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Nagpur News: भड़काऊ भाषण के चंगुल में न फंसे, प्रतिक्रिया में कुछ भी कहना छोड़ना होगा - भागवत

- सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने किया सभी धर्म, समाज में भाईचारे का आवाहन
- भड़काऊ भाषण के चंगुल में न फंसे
Nagpur News. पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत में सामाजिक एकता का आवाहन किया है। उन्होंने कहा है- देश व समाज की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा बल समाज का बल होता है। वर्तमान में समाज को और अधिक सजग रहने की आवश्यकता है। भड़काऊ भाषण के चंगुल में न फंसे, प्रतिक्रिया के लिए कुछ भी कहना छोड़ना होगा। गुरुवार को रेशमबाग मैदान में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग 2 के समापन समारोह में सरसंघचालक बोल रहे थे। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम सहित अन्य पदाधिकारी थे। सरसंघचालक ने कहा-पहलगाम हमले के बाद देश में सभी ने जो एकजुटता दिखायी वह चिरस्थायी रहनी चाहिए। सारे मतभेद भुलाकर समाज ने एकता का दृश्य दिखाया है। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा-जब तक टेढ़ापन कायम है,द्विराष्ट्रवाद का भूत कायम है, दोगलापन जब तक जाता नहीं तब तक देश पर खतरे बने रहेंगे। पाक्सी वार अर्थात छद्म युद्ध सतत चल रहा है। इस दौरान यह परीक्षा भी हो गई है कि दुनिया के देश हमारे साथ क्या कर सकते हैं। दुनिया में दुष्टता है इसलिए हमको संपूर्ण सजग होना होगा। सेना आैर सरकार ने सुरक्षा की है। लेकिन असली बल समाज का होता है। समाज को एक रहना चाहिए। देश में विविधता है तो समस्या रहेगी, एक के लिए लाभ की बात दूसरे के लिए नुकसान की हो सकती है। समाज में असंतोष भी रहता है। लेकिन हर हाल में समाज के किसी भी वर्ग की किसी से लड़ाई न हो। आपस में सदभावना हो। प्रतिक्रिया में कानून हाथ में लेना ठीक नहीं है। बिना कारण गाली गलौज की भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। समाज में उकसानेवाले लोग हैं। स्वार्थ के लिए असंयम होनेवाले लोग हैं। इन सबसे बचना होगा। भाषा पर गर्व हो पर भाषाभेद नहीं होना चाहिए। मूल व्यवस्था सभी की समान है। धर्मांतरण के विषय पर उन्होंने कहा-कोई भी रुचि से अपना पंथ, संप्रदाय बदल सकता है। हम इसके विरोधी नहीं है। पूजा परंपराएं अलग हो सकती है। लेकिन लालच देकर या जबरन धर्मांतरण को रोकना ही होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम के निवेदन का जवाब देते हुए सरसंघचालक ने कहा कि आदिवासी समाज हिंदू समाज का ही अंग है। उसकी समस्यों काे दूर करना हम सभी का दायित्व है। आदिवासी समाज हमारा मूल है। पेड़ पौधों की पूजा भारत की परंपरा है। आदिवासी की पर्यावरण पूरक परंपरा को मानते हुए ही हम हिंदू बने हैं।
आदिवासी समाज को मिले धर्मकोड-नेताम
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने आदिवासी समाज की समस्याओं का जिक्र करते हुए आदिवासी समाज के लिए धर्मकोड की मांग की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान खाे रही है। बौद्ध, जैन, सिख धर्म के समान आदिवासी की भी अपनी पहचान होना चाहिए। धर्मकोड होगा तो आदिवासी की सिंबालिक पहचान होगी। आदिवासियों की आनेवाली पीढ़ी के लिए पहचान आवश्यक है। संघ और सरकार ने इस विषय पर विचार करना चाहिए। आदिवासियों के बीच नक्सलवाद व धर्मांतरण को सबसे बड़ी समस्या बताते हुए नेताम ने कहा कि इन्हें रोकने के लिए उपासयोजना की आवश्यकता है। डिलिस्टिंग का आंदोलन धर्मांतरण रोकने का हथियार हो सकता है। संघ व आदिवासी समाज के बीच संवाद के लिए समिति बनाने पर भी विचार किया जाए।
Created On :   5 Jun 2025 10:16 PM IST