अब युवाओं में खादी को लोकप्रिय बनाने फैशन डिजाइनरों की ली जाएगी मदद

अब युवाओं में खादी को लोकप्रिय बनाने फैशन डिजाइनरों की ली जाएगी मदद

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। महाराष्ट्र राज्य खादी और ग्रामोद्योग मंडल (बोर्ड) ने प्रदेश में खादी को पुनर्जीवित करने के लिए नई नीति तैयार की है। इसके तहत खादी विरासत संरक्षण और विपणन विकास सहायता के लिए योजनाएं बनाई गई हैं। नई नीति के जरिए पुणे में खादी वस्तु म्यूजियम (संग्रहालय) बनाया जाएगा। युवाओं में खादी के प्रति आकर्षण बढ़ाने की दृष्टि से कपड़े तैयार करने के लिए नामचीन फैशन डिजाइनर की मदद ली जाएगी। फैशन डिजाइनरों की मदद से युवाओं के परिधान की अलग से श्रेणी तैयार की जाएगी। यानी खादी अब फैशन के साथ चलेगी।

राज्य खादी और ग्रामोद्योग मंडल के सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (विपणन) नित्यानंद पाटील ने "दैनिक भास्कर' से बातचीत में बताया कि नई खादी नीति को मंजूरी के लिए राज्य सरकार के उद्योग विभाग के पास प्रस्ताव भेजा गया है। हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही खादी नीति को मंजूरी देगी। इसके साथ ही राज्य में खादी को पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक निधि भी उपलब्ध कराएगी। पाटील ने कहा कि फिलहाल खादी को बढ़ावा देने के लिए राज्य में कोई नीति लागू नहीं है। इसके मद्देनजर राज्य में खादी के विचार, विरासत और परंपरा को संरक्षित करने के लिए नई नीति तैयार की गई है।




पुणे में बनेगा खादी वस्तु म्यूजियम

पाटील ने बताया कि नई नीति के तहत पुणे में खादी वस्तु म्यूजियम बनाया जाएगा। यह खादी के लिए पूरी तरह से समर्पित भारत का पहला केंद्र होगा। इसमें कपास से खादी कपड़े तैयार करने का लाइव डेमो दिखाया जाएगा। म्यूजियम में खादी के इतिहास से जुड़ी जानकारी देने के लिए छोटा सिनेमाघर भी होगा। खादी के कपड़ों की प्रदर्शनी के लिए हॉल, प्रशिक्षण कक्ष और उपहारगृह सहित अन्य व्यवस्था होगी। म्यूजियम में आने वाले लोग चरखा चलाने का अनुभव ले सकेंगे। पाटील ने बताया कि पुणे में राज्य खादी और ग्रामोद्योग मंडल की 5 एकड़ जमीन है। इसमें खादी वस्तु म्यूजियम बनाया जाएगा। खादी वस्तु म्यूजियम सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल अथवा संयुक्त उद्यम पद्धति से तैयार करने की योजना है। इससे राज्य सरकार को इस परियोजना पर बजट से निधि खर्च नहीं करनी पड़ेगी। इसके अलावा पुणे में खादी बोर्ड की जमीन पर सूत कताई के लिए आवश्यक कच्चा माल तैयार करने वाला कारखाना बनाने की योजना है। इस पर करीब 3 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है।

खादी संस्थाओं को 30 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान

पाटील ने बताया कि नई नीति में खादी के विपणन विकास सहायता योजना का समावेश है। इसके लिए राज्य सरकार से खादी संस्थाओं को 30 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान के लिए योजना शुरू करने की मांग की गई है। इससे सूत कताई कारीगरों को 10 प्रतिशत राशि, बुनकरों को 10 प्रतिशत राशि और खादी संस्थान को 10 प्रतिशत राशि अतिरिक्त अनुदान के तौर पर मिल सकेगा। यह अतिरिक्त अनुदान खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की मार्केटिंग डेवलपमेंट असिस्टेंट (एमडीए) योजना का लाभ पाने वाले खादी संस्थानों को मिलेगा। राज्य में खादी आयोग में पंजीकृत लगभग 14 खादी संस्थान हैं। इन संस्थानों में खादी तैयार करने वाले 3 हजार 216 कारीगर हैं। खादी आयोग से इन संस्थानों को 10 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है।

साल 2016-17 से खादी रिबेट बंद

राज्य खादी और ग्रामोद्योग मंडल की तरफ से प्रदेश में पहले 2 अक्टूबर से 31 जनवरी के बीच खादी रिबेट (छूट) योजना चलाई जा रही थी। लेकिन साल 2016-17 से खादी ग्रामोद्योग आयोग ने मार्केटिंग डेवलपमेंट असिस्टेंट (एमडीए) योजना लागू किया है। उसके बाद से ही राज्य सरकार की खादी रिबेट योजना बंद है।

मुंबई में खादी मॉल बनाने का विचार

राज्य खादी और ग्रामोद्योग मंडल की वरली और बोरीवली में जमीने हैं। दोनों में से एक जगह पर खादी मॉल बनाने का विचार है। इससे एक छत के नीचे खादी के सभी उत्पाद मिल सकेगा।

अंशु सिन्हा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के मुताबिक राज्य के खादी संस्थानों और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की समस्याओं को जानने के बाद नई नीति तैयार की गई है। इसके लिए राज्य खादी व ग्रामोद्योग मंडल के सभापति रवींद्र साठे की अध्यक्षता में खादी उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों की एक बैठक भी बुलाई गई थी। नई खादी नीति के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया है।

नित्यानंद पाटील, सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य खादी और ग्रामोद्योग मंडल के मुताबिक राज्य में खादी से जुड़े उत्पाद बनाने वाले मजदूरों को प्रतिदिन केवल 300 रुपए तक मजदूरी मिलती है। जबकि केरल सरकार मजदूरों को अनुदान देती है, इससे उनको महाराष्ट्र से ज्यादा मजदूरी मिलती है। इसलिए नई नीति के जरिए खादी रिबेट योजना को दोबारा शुरू करने की मांग की गई है। खादी की मांग ज्यादा होने पर उत्पादन भी बढ़ेगा। इससे ग्रामीण इलाकों में युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिल सकेगा। फिलहाल राज्य में केवल खादी ग्रामोद्योग आयोग में पंजीकृत संस्थाएं ही खादी का उत्पादन कर रही हैं। हालांकि राज्य में खादी की मांग की तुलना में उत्पादन लगभग 20 प्रतिशत ही होता है। नई नीति के तहत सरकारी कार्यालयों और बड़ी कार्पोरेट कंपनियों में खादी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाने का लक्ष्य है।


Created On :   9 May 2023 8:58 PM IST

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