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बॉम्बे हाई कोर्ट: ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट के लिए इंजीनियरिंग छात्रा का निष्कासन रद्द, पीओपी मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को राहत

- ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए पुणे की इंजीनियरिंग छात्रा को जारी निष्कासन लेटर को रद्द किया
- बॉम्बे हाई कोर्ट से प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के गणपति की मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को बड़ी राहत
Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए पुणे की इंजीनियरिंग छात्रा को सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा जारी निष्कासन लेटर को रद्द कर दिया है। इससे पहले ने 27 मई को इंजीनियरिंग छात्रा को जमानत दे दी थी और संस्थान के के निष्कासन के आदेश को निलंबित कर दिया था। पुणे के कोंढवा पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद संस्थान ने 9 मई दूसरे वर्ष की आईटी छात्रा को को निष्कासित कर दिया था। न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक और न्यायमूर्ति नितिन बोरकर की पीठ ने कहा कि छात्रा को निष्कासन लेटर प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है। कॉलेज ने पत्र जारी किए जाने से पहले याचिकाकर्ता की बात नहीं सुनी गई। कॉलेज के याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद निष्कासन लेटर को रद्द किया जाता है। पीठ ने यह भी कहा कि 27 मई के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता ने कॉलेज को एक आवेदन दिया था, जिसे आगे पुणे विश्वविद्यालय को भेज दिया गया था। पीठ ने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) के परीक्षा बोर्ड (बीओई) के निदेशक को उसके आवेदन पर शीघ्रता से उचित निर्णय लेने की छूट है। अदालत ने पहले राज्य के अधिकारियों और कॉलेज को उसके खिलाफ बिल्कुल चौंकाने वाली कार्रवाई के लिए फटकार लगाई थी। जबकि याचिकाकर्ता ने दो घंटे के भीतर सोशल मीडिया पोस्ट को हटा दिया था और खेद व्यक्त करते हुए माफी मांगी थी। संस्थान ने दूसरे वर्ष की आईटी छात्रा को 9 मई को निष्कासित कर दिया था, जब उसके खिलाफ पुणे के कोंढवा पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। उसे उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और यरवदा सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के मद्देनजर 7 मई को उसके इंस्टाग्राम पोस्ट ने “कथित तौर पर दो अलग-अलग धर्मों के बीच तनाव पैदा किया। इससे सार्वजनिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना थी।
बॉम्बे हाई कोर्ट से प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के गणपति की मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को बड़ी राहत
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट से सोमवार को प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के गणपति की मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को बड़ी राहत दी। अदालत ने पीओपी से गणपति की मूर्तियों के बनाने और बेचने पर लगे प्रतिबंध के आदेश में संशोधन रोक हटा दिया है। हालांकि अदालत ने प्राकृतिक जल निकायों (तालाबों) में पीओपी से बनी गणपति की मूर्तियों विसर्जित पर प्रतिबंध जारी रखा है और राज्य सरकार को इस पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। 30 जून को मामले की अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने वकील अभिनंदन वैज्ञानिक के माध्यम से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा दायर हलफनामे को संज्ञान में लिया। राज्य सरकार ने सीपीसीबी को पत्र लिखा, जिसके बाद इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीओपी की मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्हें प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जित नहीं किया जा सकता है। सीपीसीबी ने यह भी कहा कि पीओपी के संबंध में 2020 में उसके द्वारा जारी दिशा-निर्देश वैधानिक प्रकृति के नहीं थे, वह केवल अनुशंसात्मक थे। सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि यह अपने ही अधिकार को कमजोर करने का एक क्लासिक मामला है। आप के पास शक्ति है, आप मना कर रहे हैं। हालांकि सीपीसीबी द्वारा ऐसा कहे जाने की स्थिति में राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए समय मांगा। गणपति उत्सव 27 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा है और अब केवल 65 दिन शेष हैं। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अपने आदेश में यह भी जोड़े कि जनवरी के आदेश में अदालत द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को संशोधित किया गया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ पीओपी की मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों के लिए भी खुला रहेगा। हालांकि अदालत की अनुमति के बिना उन्हें प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जित नहीं किया जाना चाहिए।
Created On :   9 Jun 2025 9:16 PM IST