बॉम्बे हाई कोर्ट: गायचोर ने बीमार पिता से मिलने अंतरिम जमानत की लगाई गुहार, हडपसर की कचरा प्रसंस्करण सुविधा स्थानांतरित करने से इनकार, बीयर बार में पकड़े दो के खिलाफ मामला रद्द

गायचोर ने बीमार पिता से मिलने अंतरिम जमानत की लगाई गुहार, हडपसर की कचरा प्रसंस्करण सुविधा स्थानांतरित करने से इनकार, बीयर बार में पकड़े दो के खिलाफ मामला रद्द
  • गायचोर ने बीमार पिता से मिलने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत की लगाई गुहार
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के हडपसर से अपशिष्ट (कचरा) प्रसंस्करण सुविधा को स्थानांतरित करने से किया इनकार
  • बीयर बार में पकड़े गए दो लोगों के खिलाफ मामला रद्द

Mumbai News. भीमा कोरेगांव एल्गर परिषद मामले के आरोपी रमेश गायचोर ने अपने बीमार पिता से मिलने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत की गुहार लगाई है। अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से गायचोर की अंतरिम जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने एनआईए को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी अंतरिम जमानत याचिका में विशेष अदालत के इस साल 1 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि उनके 75 वर्षीय पिता बीमार हैं। उन्हें पुणे के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसलिए उन्होंने मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था। विशेष एनआईए अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। विशेष अदालत इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा कि मामले के अन्य सह-आरोपियों को भी पहले ऐसी अस्थायी या अंतरिम जमानत दी जा चुकी है। जबकि विशेष अदालत ने उसे अपने बीमार पिता से मिलने की अनुमति देने के मानवीय आधार पर विचार करने से इनकार कर दिया। विशेष लोक अभियोजक संदेश पाटिल एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील चिंतन शाह की सहायता से दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करेंगे।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के हडपसर से अपशिष्ट (कचरा) प्रसंस्करण सुविधा को स्थानांतरित करने से किया इनकार

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के हडपसर से अपशिष्ट (कचरा) प्रसंस्करण सुविधा को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने निखिल शाह सहित पुणे के वरिष्ठ नागरिकों की जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दी है। इसके साथ ही अदालत ने पुणे छावनी बोर्ड (पीसीबी) और पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) को कार्यस्थल पर अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा से निकलने वाली दुर्गंध, जहरीली गैसों और धूल आदि को दबाने और नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय का निर्देश दिया है। न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं की वर्तमान अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं को स्थानांतरित करने की प्रार्थना को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। हडपसर औद्योगिक एस्टेट स्थल पर अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं का संचालन एसडब्ल्यूएम नियम 2016 और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा 11 सितंबर 2018 को पारित आदेश के अनुरूप है। याचिकाकर्ताओं द्वारा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं को बंद करने और उन्हें किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया। हम शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव की पहल से इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह भूमि अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के संचालन के लिए उपयुक्त है। पीठ ने कहा कि पीसीबी और पीएमसी यह सुनिश्चित करेंगे कि मिश्रित ठोस अपशिष्ट खुली 28 एकड़ भूमि के किसी भी हिस्से में नहीं डाला जाए। पीसीबी और पीएमसी यह सुनिश्चित करेंगे कि कार्यस्थल पर पहुंचाए गए ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण और निपटान किया जाए। इसमें गीले अपशिष्ट से खाद बनाकर और सूखे अपशिष्ट का पुन: उपयोग करने लायक बनाया जाएगा। पीठ ने यह भी कहा कि पीसीबी और पीएमसी कार्यस्थल पर अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा से निकलने वाली दुर्गंध, जहरीली गैसों, धूल आदि को दबाने और नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेंगे। इसके लिए आधुनिक तकनीकों सहित सभी आवश्यक उपाय अपनाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। याचिकाकर्ताओं द्वारा दावा किया गया है कि यहां प्रतिदिन 800 से 900 टन मिश्रित कचरा एकत्र होता है। यह भूमि पुणे छावनी बोर्ड की है और पीएमसी ने इस रैंप के पीछे गीले कचरे के प्रोसेसिंग के लिए 200 टन क्षमता की एक परियोजना स्थापित की है। इसके अलावा लगभग 150 टन क्षमता वाली खाद और आरडीएफ बनाने की एक परियोजना भी चल रही है। गीले और सूखे कचरे को अलग करने के लिए रैंप के एक तरफ ट्रामेल मशीन लगाई गई है। यहां से प्रतिदिन 125 से 150 टन सूखा कचरा सीमेंट कंपनियों को दिया जाता है। यह परियोजना खुले में है और मिश्रित कचरे से दुर्गंध आ रही है। याचिका में आशंका जताई गई कि यह क्षेत्र लोहेगांव हवाई अड्डे के रनवे से आठ किलोमीटर दूर है। इससे पक्षियों के टकराने के कारण यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

बीयर बार में अश्लील डांस के दौरान मौजूदगी मात्र से आपराधिक मामला नहीं बनता: हाई कोर्ट

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि बीयर बार में अश्लील डांस के दौरान मौजूदगी मात्र से आपराधिक मामला नहीं बनता। अदालत ने एक पुलिस छापेमारी के दौरान बीयर बार में पकड़े गए दो लोगों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटील की पीठ ने पाया कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता किसी सार्वजनिक स्थान पर या उसके आस-पास कोई अश्लील कृत्य कर रहे थे या कोई अश्लील गाना गा रहे थे। उन पर छापेमारी के दौरान किसी महिला को छूने का भी आरोप नहीं था। ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जो यह दर्शाए कि इस अधिनियम के तहत आपराधिक तत्व याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध संपूर्ण आरोप-पत्र में मौजूद हैं। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 33(ए) में होटल, परमिट रूम या बीयर बार में नृत्य पर प्रतिबंध है। यह धारा याचिकाकर्ताओं पर लागू नहीं होती, क्योंकि वे बीयर बार के मालिक नहीं हैं और न ही नृत्य कर रहे थे। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप लगाने वाली धाराएं आईपीसी की धारा 114 और 34 हैं। धारा 114 किसी भी ऐसे व्यक्ति से संबंधित है, जो किसी अपराध के होने पर उकसाने वाला होता है। इसी प्रकार धारा 34 कई व्यक्तियों द्वारा एक समान इरादे से किए गए कार्य से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं को उकसाने वाला भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एफआईआर में ऐसा कोई आरोप नहीं है। यह मामला मालाड पुलिस स्टेशन की कार्रवाई से संबंधित है।

Created On :   6 Aug 2025 9:56 PM IST

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