मुंबई में अपने आशियाने का सपना देखने वालों के साथ धोखाधड़ी, अग्रिम जमानत देने से कोर्ट ने किया इनकार

मुंबई में अपने आशियाने का सपना देखने वालों के साथ धोखाधड़ी, अग्रिम जमानत देने से कोर्ट ने किया इनकार
म्हाडा में सस्ता घर देने का लालच देकर फंसाते थे लोगों को

डिजिटल डेस्क, मुंबई । सेशन कोर्ट ने महाराष्ट्र आवास और विकास प्राधिकरण (म्हाडा) में सस्ती दरों पर फ्लैट देने का वादा करके कई लोगों को ठगने के आरोपी पांच लोगों को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने 13 जुलाई को आदेश पारित करते हुए कहा कि मुंबई में घर का सपना देखने वाले निर्दोष लोगों की मेहनत की कमाई बर्बाद हो जाती है, क्योंकि ऐसे जालसाज उन्हें धोखा देते हैं। इसके विपरीत जालसाजों को आसानी से पैसा मिल जाता है।

अदालत ने कहा कि सभी पांचों आरोपियों का शुरू से ही निर्दोष व्यक्तियों को धोखा देने का इरादा था। इसलिए आरोपियों ने म्हाडा के अधिकारी होने का झांसा देकर लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बनाया। आरोपी झूठे पहचान पत्रों के साथ विभिन्न व्यक्तियों से भारी रकम हासिल करने में कामयाब रहे। मुंबई में ऐसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। ऐसे में घोटालों में शामिल लोगों को अग्रिम जमानत देना अंततः उनकी आपराधिक गतिविधियों को बढावा देना जैसा होगा। मुख्य आरोपी सुनील घाटविसावे ने कथित तौर पर दादर निवासी शिकायतकर्ता को 2017 में म्हाडा योजना के तहत परेल में 30 लाख रुपए में फ्लैट देने की पेशकश की थी। शिकायतकर्ता ने उसे 19 लाख रुपए का भुगतान चेक के माध्यम से किया था और 12 लाख रुपए का भुगतान विभिन्न रिश्तेदारों से कर्ज लेकर किया था।

जांच में पता चला कि मुख्य आरोपी सुनील की पत्नी के खाते में करीब 14 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। उसकी पत्नी भी अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी की थी। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया लोगों को धोखा देने के लिए आरोपियों का पैसा लेना बेईमानी के इरादे का संकेत देता है। यह सब स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि अग्रिम अग्रिम जमानत की अर्जी देने वालों ने पैसे की हेराफेरी की थी। शिकायतकर्ता ने पैसा रिश्तेदारों और दोस्तों से एकत्र किया था, जिन्हें प्रभादेवी में उचित मूल्य पर अपने स्वामित्व के घर पाने की इच्छा थी। ऐसे में आरोपियों को जमानत नहीं दी जा सकती है।

अदालत ने पांच आरोपियों (आवेदकों) की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि सुनील द्वारा किए गए धोखाधड़ी के अपराध के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने केवल उसके खातों से पैसे प्राप्त किए थे। अदालत ने कहा कि बैंक खातों में राशि प्राप्त होने से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि सभी आरोपियों को उस उद्देश्य की ठोस जानकारी थी, जिसके लिए उनके खातों में पैसे हस्तांतरित किया गया था।

Created On :   18 July 2023 6:40 PM IST

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