- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- धर्मादाय अस्पतालों पर कसेगा शिकंजा...
धर्मादाय अस्पतालों पर कसेगा शिकंजा - न बेसहारों को मुफ्त इलाज और न मिल रही गरीबों को छूट

- न बेसहारों को मुफ्त इलाज मिल रहा
- न मिल रही गरीबों को छूट
- धर्मादाय अस्पतालों पर कसेगा शिकंजा
डिजिटल डेस्क, नागपुर. धर्मादाय अस्पताल शुरू कर सरकार से अनेक तरह की सहूलियत और अनुदान बटोरने वाली संस्थाएं सरकारी मानकों पर खरा नहीं उतर रही हैं। इन अस्पतालों में न बेसहारों का मुफ्त इलाज हो रहा और न गरीबों को इलाज में कोई छूट मिल रही है। कोरोना संकटकाल में इन अस्पतालों ने निजी अस्पतालों की तर्ज पर मरीजों की लूट की है। ऐसी अनगिनत शिकायतों का अंबार सरकारी दरबार में लगा है, जिसके आधार पर अब राज्य सरकार ने वैद्यकीय शिक्षण आयुक्त की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति अब एक स्वतंत्र ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने जा रही है, जिसके जरिये धर्मादाय अस्पतालों द्वारा बेसहारों व गरीबों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देनी होगी। सरकार के इस निर्णय से धर्मादाय अस्पतालों में नाराजगी है। आरोप है कि धर्मादाय के नाम पर सरकार ने अस्पतालों पर अनेक बंदिशें लगा दी हैं। जिस सुविधा या अनुदान की बात की जाती है, वह किसी अस्पतालों को नहीं मिल रही है।
20 फीसदी बेड आरक्षित रखना जरूरी
शहर में करीब 20 धर्मादाय अस्पताल हैं। कुछ नए तो ज्यादातर पुराने हैं। प्रदेश में यह संख्या 400 तक है। मुंबई सार्वजनिक विश्वस्त व्यवस्था अधिनियम 1950 अंतर्गत पंजीकृत धर्मादाय अस्पतालों को गरीब मरीजों के लिए कुल बेड के 20 प्रतिशत बेड आरक्षित रखना अनिवार्य है। इसमें से 10 प्रतिशत बेड बेसहारा मरीजों को पूरी तरह मुफ्त व 10 प्रतिशत बेड गरीब मरीजों के लिए 50 प्रतिशत सुविधा की दर पर उपलब्ध कराना आवश्यक है। इन सुविधाओं का फायदा लेने के लिए सरकार द्वारा तय शर्त व नियमों का पालन करना अनिवार्य है। इस बीच सरकार को बड़े पैमाने पर शिकायतें मिली हैं कि गरीब व बेसहारा मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। सरकार का दावा है कि अस्पताल धर्मादाय स्वरूप के होने से उन्हें सरकार की अनेक सुविधाओं का लाभ मिलता है, लेकिन यह सरकार के नियमों का पालन नहीं करने से उसका फायदा गरीब और बेसहारा मरीजों को नहीं मिल रहा है। नागपुर से भी अनेक धर्मादाय अस्पतालों की शिकायत सरकार को मिलने की जानकारी है।
1 महीने में देनी है रिपोर्ट
शिकायतों को देखते हुए सरकार ने एक स्वतंत्र ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया है। इस प्रणाली अनुसार बेसहारा व गरीब मरीजों को उपलब्ध कराए गए बेड, आरक्षित बेड, आरक्षित बेड में उपलब्ध और रिक्त बेड की रियल टाइम जानकारी, उपलब्ध इलाज की जानकारी, मरीजों के रिश्तेदारों को सहजता से मिलने की व्यवस्था होगी। अस्पताल में उपस्थित समन्वयकों से संपर्क साधने आसान होने के लिए स्वतंत्र कक्ष कार्यरत करना और सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक स्वतंत्र ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने के लिए वैद्यकीय शिक्षण व औषधि द्रव्य विभाग अंतर्गत वैद्यकीय क्षेत्र की और सूचना तकनीक क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति गठित की गई है। समिति की अध्यक्षता वैद्यकीय शिक्षण आयुक्त करेंगे। समिति ऑनलाइन प्रणाली विकसित करेगी। इसके अलावा राज्य स्तर पर एक विशेष मदद कक्ष शुरू करने की सिफारिश करना, कक्ष के जरिये नागरिकों को धर्मादाय योजना अंतर्गत संबंधित मरीजों को तत्काल उपचार के लिए बेड उपलब्ध कराने की सिफारिश करना, आरक्षित बेड पारदर्शक पद्धति से तत्काल उपलब्ध कराना शामिल रहेगा। समिति को इस संबंध में अपनी रिपोर्ट एक महीने में सरकार को देनी होगी।
सरकार से नहीं मिलती मदद
जगदीश गुप्ता, उपाध्यक्ष चैरिटेबल हॉस्पिटल एसोसिएशन के मुताबिक नियमानुसार सभी धर्मादाय अस्पताल गरीब व बेसहारा मरीजों के लिए 20% बेड आरक्षित आैर मुफ्त में इलाज भी उपलब्ध कराया जाता है। सामाजिक जिम्मेदारी समझकर उन्हें सुविधा भी दी जाती है, लेकिन सरकार से किसी तरह की सुविधा या अनुदान मिलने का दावा गलत है। अस्पतालों को किसी तरह की सुविधा नहीं मिलती है।
Created On :   10 July 2023 4:42 PM IST