Mumbai News: झटका - अदालत ने यूपी सरकार के टीसीएस से परीक्षा करवाने के अनुबंध तोड़ने को बताया गैरकानूनी

झटका - अदालत ने यूपी सरकार के टीसीएस से परीक्षा करवाने के अनुबंध तोड़ने को बताया गैरकानूनी
  • सरकार ने रिक्रूटमेंट बोर्ड के लिए टीसीएस द्वारा आयोजित ऑनलाइन परीक्षा में कुछ गड़बड़ियों के कारण अनुबंध को कर दिया था खत्म
  • अदालत ने सरकार को 5 करोड़ रुपए टीसीएस को देने का दिया निर्देश

Mumbai News.बॉम्बे हाई कोर्ट से उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार को झटका लगा है। अदालत ने सरकार के टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) से परीक्षा करवाने के अनुबंध तोड़ने को गलत और गैरकानूनी बताया है। अदालत ने टीसीएस के पक्ष में आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को बरकरार रखते हुए सरकार को 5 करोड़ 37 लाख 37 हजार 154 रुपए उसे देने का निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल के टीसीएस के पक्ष में 11 लाख 842 रुपए मुआवजा देने के फैसले को भी बरकरार रखा है।

सरकार ने रिव्यू ऑफिसर्स और असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर्स के लिए ऑनलाइन रिक्रूटमेंट परीक्षा कराने के अनुबंध किया था, लेकिन रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के लिए आयोजित ऑनलाइन परीक्षा में कुछ गड़बड़ियों को रिपोर्ट आने के बाद टीसीएस से अनुबंध को खत्म कर दिया था।

न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एकल पीठ ने उत्तर प्रदेश लेजिस्लेटिव असेंबली सेक्रेटेरिएट द्वारा आर्बिट्रेशन एंड कंसीलिएशन एक्ट 1996 (आर्बिट्रेशन एक्ट) के धारा 34 के तहत दायर की गई याचिका खारिज को खारिज करते हुए कहा कि आर्बिट्रेशन अवार्ड को चुनौती देने का कोई सही आधार नहीं है। सरकार ने रिक्रूटमेंट परीक्षा कराने के लिए टीसीएस की सर्विस ली है। परीक्षा को असेंबली स्पीकर ने अपनी मर्जी और चुनाव के आधार पर कैंसिल कर दिया है। टीसीएस का अनुबंध किसी भी शर्त के उल्लंघन या परीक्षा में हुई किसी भी गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार नहीं है। क्योंकि परीक्षा रद्द करना याचिकाकर्ता (विधानसभा स्पीकर) की अपनी मर्जी का मामला था। इसलिए अनुबंध कानून की धारा 56 के तहत असफलता के सिद्धांत का इस्तेमाल करके अनुबंध से बचने का सहारा नहीं लिया जा सकता है। आर्बिट्रेटर के रिकॉर्ड किए गए नतीजे रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों से अच्छी तरह संबंधित हैं। उन्हें किसी भी तरह से गलत नहीं माना जा सकता।

सरकार ने टीसीएस को 2015 में हुए एक परीक्षा के तहत 7000 से ज्यादा कैंडिडेट्स के लिए 350 रुपए प्रति कैंडिडेट प्रति सेशन के हिसाब से ऑनलाइन रिक्रूटमेंट एग्जाम कराने का अनुबंध किया था।

परीक्षा दिसंबर 2015 में हुआ था और टीसीएस ने 3 करोड़ 11 लाख के इनवॉइस बनाए थे, लेकिन असेंबली के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने 2016 में टीसीएस द्वारा कराए गए एक अलग रेलवे रिक्रूटमेंट एग्जाम (आरआरबी) में कथित गड़बड़ियों के आधार पर परीक्षा खत्म कर दिया और पेमेंट करने से मना कर दिया। टीसीएस ने बातचीत असफल होने और आर्बिट्रेशन एक्ट के सेक्शन 11 के तहत आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था।

Created On :   26 Nov 2025 10:38 PM IST

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