हैकर्स बिना चाबी लगाए सुरक्षा चक्र को हैक कर चुरा रहे कार, जीपीएस सिक्योरिटी सिस्टम लगाने की एडवाइजरी जारी

हैकर्स बिना चाबी लगाए सुरक्षा चक्र को हैक कर चुरा रहे कार, जीपीएस सिक्योरिटी सिस्टम लगाने की एडवाइजरी जारी
  • साइबर विभाग ने जीपीएस सिक्योरिटी सिस्टम लगाने की एडवाइजरी जारी की
  • हैकर्स बिना चाबी लगाए सुरक्षा चक्र को हैक कर चुरा रहे कार
  • चंद मिनट में अपने कब्जे में ले लेते हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वाहन निर्माता कंपनियां कार की सुरक्षा को लेकर अत्याधुनिक सुरक्षा मानकों को तैयार कर रही हैं। कार ऑटोमेटिक संचालन के लिहाज से सिक्योरिटी फीचर्स और सॉफ्टवेयर जोड़े जा रहे हैं, लेकिन कार चुराने वालों ने भी नया फार्मूला निकाल लिया है। ब्लैक हैट हैकर्स सिस्टम के माध्यम से कार के सुरक्षा चक्र को हैक कर आसानी से चोरी को अंजाम दिया जा रहा है। इस पूरे कारनामे में कार को बगैर चाबी लगाएं लैपटॉप और टेबलेट के सहारे हैक कर चुराया जा रहा है। मुंबई, ठाणे के अलावा इंदौर में इस तरह के कई कारनामें सामने आएं हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा विभाग ने अपनी कार में जीपीएस सिक्योरिटी सिस्टम लगाने की एडवाइजरी जारी की है।

ऐसे चुराते हैं कार

कार को हैक करने के लिए व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर की आवश्यकता होती है। वीआईएन से कार के आटोमेटिक क्रेश नोटिफिकेशन, टर्न बाय नोटिफिकेशन, रिमोट इंजन स्टार्ट, रिमोट डोर अनलॉक, स्मार्ट होम डिवाइस इंटीग्रेशन समेत कई सुविधाओं का संचालन होता है। यह सभी सुविधाएं इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट से संचालित और नियंत्रित होती हैं। हैकर्स टेलीमैटिक प्रोग्राम के जरिये इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट में प्रवेश करते हैं। इसके बाद एचटीटीपी रिक्वेस्ट भेजकर कार को आसानी से हैक कर लेते हैं। हैक होने के बाद इंजन इम्मोबिलाइजर फीचर को भी एक्सेस कर लेते हैं। इस सिस्टम की बदौलत ही चाबी लगाते ही डैशबोर्ड के सभी फंक्शन काम करना शुरू कर देते हैं। केवल 15 से 20 हजार रुपए में मिलने वाले सॉफ्टवेयर की बदौलत अत्याधुनिक सुविधा और सुरक्षा वाली कार को आसानी से चुरा लिया जाता है।

चंद मिनट में अपने कब्जे में ले लेते हैं

बदलते दौर में अत्याधुनिक व आलीशान कार लोग पसंद कर रहे हैं। कार निर्माता कंपनियां भी बड़ी टच स्क्रीन, एपल कार प्लेयर और एंड्राइड ऑटो जैसी सुविधा कार के साथ जोड़ रही हैं। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट से संचालित लोकेशन ट्रैकिंग सुविधा को भी शामिल किया गया है। ऐसे में अब हैकर्स ने ब्लैक हैट हैकर्स सिस्टम से स्मार्ट फोन, लेपटॉप और वेबसाइट की तरह कार के ऑपरेटिंग सिस्टम को निशाने पर ले लिया है। इस सिस्टम की बदौलत कार को चंद मिनट में अपने कब्जे में लिया जा चुका है। मुंबई, ठाणे और इंदौर में इस सिस्टम से कई महंगी और आलीशान कारें चुराई जा चुकी हैं। हालांकि उपराजधानी में अब तक ऐसी कोई चोरी की वारदात सामने नहीं आई है, लेकिन पुलिस को अंदेशा है कि, अन्य शहरों से चोरी कार को उपराजधानी में बेचा जा सकता है।

इनबिल्ट जीपीएस सिस्टम को समय-समय पर अपडेट करना जरूरी

कार खरीदने के बाद अक्सर चालक सॉफ्टवेयर को अपडेट नहीं कराते हैं। ऐसे में सॉफ्टवेयर का सुरक्षा घेरा कमजोर पड़ जाता है। इनबिल्ट जीपीएस वाले सिस्टम को समय-समय पर अपडेट कराना चाहिए, जबकि बगैर सॉफ्टवेयर की कार में तुरंत जीपीएस ट्रैकर सिस्टम लगाना चाहिए। जीपीएस ट्रैकर सिस्टम की बदौलत चालक अपने मोबाइल पर कार को खोलने अथवा स्टार्ट करने के प्रयास को लेकर तुंरत अलर्ट जारी कर देता है।

जीपीएस सिक्योरिटी सिस्टम से हो सकती है सुरक्षा

अमित भुरे, साइबर विशेषज्ञ, अंबाझरी पुलिस स्टेशन के मुताबिक इस फार्मूले से दिल्ली और राजस्थान की गैंग चोरी की वारदात को अंजाम दे रही हैं। कई कार निर्माता कंपनी कार में इनबिल्ट जीपीएस सिस्टम लगा रही हैं, जबकि बगैर जीपीएस वाली कार में सुरक्षा के लिहाज से जीपीएस ट्रैकर को लगाकर सुरक्षा की जा सकती है। इस सिस्टम के माध्यम से कार की सभी गतिविधियों को अपने मोबाइल पर ट्रैक कर सकते हैं।



Created On :   25 May 2023 5:28 PM IST

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