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Mumbai News: मुंबई प्रेस क्लब की भारतीय प्रेस परिषद गठित करने की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और पीसीआई से मांगा जवाब

- दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और पीसीआई से मांगा जवाब
- प्रेस क्लब की भारतीय प्रेस परिषद गठित करने की याचिका
- मुंबई प्रेस क्लब के रुख की पुष्टि
Mumbai News. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुंबई प्रेस क्लब (एमपीसी) की याचिका में केंद्र सरकार और भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को नोटिस जारी किया है। याचिका में पीसीआई के अध्यक्ष को 15वीं प्रेस परिषद का गठन तुरंत करने का निर्देश देने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने याचिका पर सुनवाई कर प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
याचिका में कहा गया है कि संसद के अधिनियम से बनाई गई प्रेस परिषद एक अर्ध-न्यायिक निकाय है जिसे भारत में प्रेस के सुचारू और नैतिक कामकाज की देखरेख करने का काम सौंपा गया है। अपने न्यायिक कार्यों के हिस्से के रूप में पीसीआई प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के साथ-साथ उन शिकायतों के संबंध में विवादों की सुनवाई करता है, जहां प्रेस कवरेज व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्ति के अधिकारों पर प्रभाव डालती है।
याचिका में कहा गया है कि 8 अक्टूबर, 2024 को 14वीं प्रेस परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के आठ महीने बाद भी 15वीं प्रेस परिषद का गठन अभी तक नहीं किया गया है। हालांकि पत्रकारों, संपादकों और मालिकों के संघों से नामांकन लेकर प्रेस परिषद की स्थापना की प्रक्रिया 9 जून, 2024 को ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन यह पूरी नहीं हो पाई है।
क्या बताया था कारण
पीसीआई के गठन में देरी के कारण के बारे में अध्यक्ष से पूछताछ करने पर, मुंबई प्रेस क्लब सहित पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संघों को सूचित किया गया कि इनमें से कुछ संगठनों की स्थिति के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कानूनी विवाद लंबित हैं और इसका असर प्रेस परिषद के गठन पर पड़ेगा।
400 विवाद लंबित
प्रेस परिषद की अनुपस्थिति में न्यायिक कार्यों सहित विभिन्न वैधानिक कार्य नहीं किए जा पा रहे हैं। इस दौरान 400 से अधिक लंबित विवादों का एक बैकलॉग हो गया है।
क्यों है गतिरोध
दो पत्रकार निकायों- मुंबई प्रेस क्लब (एमपीसी) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) को प्रेस काउंसिल में प्रतिनिधित्व से बाहर करने की कोशिश गतिरोध का कारण बताई जा रही है। इन दोनों संगठनों ने पिछली प्रेस परिषद में पत्रकारों की गलत तरीके से हिरासत, जम्मू-कश्मीर में प्रेस का दमन और कोविड-19 महामारी के दौरान मीडियाकर्मियों की बड़े पैमाने पर छंटनी जैसे मुद्दों पर अगुवाई की थी।
मुंबई प्रेस क्लब के रुख की पुष्टि
अध्यक्ष द्वारा चुनी गई एक जांच समिति ने इन दोनों निकायों को प्रेस परिषद में पुनः नामांकन की मांग करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। मुंबई प्रेस क्लब के रुख की पुष्टि करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 22 नवंबर, 2024 को जांच समिति की ‘सिफारिशों' को दरकिनार करते हुए और क्लब का नाम एक वैध ‘एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स' के रूप में शामिल करते हुए फैसला सुनाया।
दो और संस्थाओं ने प्रतिनिधित्व मांगा
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वर्किंग कैमरामैन एसोसिएशन ने भी प्रेस काउंसिल में शामिल करने के लिए याचिकाएं दायर की हैं। इस बीच, प्रेस काउंसिल ने मुंबई प्रेस क्लब के पक्ष में दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के फैसले को लेटर्स पेटेंट अपील (एलपीए) में चुनौती दी है, जो डिवीजन बेंच के समक्ष भी लंबित है। इनमें से किसी भी मामले में कोई रोक या कोई अंतरिम आदेश नहीं है।
प्रेस परिषद का कार्यकाल 3 साल
- अध्यक्ष आमतौर पर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं। 20 निर्वाचित सदस्य कामकाजी पत्रकारों, संपादकों, समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के मालिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- 8 नामांकितों में 5 संसद सदस्य और 3 कानून और कला के खास जानकार होते हैं।
Created On :   11 Jun 2025 8:43 PM IST