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आरटीई प्रवेश : मात्र 40 करोड़ रुपए मिलने से स्कूल संचालक नाराज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी फीसदी सीटों पर आर्थिक रुप के कमजोर विद्यार्थियों को दाखिला देने वाले स्कूलों के लिए राज्य सरकार ने 40 करोड़ रुपए की निधि आवंटित की है लेकिन स्कूल चालक इससे नाराज हैं क्योंकि बकाया फीस 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन (मेस्टा) के संस्थापक अध्यक्ष संजयराव तायडे पाटील ने कहा कि राज्य जब यह रकम स्कूलों में बंटेगी तो हर स्कूल को जो रकम मिलेगी वह हास्यास्पद होगी। अगर सरकार का यही रवैया रहा तो या तो स्कूल बंद हो जाएंगे या योजना बंद करनी पड़ेगी। जारी की गई रकम शैक्षणिक सत्र 2022-23 और 2023-24 के लिए ही दी जानी है ऐसे में साल 2017 से जो बकाया है वह रकम कब मिलेगी इसे लेकर भी सरकार रुख साफ नहीं है।
राज्य में 8 हजार 824 निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रुप से कमजोर तबके के विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाता है। उपलब्ध सीटों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है लेकिन हर साल करीब 85 हजार विद्यार्थियों को ही दाखिला मिल पाता है। राज्य सरकार प्रति विद्यार्थी स्कूलों को 17620 रुपए वार्षिक फीस चुकाती है। ऐसे में सरकार ने जो निधि जारी की है वह स्कूलों में बांटी जाए तो हर स्कूल को करीब 45 हजार रुपए ही मिलेंगे। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट में आरटीई के तहत भुगतान के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है ऐसे में स्कूलों को बकाया रकम कब तक मिलेगी इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। तायडे ने कहा कि हम बच्चों को पढ़ाते हैं उसके बाद पैसे मांगते है। पैसा हमारे अधिकार का पैसा है जो 2017 से बकाया है। सभी स्कूल चालक बकाए का भुगतान न होने से परेशान हैं। अगर सरकार ने 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है तो इस रकम का भुगतान कर दे जिससे स्कूलों को कुछ तो राहत मिले।
Created On :   22 July 2023 7:03 PM IST