Mumbai News: एक ही मंदिर के लिए दो अलग-अलग ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है

एक ही मंदिर के लिए दो अलग-अलग ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है
  • महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत नियम
  • एक ही मंदिर के लिए दो अलग-अलग ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो
  • अदालत ने पुणे के श्री हनुमान मारुति मंदिर देवस्थान ट्रस्ट की याचिका को किया रद्द

Mumbai News. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट की योजना के तहत एक ही मंदिर के लिए दो अलग-अलग ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है। अदालत ने पुणे के श्री हनुमान मारुति मंदिर देवस्थान ट्रस्ट की याचिका रद्द कर दी।

न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने पुणे के श्री हनुमान मारुति मंदिर देवस्थान ट्रस्ट की याचिका पर कहा कि अगर एक ही ट्रस्ट की संपत्तियों के संबंध में दो अलग-अलग पब्लिक ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाती है, तो पब्लिक ट्रस्ट के प्रशासन में कई समस्याएं होंगी। एक ही संपत्ति वाले एक ही मंदिर के संबंध में दो अलग-अलग पब्लिक ट्रस्ट के नाम पर रजिस्ट्रेशन की अनुमति अधिनियम की योजना के तहत नहीं दी जा सकती है।

याचिकाकर्ता के वकील संजीव सावंत ने दलील दी कि महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 द्वारा अधिकारियों को समीक्षा की कोई स्पष्ट शक्ति प्रदान नहीं की गई है। इसलिए संयुक्त धर्मादाय आयुक्त को अपने स्वयं के आदेश की समीक्षा करने का कोई अधिकार नहीं है। उस अधिनियम की योजना एक ही धर्मादाय संस्था के दो ट्रस्टों के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान करती है। इस दलील का समर्थन करने के लिए बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट रूल्स 1951 की धारा 50ए (2) का संदर्भ दिया गया।

प्रतिवादी वीना योगेश डोके के वकील विनायक गडेकर ने दलील दी कि डोके ने समीक्षा आवेदन दायर किया, क्योंकि उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों पर विचार नहीं किया गया था। वे दस्तावेज महत्वपूर्ण थे और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आधार पर संयुक्त धर्मादाय आयुक्त ने इस आधार पर अपने आदेश की समीक्षा की, क्योंकि आदेश पारित करने में कोई वैधता नहीं की गई थी। महाराष्ट्र लोक ट्रस्ट अधिनियम की योजना में एक मंदिर के संबंध में दो ट्रस्टों के पंजीकरण का प्रावधान नहीं है।

पीठ ने कहा कि अधिनियम की योजना के तहत एक धर्मार्थ संस्था या मंदिर के संबंध में केवल एक सार्वजनिक ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन करने की अनुमति है। उसी मारुति मंदिर के संबंध में एक अन्य ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन का निर्देश देने वाला आदेश याचिकाकर्ताओं द्वारा धोखाधड़ी करके प्राप्त किया गया है। इसलिए किसी पक्ष को धोखाधड़ी करने वाले व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ऐसी कार्यवाही में जो स्वयं किसी त्रुटि से दूषित हो गई हो, तो पूरी कार्यवाही को अमान्य कर देती है। ऐसे मामलों में प्रक्रियात्मक समीक्षा की शक्ति का उपयोग किया जा सकता है।

Created On :   2 Jun 2025 9:17 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story