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बॉम्बे हाईकोर्ट: मेट्रो कार शेड के लिए ठाणे की जमीन एमएमआरडीए को सौंपने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

- अदालत ने जनहित में निर्णय लेने की बात कही
- अदालत से ठाणे में 174.76 हेक्टेयर जमीन एमएमआरडीए को एकीकृत मेट्रो कार डिपो के लिए सौंपने को मिली हरी झंडी
Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेट्रो कार शेड के लिए ठाणे की जमीन मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) को सौंपने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि ठाणे में 174.76 हेक्टेयर जमीन एमएमआरडीए को एकीकृत मेट्रो कार डिपो के लिए जनहित में निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ता किसानों ने दावा किया कि वे ठाणे में जमीन के मालिक नहीं हैं, बल्कि कई दशकों से ‘खेती के कब्जे' वाले पट्टेदार हैं।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप वी मार्ने की पीठ ने जीआर को चुनौती देने वाली खारभूमि कृषि समन्वय समिति (रेग) और अन्य द्वारा दायर याचिका पर अपने आदेश में कहा कि भूमि को हस्तांतरित करने का निर्णय एकीकृत मेट्रो कार शेड डिपो की स्थापना के लिए जनहित में लिया गया है, जो एक सार्वजनिक उद्देश्य के लिए है। पट्टेधारकों के साथ-साथ अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए प्रावधान किया गया है। हमें इस याचिका में कोई योग्यता नहीं दिखती है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। पीठ ने पाया कि भूमि राज्य सरकार की है और वह कानून के अनुसार अपनी भूमि का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।
याचिका में राज्य सरकार के अक्टूबर 2023 के सरकारी संकल्प पत्र (जीआर) की वैधता को चुनौती दी गयी, जिसमें ठाणे में 174.76 हेक्टेयर जमीन एमएमआरडीए को एकीकृत मेट्रो कार डिपो स्थापित करने के लिए सौंपने का प्रस्ताव था। ठाणे के मोघरपाड़ा में मेट्रो कार शेड सुविधा मेट्रो लाइन 4, 4ए, 10 और 11 के लिए केंद्रीय रखरखाव और संचालन केंद्र के रूप में काम करेगी, जो छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से मीरा रोड तक लगभग 56 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। पीठ ने कहा कि सरकार के निर्णय को किसी भी तरह से मनमाना या विवेकहीनता से ग्रस्त नहीं कहा जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील अश्विन थूल ने कहा कि वे राज्य सरकार से संबंधित विषय भूमि के मालिक नहीं थे, बल्कि वे पिछले कई दशकों से खेती करने वाले पट्टेदार हैं। इसलिए विवादित निर्णय मनमाना है। दूसरी ओर,एमएमआरडीए के वकील अक्षय शिंदे ने कहा कि 22.5 प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत हिस्सा क्रमशः पट्टाधारकों और अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए आरक्षित है और यदि याचिकाकर्ता उस श्रेणियों में आते हैं, तो उन्हें राज्य के निर्णय के अनुसार पुनर्वासित किया जाएगा।
Created On :   25 Jun 2025 9:08 PM IST