Mumbai News: नालासोपारा अवैध इमारत मामले में फर्जी कागजात से बिल्डरों को बेची थी 60 एकड़ जमीन

नालासोपारा अवैध इमारत मामले में फर्जी कागजात से बिल्डरों को बेची थी 60 एकड़ जमीन
  • आरोपी सीताराम गुप्ता और अरुण गुप्ता पर आरोप
  • फर्जी कागजात से बिल्डरों को बेची थी 60 एकड़ जमीन

Mumbai News. नालासोपारा पूर्व में 41 इमारतों के अवैध निर्माण और उसमें करोड़ों रुपए के अवैध लेनदेन के मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने और खुलासे किए हैं। ईडी जांच में सामने आया कि गिरफ्तार बिल्डर व बहुजन विकास आघाडी के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता और उनके भतीजे अरुण गुप्ता ने फर्जी अनुबंधों व पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए लगभग 60 एकड़ सरकारी और निजी भूखंड स्थानीय बिल्डरों को अवैध रूप से बेचा था। जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी सीताराम गुप्ता और अरुण गुप्ता ने बिल्डरों के साथ वर्ष 2013 से 2021 के बीच वसई-विरार महानगर पालिका (वीवीएमसी) के अधिकारियों की मिलीभगत से 41 इमारतों का निर्माण किया था।

ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि वीवीएमसी अधिकारियों का एक संगठित गिरोह सक्रिय है जिसमें वीवीएमसी आयुक्त, उप-निदेशक नगर योजना, कनिष्ठ अभियंता, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट और लायजनर शामिल हैं। इस गिरोह के जरिए वसई-विरार क्षेत्र में 2009 से बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण कार्य चल रहा था। इसमें सीताराम गुप्ता, अनिल गुप्ता और वीवीएमसी के अधिकारियों की मिलीभगत थी। ईडी जांच में यह भी पता चला कि तत्कालीन वीवीएमसी आयुक्त अनिल पवार के पद ग्रहण के बाद विकास कार्यों को अनुमति देने के लिए कमीशन की दरें तय की गई थीं। परियोजना के कुल क्षेत्रफल पर 20 से 25 रुपए प्रति वर्ग फुट आयुक्त के लिए और 10 रुपए प्रति वर्ग फुट वाईएस रेड्डी (उप-निदेशक, नगर योजना) के लिए कमीशन तय था। इसके अतिरिक्त सरकारी व निजी भूमि पर अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने के लिए 150 रुपए प्रति वर्ग फुट रिश्वत की दर तय की गई थी। इस मामले में आरोपियों के ठिकानों की तलाशी में बड़ी संख्या में भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए है। जिससे इसकी पुष्टि हुई कि आरोपियों ने रिश्वत की राशि को वैध करने के लिए अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों व बेनामी व्यक्तियों के नाम पर कई फर्जी कंपनियां व संस्थाएं बनाई थीं।

Created On :   17 Aug 2025 5:32 PM IST

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