नेपियर घास से बनेगी बायो सीएनजी

नेपियर घास से बनेगी बायो सीएनजी
  • कंपनी ने 70 किसानों के साथ किया करार
  • जर्मन तकनीक से हो रहा निर्माण
  • 1.4 मिलियन डालर की इंडस्ट्री

डिजिटल डेस्क, नागपुर, प्रफुल नटिये। जीवाश्म ईंधन (परंपरागत ईंधन स्रोतों) पर निर्भरता कम करने और देश में कार्बन फुटप्रिंट घटाने के लिए अब नेपियर घास से बायो सीएनजी का निर्माण किया जाएगा। यह देश का पहला बायो सीएनजी प्लांट होगा, जहां नेपियर घास से सीएनजी बनाई जाएगी। वर्धा जिले में समुद्रपुर से कुछ दूरी पर स्थित लसनपुर गांव में ग्रूनर रीन्यूएबल एनर्जी इस प्लांट का निर्माण कर रही है। इस प्लांट में रोजाना 50 टन घास से 3000 किलोग्राम बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा। इसके निर्माण में 20 करोड़ रुपए की लागत प्रस्तावित है। अभी कंपनी ने क्षेत्र के 70 किसानों के साथ नेपियर घास के उत्पादन के लिए करार किया है। कंपनी के सीईओ उत्कर्ष गुप्ता ने बताया कि यह प्लांट 6 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। इस वित्त वर्ष देश में ऐसे 100 बायो सीएनजी प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 6 प्लांट नागपुर जिले में शुरू करने की योजना है।

कंपनी ने 70 किसानों के साथ किया करार

1.4 मिलियन डालर की इंडस्ट्री

उत्कर्ष गुप्ता ने बताया कि अभी यह इंडस्ट्री 1.4 बिलियन डालर की है। देश में तेजी से सीएनजी का उपयोग बढ़ रहा है, ऐसे में साल 2030 तक यह इंडस्ट्री 2.5 बिलियन डालर की हो जाएगी।

रोज 10 हजार किलो सीएनजी की मांग शहर में रोजना 9 से 10 हजार किलो सीएनजी की मांग है, जबकि मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कई बार तो 2 दिन तक सीएनजी के अभाव में पंप बंद रहते हैं। शहर में सीएनजी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कंपनी सीएनजी पंप भी शुरू करेगी। प्लांट में उत्पादित बायो सीएनजी को इन पंप के माध्यम से बेचा जाएगा।


जर्मन तकनीक से हो रहा निर्माण

इस प्लांट का निर्माण जर्मन तकनीक से हो रहा है। जर्मन कंपनी सूमा गैस बनाने में लगने वाले मिक्सर का निर्माण करती है। इस प्लांट में उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर सामग्री और मशीनरी तथा अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारी मित्रोफन रोमन ने प्लांट को विजिट दी और काम की समीक्षा की। इस प्रोजेक्ट की प्रमुख प्रेरणा यह है कि बायो कचरे को बायो मीथेन में बदला जाए। इस पहल के जरिए ग्रूनर रीन्यूएबल एनर्जी का मकसद लगातार घट रहे गैर-नवीकरणीय स्रोतों की कमी से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ी के लिए सस्टेनेबल ऊर्जा विकल्प उपलब्ध कराना है। कंपनी ने एपीएसएस आदर्श बायो एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के लिए इस बायोगैस प्लांट की संकल्पना तैयार की है।

क्या है नेपियर घास

यह घास चारे की ऐसी फसल है, जिसे किसान एक बार खेत में लगाने के बाद लगातार 5 वर्ष तक फसल ले सकते हैं। एक बार कटाई के बाद इसकी उंचाई तीन माह में 12 से 15 फीट हो जाती है और प्रति बीघा करीब 20 टन चारे की पैदावार एक कटाई में देती है। इसकी कटाई साल में 4 बार की जाती है। यह सर्वश्रेष्ठ पशु आहार भी हैै। नेपियर घास उगाने के बाद पांच साल तक खेत को बार-बार जोतने या निराई-गुराई की जरूरत नहीं होती। रसायनिक खाद और कीटनाशक की भी आवश्यकता नहीं होती।

Created On :   9 July 2023 5:06 PM IST

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