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Nagpur News: ठाकरे बंधुओं के लिए विदर्भ में स्थिति ठीक नहीं, कुछ सीटों पर ही दिख सकता है प्रभाव

- मनपा चुनाव में कुछ सीटों पर ही दिख सकता है प्रभाव
- समन्वय समिति की मांग
Nagpur News. शिवसेना उद्धव गुट व मनसे के बीच संभावित गठबंधन को लेकर विविध कयास लगाए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि मुंबई सहित कुछ मनपा में दोनों दल अच्छा प्रभाव दिखा सकते हैं। विदर्भ स्तर पर देखें तो इस संभावित गठबंधन का यहां प्रभाव कदाचित ही दिख पाएगा। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस समय दोनों दल की विदर्भ में न तो संगठन क्षमता है और न ही कोई रणनीतिक तैयारी दिख रही है। ऐसे में कुछ सीटों पर निर्दलीय चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों के भरोसे ही ये दोनों प्रभाव दिखाने का प्रयास कर सकते हैं। कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर साफ कहा है कि जो भी निर्णय होगा व स्थानीय स्तर पर होगा। राज्य स्तर पर कोई गठबंधन नहीं होगा। इससे यही संभावना है कि कांग्रेस विदर्भ में गठबंधन के लिए शिवसेना उद्धव गुट व उसके अन्य सहयोगियों को अधिक महत्व नहीं देगी।
स्थिति इस प्रकार है
विदर्भ में शिवसेना व मनसे ने पिछले मनपा चुनाव में काफी कमजोर प्रदर्शन किया था। विदर्भ में 4 मनपा हैं। इनमें पूर्व विदर्भ में नागपुर, चंद्रपुर व पश्चिम विदर्भ में अमरावती व अकोला का समावेश है। नागपुर मनपा में एक बार मनसे का खाता खुला था। 2007 में मनसे के 2 उम्मीदवार जीते थे। बाद में मनसे नागपुर में प्रभाव नहीं दिखा पाई। स्थिति यह रही कि 2024 में विधानसभा चुनाव में मनसे ने उम्मीदवारों के नामांकन दर्ज कराने के बाद स्वयं को चुनाव से बाहर कर लिया। वर्ष 2017 में नागपुर मनपा में शिवसेना के 2 उम्मीदवार जीते। मनसे का खाता भी नहीं खुल पाया। चंद्रपुर में मनसे के 2 व शिवसेना के 3 उम्मीदवार जीते थे। शिवसेना का एक नगरसेवक बाद में भाजपा में चला गया। शिवसेना के अमरावती में 3 व अकोला में 6 उम्मीदवार जीते। इन दोनों मनपा में मनसे एक भी सीट नहीं जीत पाई।
क्या है कमजोरी : दोनों दल के पास विदर्भ में बड़े नेताओं की कमी रही है। सब कुछ मुंबई से तय होने के कारण यहां के कई नेता केवल कार्यकर्ता बनकर रह गए। शिवसेना के समान मनसे का भी संगठन मजबूत नहीं हो पाया। उद्धव ठाकरे व राज ठाकरे इस क्षेत्र में कभी कभार ही आए। अकोला व वणी में मनसे का संगठन प्रभाव दिखा, लेकिन चुनाव में वह जीत नहीं पाई। 2024 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना उद्धव गुट को महाविकास आघाड़ी में पूर्व विदर्भ में केवल एक सीट रामटेक उम्मीदवारी के लिए मिली। वहां भी कांग्रेस बगावत कर गई। पूर्व विदर्भ में शिवसेना उद्धव के पास एक भी विधायक नहीं है। पश्चिम विदर्भ 4 जिलों में उसने विधानसभा की 4 सीटें जीती है। विधानसभा चुनाव के अनुभव बाद भी दोनों दल का संगठन कार्य जोर नहीं पकड़ पाया है।
समन्वय समिति की मांग
शिवसेना उद्धव गुट में नागपुर मनपा के चुनाव की तैयारी के लिए समन्वय समिति बनाने की मांग की गई है। पिछले िदनों पूर्व विदर्भ संपर्क प्रमुख भास्कर जाधव के सामने यह मांग रखी गई। मनपा चुनाव में एबी फार्म बांटने के मामले में पार्टी के नेता ने गड़बड़ी की। उत्तर नागपुर में एबी फार्म मिलने के बाद भी चुनाव नहीं लड़ने के घटनाक्रम सहित विविध विषयों की जानकारी उद्धव ठाकरे तक पहुंचाई गई है। यहां संपर्क प्रमुख पद रिक्त है। एक प्रमुख पदाधिकारी निवेदन कर रहा है कि उसे पदमुक्त किया जाए। मनसे में कोई हलचल नहीं दिख रही है।
Created On :   25 Jun 2025 7:45 PM IST