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Mumbai News: मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर आदित्य ठाकरे राज्य चुनाव आयुक्त से मिले

- आयोग आपत्ति जताने के लिए 21 दिन का समय दे या चुनाव रद्द करे
- चुनाव आयुक्त के सामने आदित्य ने उठाए ये मुद्दे
Mumbai News. नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों से पहले राज्य की राजनीति में मतदाता सूची अनियमितताओं को लेकर बवाल मचा हुआ है। शिवसेना (उद्धव) विधायक आदित्य ठाकरे ने सोमवार को राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे से मिलकर मतदाता सूची में हुई कथित गड़बड़ियों पर चर्चा की। इस मुलाकात में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता बाला नांदगांवकर और उद्धव गुट के नेता अनिल परब भी मौजूद रहे। आदित्य ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर वाला एक विस्तृत शिकायत पत्र भी वाघमारे को सौंपा। पत्र में लिखा गया है कि चुनाव आयोग या तो हमें आपत्ति जताने के लिए 21 दिन का समय दे या चुनाव रद्द करे।
चुनाव आयुक्त के सामने आदित्य ने उठाए ये मुद्दे
राज्य चुनाव आयुक्त को सौंपे गए पत्र में कहा गया कि मतदाता सूची में हुई गलतियों का स्तर सिर्फ गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित खेल जैसा है। वार्ड सीमांकन के बाद तीन बार सूची बदली गई। वार्ड सीमांकन जारी होने के बाद प्रारूप मतदाता सूची पहले 7 तारीख, फिर 14 और आखिर में 20 तारीख को जारी की गई, जिससे पूरे प्रोसेस पर सवाल खड़े होते हैं। आदित्य ने कहा कि यह सिर्फ देरी नहीं, बल्कि रणनीतिक तरीका है, ताकि चुनावी माहौल को प्रभावित किया जा सके। आदित्य ने आरोप लगाया कि जाति-धर्म देखकर मतदाता सूची में फेरबदल किए गए हैं। यह हर वार्ड में नहीं, बल्कि केवल विपक्षी दलों के वार्डों में किया गया है, जो हमारे अनुसार देशद्रोह जैसा अपराध है। जब आप पारदर्शी चुनाव की बात करते हैं, तो फिर यह सब क्यों हो रहा है।
उद्धव और राज के पत्र में दावा
राज्य चुनाव आयुक्त वाघमारे को सौंपे गए उद्धव और राज ठाकरे के हस्ताक्षर वाले पत्र में कई चौंकाने वाली बातें लिखी गई हैं। पत्र में लिखा है कि कई विपक्षी दलों के गढ़ में बड़े पैमाने पर नाम हटाए या जोड़े गए हैं। एक-एक पते पर 38-38 मतदाता दिखाए जाने के मामले सामने आए। ऐसे कुल 26 हजार 319 पते राज्यभर में मिले, जिन पर 8 लाख से ज्यादा नाम दर्ज हैं। 6 लाख से ज्यादा मतदाताओं के घर नंबर ही नहीं हैं। साथ ही मतदाताओं की पहचान भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। बड़ी संख्या में डुप्लीकेट नाम, जिससे 1 व्यक्ति 1 वोट का नियम खतरे में आ गया है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि मतदाता सूची पर आपत्ति जताने के लिए सिर्फ 7 दिन का समय दिया गया है। जबकि इसके लिए कम से कम 21 दिन का समय मिलना चाहिए। चुनाव आयोग या तो हमें आपत्ति जताने के लिए 21 दिन का समय दे या चुनाव रद्द करे। आप खुद को स्वायत्त संस्था कहते हैं। आप अपनी स्वायत्तता दिखाइए। आदित्य ने वाघमारे के समक्ष मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने समय रहते मतदाता सूची में सुधार नहीं किया तो फिर हम सड़क पर उतरेंगे। वोट चोरी कर जीतने का प्लान चल रहा है और इसे हम होने नहीं देंगे।
Created On :   24 Nov 2025 8:42 PM IST












