ऑरेंज सिटी लिटरेचर फेस्टिवल: प्रभु चावला से दैनिक भास्कर के सिटी एडिटर सुनील हजारी की सीधी बात, तीखे प्रश्न पूछने पर अक्सर बात तक बंद कर देते थे लोग

  • जब प्रभु चावला के सवालों से नाराज हो गए थे मोदी और कहा - आगे बढ़ो
  • मोदी से पूछे थे सवाल, मोदी जी का गुस्सा देख जब प्रभु चावला डर गए
  • जब शाहरूख खान ने कह दिया था तुम्हें एक दिन घर में नौकर रखूंगा
  • सवाल पर आग बबूला हो गईं थी मायावती, गहमा-गहमी में कुर्सी से नीचे गिर गईं थी
  • जब आमिर से उनकी पत्नी पर किया सवाल, बुरी तरह चिढ़ गए थे
  • प्रभु चावला इकॉनामिक्स के प्रोफेसर थे, गिरफ्तारी से बचते-बचते बन गए पत्रकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देशभर के बड़ी सेलीब्रिटीज और राजनेताओं से तीखे सवाल पूछने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला के खास अंदाज को कौन नहीं जानता, लेकिन जब दैनिक भास्कर के सिटी एडिटर सुनील हजारी ने उनसे सीधी बात की, तो कई खुलासे हुए। प्रभु चावला ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मेरे सवाल तीखे होते थे, जिसकी वजह से गेस्ट स्वयं को असहज महसूस करते थे। इन तीखे सवालों की वजह से कई लोगों ने बात करना बंद कर दिया। बहुचर्चित टॉक-शो सीधी बात की मेजबानी के दौरान आए अनुभवों को साझा करते हुए देश के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने कहा कि वे कभी प्रश्न तैयार नहीं करते थे। गेस्ट पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में जानना चाहते थे, पर वे बताते भी नहीं थे। यदि पत्रकार तैयारी करके जाएं, तो इंटरव्यू सफल नहीं हो सकता। पत्रकार को इतनी जानकारी तो होनी ही चाहिए कि वह किसी से भी सवाल कर सके। प्रभु चावला रविवार को ऑरेंज सिटी लिटरेचर फेस्टिवल में ‘सीधी बात प्रभु चावला के साथ’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस विशेष कार्यक्रम में दैनिक भास्कर के सिटी एडिटर सुनील हजारी ने प्रभु चावल से सीधी बात की, जिसका उन्होंने बेबाक तरीके से जवाब भी दिया। ऑरेंज सिटी लिटरेचर फेस्टिवल में दैनिक भास्कर मीडिया पार्टनर था।


सवाल : आपने करीब 500 से ज्यादा इंटरव्यू लिए हैं, पर्दे के पीछे इनकी किस तरह की तैयारी होती थी?

जवाब : मैं कभी तैयारी नहीं करता था, तैयारी करके जाओगे, तो इंटरव्यू नहीं होगा।

सवाल : आरोप है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इंटरव्यू में सवाल पहले से ही दे दिए जाते हैं या एक तरह से फिक्स होते हैं? क्या आपके इंटरव्यू में सवालों की जानकारी मेहमान को दी जाती थी?

जवाब : गेस्ट इंटरव्यू से पहले सवाल जानना चाहते थे, पर मैं बताता नहीं था। मैं उनसे कह देता था कि आप बताएं क्या नहीं पूछना है। मैं व्यक्तिगत प्रश्न नहीं करता था।

सवाल : कोई ऐसा इंटरव्यू, जो आपको लगा हो कि बहुत मुश्किल था?

जवाब : नहीं, ऐसा कुछ नहीं था। मेरा पहला सवाल ही ऐसा होता था कि टीआरपी बढ़ जाए और दर्शक पूरा इंटरव्यू देखने लगें।

सवाल : ऐसा कोई इंटरव्यू, जिसकी कीमत आपको बाद में चुकानी पड़ी हो?

जवाब : देश पर असर हुआ था। राजीव गांधी हत्याकांड पर जैन आयोग की रिपोर्ट को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल से पूछे गए प्रश्न व उनके जवाब का यह असर हुआ कि 1997 में सरकार गिर गई और कुछ लाेग इससे बड़े नाराज भी हुए।


सवाल : आपने पॉलिटिक्स को बहुत नजदीक से देखा है। ऐसा कोई राजनेता, जिससे आप प्रभावित हुए हों?

जवाब : नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैंने पूछा था कि क्या आपको मैं देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख सकता हूं। उन्होंने जवाब यह कहकर टाल दिया कि आगे बढ़ो। ऐसे कई नेता हैं, जो अपने काम की वजह से जाने जाते हैं।

सवाल : वर्तमान में नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी को आप किस तरह के लीडर के रूप में देखते हैं?

जवाब : दोनों में उम्र का फर्क है। भीतर से दोनों साफ और फ्रैंक हैं। दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई ऐसी है, जो देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई।

सवाल : सोशल मीडिया पर कहा जाता है कि आप नरेंद्र मोदी जी के प्रति थोड़ा सॉफ्ट हैं, उनकी योजनाओं की तारीफ करते हैं, यहां तक की नरेंद्र मोदी का गेटअप भी आपने अपना लिया?

जवाब : उनसे व्यक्तिगत पहचान रही, घर भी आते थे। दो-तीन साल से मैं उनसे नहीं मिला।

सवाल : इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के बाद आज कल सोशल और डिजिटल मीडिया के बारे में आपकी क्या राय है? आजकल वहां भी पत्रकारिता हो रही है?

जवाब : रोजाना 1 अरब लोग वीडियो बना रहे हैं। सोशल मीडिया में सभी जर्नलिस्ट हैं, यह स्पर्धात्मक है। प्रिंट मीडिया ठीक है।

सवाल : इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जो डिबेट चलती है, जो ड्रामे होते हैं, चीखना, चिल्लाना होता है, वह कितना जायज है? न्यूज के नाम पर मनोरंजन चल रहा है? ऐसे में न्यूज चैनल की वैल्यू गिरी है?

जवाब : इलेक्ट्रानिक मीडिया योजनाबद्ध काम कर रहा है। 50 लोग हैं, जो हर चैनल पर दिखाई पड़ते हैं। यह सब पहले से ही तय रहता है। असली लोग टीवी पर नहीं आ रहे हैं। उनकी जगह कोई और उनका पक्ष रख रहा है।

सवाल : आप इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रहे हैं? वहां सब ठीक चल रहा था, फिर अचानक आप मीडिया में कैसे आ गए?

जवाब : मैं एक्सिडेंटल जर्नलिस्ट हूं। मामूली आय थी। परिवार में 8 भाई बहन थे। बहन की शादी करनी थी। उस समय मीडिया में पैसे भी ठीक मिल रहे थे, इसलिए मैं वहां आ गया।


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प्रिंट मीडिया सबसे विश्वसनीय

डिजिटल के दौर में प्रिंट मीडिया का महत्व कम नहीं होगा। प्रिंट मीडिया पहले भी प्रभावी था और आज भी है। हालांकि काॅस्ट ऑफ न्यूज बहुत ज्यादा है। पाठकों को अखबार खरीदने के लिए उसकी सही कीमत चुकानी होगी। सरकार के भरोसे अखबार नहीं चलाए जा सकते। अखबार अपनी कॉस्ट से कम कीमत में बेचे जा रहे हैं। लोगों को चाहिए कि वह इसकी सही कीमत चुकाएं, ताकि समझौता नहीं करना पड़े। देश के जाने-माने पत्रकार प्रभु चावला ने यह बात दैनिक भास्कर कार्यालय में संपादकीय सहयोगियों से चर्चा के दौरान कही।

सवाल : कभी ऐसा हुआ है कि इंटरव्यू के समय कोई आप पर ही भारी पड़ गया हो?

जवाब : हां, ऐसा हुआ था। मायावती से इतनी गहमा-गहमी हो गई कि कुर्सी से ही गिर गईं थीं, उमर अब्दुल्ला साहब तो माइक छोड़कर ही चल दिए थे। प्रमोद महाजन इतने गुस्से में आ गए कि वो उल्टा मुझसे ही सवाल पूछने लगे, कहा आप उल्टी बात करते हो, मैं कभी इंटरव्यू नहीं दूंगा। शाहरूख खान से पूछ लिया, तुम कम उम्र की लड़की को हिरोइन बनाते हो, तो वह लड़ने पर उतारू हो गए। उन्होंने इतना कह दिया कि मैं तुम्हें एक दिन अपना नौकर रखूंगा। आमिर खान भी एक इंटरव्यू में चिढ़ गए थे, जब मैंने उनकी बीबी को लेकर सवाल पूछा। नरेंद्र मोदी भी गुस्से में आ गए थे। एक सवाल का जवाब ही नहीं दे रहे थे, कहा आगे बढ़ो। मैंने कई बार सवाल दोहराया। उनका एक ही जवाब था कि आगे बढ़ो। बाद में मैं भी आगे बढ़ गया।


बातों बातों में प्रभु ने आजकल के न्यूज चैनलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब मैंने टीवी देखना बंद कर दिया। यदि देखो तो गुस्सा आता है।


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Created On :   27 Nov 2023 5:25 PM IST

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