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बॉम्बे हाई कोर्ट: घरेलू हिंसा मामले में राज्य के पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक

- मामले की आठ सप्ताह के बाद अगली सुनवाई
- अदालत ने मुंडे को कथित पत्नी के भरण-पोषण की 50 फीसदी राशि कोर्ट में जमा का भी दिया निर्देश
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा मामले में राज्य के पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत गुट) के नेता धनंजय मुंडे के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि अदालत ने मुंडे कथित पत्नी के भरण-पोषण की 50 फीसदी राशि जमा करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह के बाद रखी गई है।
न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की एकलपीठ के समक्ष धनंजय मुंडे की ओर से वकील शार्दुल सिंह और वकील सायली सावंत की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीठ ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दिया, जिसमें पूर्व मंत्री को घरेलू हिंसा मामले में उनकी अलग रह रही कथित पत्नी को मासिक अंतरिम भरण-पोषण राशि देने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने कहा कि यह रोक इस शर्त पर है कि वह अलग रह रही कथित पत्नी के पक्ष में दी गई भरण-पोषण की राशि में से 50 प्रतिशत राशि कोर्ट में जमा करने करेंगे।
याचिका में दावा किया गया है कि उन्होंने (धनंजय मुंडे) महिला से कभी शादी नहीं की थी। उनके बीच घरेलू संबंध खत्म हो चुके थे। इसलिए वह घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत याचिका दायर नहीं कर सकती थी।
ट्रायल कोर्ट ने फेमिली कोर्ट द्वारा अंतरिम आदेश के खिलाफ मुंडे की अपील को खारिज कर दिया गया था। फेमिली कोर्ट ने उन्हें कथित पत्नी को 1 लाख 25 हजार रुपए और उनकी बेटी को 75 हजार रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। 4 फरवरी को फेमिली कोर्ट ने कथित पत्नी की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया था और अंतरिम रखरखाव के लिए खर्च देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने माना था कि पूर्व मंत्री के खिलाफ घरेलू हिंसा का प्रथम दृष्टया सबूत था।
मुंडे ने मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन सेशन कोर्ट ने उनकी अपील को खारिज करते हुए कहा था कि वह और उनके अलग हुए साथी और उनकी बेटी उसी जीवनशैली के हकदार हैं, जिसका आनंद अपीलकर्ता उठा रहा है। भले ही यह मान लिया जाए कि प्रतिवादी (अलग हुए साथी) कमा रही हैं, वह भी अपीलकर्ता (राकांपा नेता) की जीवनशैली को बनाए रखने के लिए भरण-पोषण पाने का हकदार है।
Created On :   20 Jun 2025 7:44 PM IST