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Mumbai News: अब उपद्रवी बंदरों को पकड़ने वालों को मिलेगा पैसा, सरकार ने तैयार किया है नया प्लान

- मानव वन्यजीव संघर्ष टालने के लिए सरकार ने जारी की कार्य प्रणाली
- बंदरों और वानरों को पकड़ने वालों के लिए आर्थिक दर तय की गई
Mumbai News. प्रदेश सरकार ने मानव वन्यजीव संघर्ष को टालने को लेकर उपद्रवी बंदरों और वानरों को बचाव के लिए पकड़ने और अधिवास क्षेत्र में छोड़ने के बारे में कार्य प्रणाली सुनिश्चित की है। उपद्रवी बंदरों और वानरों को पकड़ने वालों के लिए आर्थिक दर तय की गई है। 10 उपद्रवी बंदरों और वानरों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने पर प्रति बंदर 600 रुपए प्रदान किया जाएगा। यदि 10 से ज्यादा उपद्रवी बंदरों और वानरों को पकड़ा गया तो प्रति बंदर 300 रुपए प्रदान किए जाएंगे। एक प्रकरण में आर्थिक सहायता दस हजार रुपए से अधिक नहीं प्रदान की जाएगी। एक से पांच उपद्रवी बंदरों और वानरों की संख्या होगी तो उसको पकड़ने वाले व्यक्ति को एक हजार रुपए यात्रा खर्च दिया जाएगा। यदि पांच से अधिक संख्या होगी तो यात्रा खर्च प्रदान नहीं किया जाएगा। बंदरों और वानरों को पकड़ने वालों को डीबीटी के जरिए अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाएगी। महानगर पालिका, नगर पालिका, नगर पंचायत और अन्य विकास प्राधिकरण, ग्राम पंचायत क्षेत्रों में उपद्रवी बंदरों और वानरों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित जगह पर छोड़ा जाएगा। बचाव के लिए पकड़े गए प्रत्येक उपद्रवी बंदरों और वानरों की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्डिंग करना होगा। मानव बस्ती से दस किमी दूर होने पर इलाज के बाद उपद्रवी बंदरों और वानरों को वन परिक्षेत्र अधिकारी की ओर से निश्चित वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। उपद्रवी बंदरों और वानरों को छोड़ने की कार्यवाही वन परिक्षेत्र अधिकारी की उपस्थिति में की जाएगी।
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प्रशिक्षित बचाव दस्ते की नियुक्ति
वन विभाग की ओर से उपद्रवी बंदरों और वानरों को बचाव के लिए प्रशिक्षित बचाव दस्ते की नियुक्ति की जाएगी। वन विभाग को प्रत्येक विभाग में उपद्रवी बंदरों और वानरों को पकड़ने वाले व्यक्ति अथवा संस्था की सूची तैयार करनी होगी। उपद्रवी बंदरों और वानरों को केवल जाली और पिंजरा का इस्तेमाल करना होगा।
शिकायतों का पंजीयन
शहरों और ग्रामीण अंचल के स्थानीय निकायों को कार्यक्षेत्र में उपद्रवी बंदरों और वानरों के उत्पाद से हुए संपत्ति का हुए नुकसान की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इसके बाद संबंधित वन परिक्षेत्र अधिकारी (आरएफओ) को घटना की सत्यता के बारे में गहराई से जांच करनी होगी। इसके बाद संबंधित वन उपविभाग के सहायक वनसंरक्षण को रिपोर्ट सौंपना होगा।
Created On :   25 Nov 2025 8:49 PM IST












