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Nagpur News: देवलापार वनक्षेत्र के लोधा ग्राम में बाघ के हमले में चरवाहे की मौत

- मवेशियों को ले गया था चराने
- घर न लौटने पर खोजने जुटी टीम
- दूसरे दिन क्षत-विक्षत मिला शव
Nagpur News रामटेक तहसील अंतर्गत आदिवासी बहुल क्षेत्रों में हिंसक प्राणियों का आतंक कायम है। वहीं मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देवलापार वन क्षेत्र अंतर्गत लोधा ग्राम निवासी चरवाहे बालकराम कृष्णाजी ढोबड़े (65) की बाघ के हमले में मौत हो गई।
सोमवार से लापता था : जानकारी के अनुसार रोजाना की तरह सोमवार की सुबह बालकराम मवेशियों को चराने के लिए गांव से कुछ ही दूरी पर खेत के समीप ले गया था। शाम 5 बजे तक जब बालकराम घर नहीं लौटा, तो परिजन, ग्रामीण व वनकर्मियों ने बालकराम की तलाश शुरू की। जंगल में रात करीब 12 बजे तक तलाशी अभियान चलाया गया, लेकिन बालकराम का पता नहीं लगा। दूसरे दिन मंगलवार को सुबह करीब 5 बजे दोबारा जंगल में जाकर तलाशी अभियान चलाया गया। दोपहर करीब 12.30 बजे के आसपास फाॅरेस्ट कंपार्टमेंट नंबर-475 आरएफ(लोधा) में बालकराम का क्षत-विक्षिप्त अवस्था में शव पाया गया। समीप ही बाघ के पगमार्क भी दिखाई दिए।
पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा : पुलिस व वनविभाग के अधिकारी ने पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए देवलापार के सरकारी अस्पताल में लाया। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को परिजनों को सौंपा गया। मृतक के परिजनों को देवलापार प्रादेशिक वनक्षेत्र के आरएफओ सागर बंसोड़, डॉ. विनोता व्यास, बीवीएस, उपवन संरक्षक, नागपुर प्रादेशिक द्वारा 10 लाख रुपए का धनादेश प्रदान किया गया।
विदर्भ में बाघों ने 20 से ज्यादा जानें ली विदर्भ में बाघों की संख्या जिस तरह बढ़ रही है, उसी तरह बाघों के इंसानों पर हमले के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। 5 माह में 20 से ज्यादा लोगों की जान बाघों ने ली है। जिसमें सबसे ज्यादा हमले चंद्रपुर में हुए हैं। 17 लोगों को बाघों ने शिकार बनाया है। इसके बाद नागपुर का नंबर आता है। नागपुर में उपरोक्त अवधि में 4 लोगों को बाघ ने मारा है। हालांकि, इसके अलावा बाकी किसी भी जिले में बाघ के हमले में मरने वालों की संख्या इस साल सामने नहीं आई है। विदर्भ में कुल 11 जिले हैं। जिसमें अमरावती, अकोला, भंडारा, बुलढाणा, चंद्रपुर, गडचिरोली, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, वाशिम और यवतमाल हैं। इनमें सबसे ज्यादा जंगल क्षेत्र चंद्रपुर, नागपुर, गोंदिया, यवतमाल में हैं, लेकिन चंद्रपुर के ताड़ोबा व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है। यानी महाराष्ट्र में रहने वाले अधिकतम बाघ चंद्रपुर में है। ऐसे में यहां मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ा है। जनवरी से जुलाई महीने में केवल चंद्रपुर में 17 लोगों की जान गई है।
यह घटनाएं अलग-अलग जगहों हुईं, लेकिन बाघों ने इंसानों को मारने की लगभग पुष्टि हुई है। इसमें मई 2025 में तीन दिन 10 से 12 मई तक पांच महिलाओं की मौत शामिल है, जो तेंदूपत्ता तोड़ने गई थीं। इसके बाद 14, 18, 22, 27 मई को भी बाघों ने कुछ लोगों को मारा है। इसके बाद नागपुर में उपरोक्त देवलापार की घटना सामने आई है।
Created On :   2 July 2025 1:53 PM IST