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भाषा पर राजनीति: राज ठाकरे ने पूछा - गुजरात में त्रिभाषा फॉर्मूला नहीं लागू कर पाई भाजपा, महाराष्ट्र पर क्यों थोप रही

- हिंदी की अनिवार्यता खत्म
- विद्यार्थियों को पहली कक्षा से पढ़नी होगी तीसरी भाषा
- गुजरात में त्रिभाषा फॉर्मूला नहीं लागू कर पाई भाजपा
Mumbai News. प्रदेश में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप पढ़ाए जाने को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि छात्रों पर हिंदी थोपने की क्या जरूरत है? उन्होंने राज्य के स्कूलों से अपील की कि वे सरकार के भाषाई विभाजन पैदा करने के गोपनीय एजेंडे को विफल करें। उन्होंने कहा कि गुजरात में त्रिभाषा फॉर्मूला भाजपा लागू नहीं कर पाई है तो महाराष्ट्र पर क्यों थोप रही है। यह विवाद मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए जीआर के बाद खड़ा हुआ। जिसमें कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय सामान्य रूप से तीसरी भाषा होगी और यदि किसी स्कूल में 20 विद्यार्थी हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा को पढ़ना चाहते हों तो उन्हें इसका विकल्प दिया जाएगा। लेकिन इसको लेकर विपक्ष ने महायुति सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर दिया है। कुछ संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार हिंदी पढ़ाने की नीति को पिछले दरवाजे से लागू करना चाहती है। जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विवादों को लेकर कहा कि भारतीय भाषाओं को लेकर विवाद अनावश्यक है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि जीआर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मराठी अनिवार्य है, जबकि हिंदी वैकल्पिक है। हमने पहले हिंदी को अनिवार्य कर दिया था लेकिन कल जारी किए गए सरकारी आदेश में उस अनिवार्यता को हटा दिया गया है। फडणवीस ने कहा कि, मैं समझता हूं कि अंग्रेजी संचार की भाषा है, लेकिन एनईपी की वजह से मराठी ज्ञान की भाषा बन गई है। उन्होंने कहा कि यदि पूरा देश त्रि-भाषा फॉर्मूले का पालन कर रहा है, तो महाराष्ट्र दो-भाषा प्रणाली नहीं अपना सकता।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि संघ और भाजपा का ‘एक राष्ट्र, एक भाषा, एक संस्कृति’ का एजेंडा हम सफल नहीं होने देंगे।
Created On :   18 Jun 2025 9:37 PM IST