अनुसूचित जनजाति के लोगों को 100 फीसदी आरक्षण को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती

अनुसूचित जनजाति के लोगों को 100 फीसदी आरक्षण को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती
50 फीसदी से अधिक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का मामला

शीतला सिंह, मुंबई । बॉम्बे हाईकोर्ट में राज्य सरकार के 50 फीसदी से अधिक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के लोगों को 100 फीसदी आरक्षण के शासनादेश (जीआर) को चुनौती दी गई है। अदालत ने 4 अगस्त से पहले सरकार को हलफनामा दायर कर जवाब देने को कहा है। न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति संदीप वी.मार्ने की खंडपीठ के समक्ष 20 जुलाई को बीगर आदिवासी समिति, सामाजिक विकास प्रबोधिनी और भूषण प्रकाश क्षीरसागर की ओर से वकील यशोदीप देशमुख,वकील राहुल ठाकरे और वकील वैदेही प्रदीप की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाओं में 29 अगस्त 2019 में सरकार की जारी अधिसूचना और उसके आधार पर इस साल 1 फरवरी को निकाले गए शासनादेश को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ता के वकील यशोदीप देशमुख ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि सरकार द्वारा जारी शासनादेश में राज्य में जिस क्षेत्र में 50 फसदी से अधिक आदिवासी समाज की आवादी होगी, वहां तलाठी, सुपरवाइजर, ग्रामसेवक, आंगनवाड़ी सुपरवाइजर, अध्यापक, जनजाति विकास निरीक्षक, कृषक सहायक, पशु कृषि सहायक और नर्स समेत और स्थानीय स्तर पर सरकारी नियुक्तियों में अनुसूचित जनजाति को 100 फीसदी आरक्षण और 25 से 50 फीसदी आदिवासी समाज की आवादी होने पर 50 फीसदी आरक्षण होगा। सरकारी शासनादेश से जहां आदिवासी समाज के युवकों में अपेक्षाएं बढ़ गई है, वहीं गैर आदिवासी समाज के भूमिहीन गरीबों में असंतोष है। 100 फिसदी आरक्षण से आदिवाली और गैर आदिवासी के बीच खांई चौड़ी हुई है। कानून के मुताबिक भी शत प्रतिशत आरक्षण भी उचित नहीं है। खंडपीठ ने सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता डॉ.बीरेंद्र बी.सराफ से इस विषय में पूछा, तो उन्होंने हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा और कहा कि अदालत के आदेश के बिना 31 अगस्त तक शासनादेश पर अमल नहीं होगा। अदालत ने उन्हें 4 अगस्त से पहले हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त तक होगी।

Created On :   28 July 2023 7:25 PM IST

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