बॉम्बे हाई कोर्ट: मूर्ति विसर्जन मौलिक अधिकार नहीं, विस्फोट के फरार आरोपी मेमन के रिश्तेदारों को राहत नहीं

मूर्ति विसर्जन मौलिक अधिकार नहीं, विस्फोट के फरार आरोपी मेमन के रिश्तेदारों को राहत नहीं
  • अदालत ने दक्षिण मुंबई के वालकेश्वर स्थित बाणगंगा तालाब में ईको फ्रेंडली गणपति मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति देने से किया इनकार
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से मुंबई बम विस्फोट के फरार आरोपी टाइगर मेमन के रिश्तेदारों को नहीं मिली राहत

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने दक्षिण मुंबई के वालकेश्वर स्थित बाणगंगा तालाब में इको फ्रेंडली गणपति मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि मूर्ति विसर्जन मौलिक अधिकार नहीं है। याचिका में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) द्वारा 26 अगस्त को जारी एक अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि छह फीट से कम ऊंचाई वाली सभी गणपति मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित किया जाए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने वालकेश्वर निवासी संजय शिर्के की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मुद्दा व्यापक जनहित और विरासत संरक्षण से जुड़ा है, जो व्यक्तिगत या सामुदायिक अधिकारों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील भावेश ठाकुर ने दलील दी कि एमपीसीबी का निर्देश हाई कोर्ट के पिछले आदेश का खंडन करता है, जिसमें केवल प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करने का आदेश दिया गया था। उन्होंने कहा कि अधिसूचना हाई कोर्ट के पहले के फैसले का उल्लंघन करती है। इको फ्रेंडली गणपति मूर्तियों पर प्राकृतिक तालाब में विसर्जन करने से प्रतिबंध नहीं लगने चाहिए। राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एमपीसीबी का उद्देश्य पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित प्रथाओं को बढ़ावा देना है। किसी भी व्यक्ति को विशेष रूप से बाणगंगा तालाब में मूर्तियों को विसर्जित करने का पूर्ण अधिकार नहीं है। बाणगंगा एक संरक्षित स्मारक और विरासत संरचना है। पुरातत्व विभाग ने वहां विसर्जन की कोई अनुमति नहीं दी है। आस-पास कई कृत्रिम तालाब हैं और नागरिकों को केवल बाणगंगा में ही मूर्ति विसर्जन करने पर ज़ोर देने का अधिकार नहीं है। डॉ.सराफ ने यह भी कहा कि गिरगांव चौपाटी जैसे अन्य स्थान मूर्ति विसर्जन के लिए उपलब्ध हैं। इसके बाद पीठ ने कहा कि हम इस बात से संतुष्ट नहीं हैं कि इस मामले में किसी नोटिस की भी आवश्यकता है। याचिकाकर्ता ने बाणगंगा में विसर्जन की परंपरा का पालन करने वाले लोगों की संख्या या अवधि के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है

बॉम्बे हाई कोर्ट से मुंबई बम विस्फोट के फरार आरोपी टाइगर मेमन के रिश्तेदारों को नहीं मिली राहत

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट से 1993 के मुंबई बम विस्फोट के फरार आरोपी टाइगर मेमन के रिश्तेदारों को राहत नहीं मिली। अदालत ने मेमन के रिश्तेदारों की सफेमा अधिनियम के तहत मुंबई के फ्लैटों की जब्ती को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि मेमन के रिश्तेदारों ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है और 1993 से आक्षेपित आदेश के क्रियान्वयन पर कोई रोक नहीं है। मेमन परिवार की हर स्तर पर सुनवाई हो चुकी है। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अखंड की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता वैध स्वामित्व साबित करने में विफल रहे, क्योंकि फ्लैटों के लिए कोई पंजीकृत विक्रय विलेख मौजूद नहीं था। वे पर्याप्त प्रतिफल के लिए सद्भावनापूर्वक खुद को वास्तविक खरीदार के रूप में स्थापित नहीं कर सके, क्योंकि बिलों का भुगतान या बैंक स्टेटमेंट प्रस्तुत करने से स्वामित्व का अधिकार नहीं मिलता है। मेमन परिवार के खिलाफ पहले की कार्यवाही में जब्ती आदेश को बरकरार रखा जा चुका था, जिससे याचिकाकर्ता नए नोटिस या सुनवाई के लिए अयोग्य हो गए। टाइगर मेमन के रिश्तेदारों ने कुर्ला के दो फ्लैटों की जब्ती को चुनौती दी। सक्षम प्राधिकारी सफेमा द्वारा कुर्ला में बाग-ए-रहमत को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में स्थित दो फ्लैटों को तस्कर और विदेशी मुद्रा हेरफेर (संपत्ति जब्ती) अधिनियम 1976 (सफेमा) के तहत जब्त किया गया था। यह मामला 1992 का है, जब ये फ्लैट मूल रूप से अब्दुल रजाक और हनीफा मेमन के स्वामित्व में थे, जो फरार विस्फोटों के आरोपी इब्राहिम अब्दुल रजाक मेमन उर्फ टाइगर मेमन के माता-पिता थे। कथित तौर पर 77 वर्षीय जैबुनिसा इब्राहिम खान और उनके दिवंगत पति को बेचे गए थे। याचिकाकर्ताओं के वकील सुजय कांतवाला ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने बैंक लेनदेन के माध्यम से 6 लाख 75 हजार का भुगतान किया था। दोनों फ्लैट 33 वर्षों तक उनके कब्जे में रहे। उनके पास नियमित रूप से रखरखाव का बिल और उपयोगिता शुल्क का भुगतान किया गया। लेन-देन को पूरा करने के लिए केवल एक औपचारिकता शेष थी, एक मुहर लगी और पंजीकृत दस्तावेज का निष्पादन है। सक्षम प्राधिकारी की ओर से वकील मनीषा जगताप ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कोई पंजीकृत विक्रय विलेख मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य को छुपाया है कि मेमन परिवार ने पहले ही अपीलीय न्यायाधिकरण और हाई कोर्ट में जब्ती को चुनौती दी थी, जहां वे हार गए थे। सीबीआई ने इस रुख का समर्थन किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

Created On :   4 Sept 2025 9:34 PM IST

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