमर्थ थे। ऐसे में इनके लिए कारगर बनी डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी। इस सर्जरी के बाद से अब वे चलने-फिरने लगे हैं। नवी मुंबई में यह पहली डीबीएस सर्जरी कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में की गई है।

नवी मुंबई के घनसोली में रहने वाले 65 वर्षीय मरीज पिछले दस सालों से पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित थे। ज्यादा से ज्यादा संभव दवाइयां लेने के बावजूद, उन्हें चलने-फिरने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था और समय के साथ दवाओं के प्रति प्रतिरोध पैदा होने के कारण उन्हें व्हीलचेयर पर रहना पड़ता था। अस्पताल में भर्ती करने के समय, वह पिछले छह महीने से अधिक समय तक बिस्तर पर ही थे। इस सर्जरी के बाद उन्हें जीने के एक और नया मकसद मिल गया है।

जीवन की अवधि को बढ़ाता है

अस्पताल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल वेंकिटचलम ने बताया कि पार्किंसंस जैसी बिमारियों का लंबे समय से सामना कर रहे मरीज़ों के लिए यह कारगर साबित हो रहा है। यह सर्जरी उन्हीं मरीजों पर की जाती है जो पांच से 15 साल के भीतर पार्किंसंस से पीड़ित है। उन्होंने बताया कि 70 से अधिक आयु के वर्गों पर यह सर्जरी नहीं की जाती है। इस सर्जरी के बाद लोगों के जीने की अवधि 10 साल और बढ़ जाती है। डीबीएस दवाइयों के प्रति पैदा हुए प्रतिरोध को दूर करने में मदद कर सकता है। बीमारी के बढ़ने की गति को धीमा कर सकता है, लक्षणों को कम करने के साथ ही गिरने और अन्य जोखिमो को कम करता है।

डॉ. अनिल वेंकिटचलम, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक पार्किंसंस जैसी बीमारियों का लंबे समय से सामना कर रहे मरीजों के लिए यह कारगर साबित हो रहा है। यह सर्जरी उन्हीं मरीजों पर की जाती है, जो पांच से 15 साल के भीतर पार्किंसंस से पीड़ित हैं।

क्या है डीबीएस सर्जरी

अस्पताल के न्यूरो सर्जरी के कंसल्टेंट डॉ. अक्षत कयाल ने प्रक्रिया के बारे में बताया कि डीबीएस एक उन्नत न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है। जिन मरीजें की स्थिति को दवाओं से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है या जिन्हें दवाओं के साइड इफेक्ट्स हो रहे हैं, उन मरीजों को डीबीएस सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। डीबीएस में ब्रेन के विशिष्ट क्षेत्रों में विद्युत संकेत भेजने के लिए एक उपकरण को प्रत्यारोपित किया जाता है, जो गतिविधियों के नियंत्रण और न्यूरोलॉजिकल विकारों से जुड़े अन्य लक्षणों में सुधार लाने में सहायता करता है।

Created On :   7 July 2023 8:50 PM IST

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