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बॉम्बे हाईकोर्ट: रेलवे से लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाने पर विचार करने का आग्रह

- अदालत ने लोकल ट्रेनों की हो रही मौतों को देखते हुए रेलवे की व्यवस्था को बताया अपर्याप्त
- 14 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई
- अदालत ने हर रोज लोकल से गिर कर औसतन 10 यात्रियों की मौत होने पर टिप्पणी की
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे को सुझाव दिया कि यात्रियों की बढ़ती मौतों को रोकने के लिए मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाए जाने चाहिए। अदालत ने हाल ही में मुंब्रा में लोकल ट्रेन से गिर कर हुई 4 यात्रियों की मौत हो गई और 9 अन्य के घायल होने की घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि हर रोज लोकल ट्रेनों से गिर कर औसतन 10 यात्रियों की मौतें होती है। इसको लेकर रेलवे की व्यवस्था अपर्याप्त है। अदालत ने राज्य सरकार और रेलवे अधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर यात्रियों की मौतों के कारणों की जांच के लिए बनाई गई दो समितियों के बारे में विस्तृत जानकारी पेश करने का निर्देश दिया, जिसमें उनकी सिफारिशें और कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट समय सीमा शामिल है। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को रखी गई है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ के समक्ष लोकल ट्रेन में सफर करने वाले यात्री की दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीठ का ध्यान मुंबई लोकल ट्रेनों में होने वाली मौतों की चौंका देने वाली संख्या की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस पर पीठ ने कहा कि आपको (रेलवे) स्वचालित दरवाजे लगाने चाहिए, जो बंद हो जाएं। यह एक आम आदमी का सुझाव है। हम विशेषज्ञ नहीं हैं।
पीठ ने अधिकारियों के हलफनामे में दिए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हमें जो बात परेशान करती है, वह यह है कि 2024 में अकेले मुंबई लोकल में 3 हजार 588 से अधिक मौतें हुईं। इसका मतलब है कि हर दिन 10 यात्री लोकल ट्रेन से गिर कर मरते हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है।
राज्य सरकार और रेलवे की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने पीठ को बताया कि सामान्य रूप से मौतों के मुद्दे की जांच करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति और सेंट्रल रेलवे के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में एक अलग बहु-विषयक समिति मुंब्रा की घटना की जांच के लिए बनाई गई है। रेलवे के उच्च स्तरीय समिति का उद्देश्य मुंबई लोकल में "शून्य मृत्यु’ करना है। उन्होंने याचिकाकर्ताओं को पैनल को सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया।
पीठ ने कहा कि राज्य जो कुछ भी कर रहा है, वह पर्याप्त नहीं है। यात्रियों की मौतें होती रहती हैं। समितियां आगे की अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए संरचनात्मक सुरक्षा हस्तक्षेपों का पता लगाएं। सुझावों पर विचार करने के लिए सहमत होते हुए एएसजी सिंह ने कहा कि ट्रेनों के चलने के दौरान कोई काम नहीं किया जा सकता है। हमने विभाजन दीवारें बनाने और प्लेटफार्मों में बदलाव करने की जरूरत है। कुछ उपाय पहले ही किए जा चुके हैं। इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार और रेलवे अधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर दोनों समितियों के बारे में विस्तृत जानकारी देने निर्देश दिया।
Created On :   20 Jun 2025 8:00 PM IST