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Mumbai News: फर्जी आदेश हाई कोर्ट में पेश करने के मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

- अग्रिम जमानत देने के अधिकार का प्रयोग करते समय न्यायालय को सतर्क रहना होगा
- फर्जी आदेश हाई कोर्ट में पेश करने के मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फर्जी आदेश अदालत में पेश करने को लेकर अपने फैसले में कहा कि अग्रिम जमानत देने के अधिकार का प्रयोग करते समय न्यायालय को सतर्क रहना होगा क्योंकि गंभीर मामलों में अभियुक्त को अंतरिम संरक्षण देने से न्याय का हनन हो सकता है। इससे जांच में काफी बाधा आ सकती है और कभी-कभी सबूतों से छेड़छाड़ या ध्यान भटकाने की संभावना रहती है। अदालत ने आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
अदालत पुणे निवासी हरिभाऊ ज्ञानदेव चेमटे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अग्रिम जमानत याचिका एक असाधारण उपाय है। इसे नियमित रूप से नहीं दिया जाना चाहिए। गंभीर अपराध के आरोपी व्यक्ति को इस असाधारण उपाय का लाभ देने के लिए ठोस कारण मौजूद होने चाहिए। सबूतों को देखते हुए याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी पूर्व जमानत नहीं दिया जा सकता है। इसके पहले हाई कोर्ट ने 5 मार्च 2025 को कोर्ट रजिस्ट्रार को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत पुणे की निचली अदालत के हस्तलिखित फर्जी आदेश की जांच करें। इसमें शामिल व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए। इसके बाद मुंबई के आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी।
क्या है प्रकरण
आरोपी ने पुणे की निचली अदालत से जमानत मांगी थी। लेकिन उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने अंतरिम अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसे जनवरी 2025 में मंजूर कर लिया गया। यह फैसला पुणे की निचली अदालत के हस्तलिखित आदेश पर आधारित था। बाद में पता चला कि हाई कोर्ट में पेश किए गए हस्तलिखित दस्तावेज जाली थे। निचली अदालत ने स्पष्ट किया कि 13 दिसंबर 2024 को ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।
Created On :   17 Sept 2025 10:03 PM IST