खोखा दिवस को लेकर आघाडी में दिखे मतभेद, कांग्रेस प्रदर्शन से रही दूर

खोखा दिवस को लेकर आघाडी में दिखे मतभेद, कांग्रेस प्रदर्शन से रही दूर
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना (उद्धव गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को राज्य भर में एक साल पहले शिंदे गुट द्वारा की गई बगावत के बदले खोखा दिवस मनाया। उद्धव गुट का मुंबई में खोखा दिवस को लेकर कोई खास प्रदर्शन नहीं हुआ लेकिन राकांपा कार्याध्यक्ष सुप्रिया सुले के नेतृत्व में पार्टी कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने खोखा दिवस मनाकर शिंदे गुट का विरोध किया। सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र में अब विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत भी नहीं मिल रही है। हालांकि खोखा दिवस के इस प्रदर्शन से कांग्रेस दूर रही।

सुप्रिया सुले ने जब से राकांपा कार्याध्यक्ष की कमान संभाली है, पहली बार वह किसी बड़े विरोध प्रदर्शन में वह शामिल हुईं। पिछले साल 20 जून को ही एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत की थी जिसके बाद उद्धव गुट और राकांपा ने इस दिन को खोखा दिवस मनाने का ऐलान किया था। खोखा दिवस मनाने की चेतावनी के बाद राज्य में पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की थी। इस दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों से खोखा दिवस मनाने के चलते सैकड़ों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।

महाराष्ट्र ना कभी झुका है, ना कभी झुकेगा- सुले

मुंबई में पार्टी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई राकांपा कार्याध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार से सवाल पूछने के लिए आंदोलन की इजाजत नहीं मिल रही है। सरकार की इस दादागिरी के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र ना कभी झुका है, ना कभी झुकेगा। सुले ने कहा कि जिन लोगों ने शिवसेना के साथ गद्दारी की है उनको हम गद्दार कहते रहेंगे।

अपशब्द बोलना महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं- पटोले

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले से जब पूछा गया कि उद्धव गुट और राकांपा के विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस क्यों शामिल नहीं हुई तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही शिंदे-फडणवीस सरकार को असंवैधानिक सरकार बता चुकी है। लिहाजा इस तरह के विरोध प्रदर्शन करने का कोई तुक नहीं होता। पटोले ने कहा कि अपशब्द बोलने की महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है।

विद्रोह करने के लिए चाहिए शेर का दिल- एकनाथ शिंदे

शिवसेना (शिंदे गुट) प्रमुख और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने खोखा दिवस मना रहे विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वह भले ही खोखा दिवस मना रहे हों लेकिन हम स्वाभिमानी दिवस, विद्रोह दिवस और क्रांतिकारी दिवस मना रहे हैं। शिंदे ने कहा कि अगर हिंदुत्व की आवाज उठाना विद्रोह माना जाता है तो फिर विद्रोह करने के लिए भी शेर का दिल होना चाहिए।


Created On :   20 Jun 2023 4:12 PM GMT

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